क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पिता बनने से रोकने वाला इंजेक्शन, लेकिन क्या आगे आएंगे मर्द

भारतीय शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा इंजेक्शन बना लिया है, जो पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा.दावे के मुताबिक़ ये इंजेक्शन 13 साल तक कॉन्ट्रासेप्टिव की तरह काम करेगा. शोधकर्ताओं को कहना है कि यह एक रिवर्सेवल दवा है यानी ज़रूरत पड़ने पर दूसरी दवा के ज़रिए पहले इंजेक्शन के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
डॉ. आरएस शर्मा
BBC
डॉ. आरएस शर्मा

भारतीय शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा इंजेक्शन बना लिया है, जो पुरुषों को पिता बनने से रोकेगा.

दावे के मुताबिक़ ये इंजेक्शन 13 साल तक कॉन्ट्रासेप्टिव की तरह काम करेगा. शोधकर्ताओं को कहना है कि यह एक रिवर्सेवल दवा है यानी ज़रूरत पड़ने पर दूसरी दवा के ज़रिए पहले इंजेक्शन के प्रभाव को ख़त्म किया जा सकता है.

इस इंजेक्शन को इंडियन कांउसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने विकसित किया है .

आईसीएमआर में वैज्ञानिक डॉक्टर आरएस शर्मा ने बताया कि क्लीनिकल ट्रायल के लिए 25- 45 आयु के पुरुषों को चुना गया. इस शोध के लिए ऐसे पुरुषों को चुना गया जो स्वस्थ थे और जिनके कम से कम दो बच्चे थे.

वे बताते हैं कि ये वो पुरुष थे जो अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे और नसबंदी करना चाह रहे थे. इन पुरुषों के साथ-साथ उनकी पत्नियों के भी पूरे टेस्ट किए गए जैसे हिमोग्राम, अल्ट्रासाउंड आदि. इसमें 700 लोग क्लीनिकल ट्रायल के लिए आए और केवल 315 ट्रायल के मानदंडो पर खरे उतर पाए.

वैज्ञानिक डॉ. आरएस शर्मा बताते हैं कि इस इंजेक्शन के लिए पांच राज्यों- दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू, पंजाब और राजस्थान में लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल किए गए.

कीड़ा बढ़ा रहा है महिलाओं की प्रजनन क्षमता - BBC News हिंदी

BBC
BBC
BBC

ट्रायल के लिए इन लोगों के समूह को अलग-अलग चरणों में इंजेक्शन दिए गए जैसे पहले चरण में 2008 में एक समूह के लोगों को इंजेक्शन दिया गया और उन पर 2017 तक नज़र रखी गई और दूसरे चरण में 2012 से लेकर 2017 तक ट्रायल हुए जिन पर जुलाई 2020 तक नज़र रखी जाएगी.

आईसीएमआर में वैज्ञानिक डॉक्टर आरएस शर्मा बताते हैं कि ये इंजेक्शन सिर्फ़ एक बार दिया जाएगा और वे इसे 97.3 प्रतिशत प्रभावी बताते हैं.

वे बताते हैं कि पुरुषों के अंडकोष की नलिका को बाहर निकाल कर उसकी ट्यूब में पॉलिमर का इंजेक्शन दिया जाएगा और फिर ये पॉलिमर स्पर्म की संख्या को कम करता चला जाएगा.

BBC
BBC
BBC

इस इंजेक्शन के ट्रायल के दौरान कुछ साइड इफेक्ट या दुष्प्रभाव भी देखने को मिले जैसे स्क्रोटल में सूजन दिखाई दी लेकिन स्क्रोटल सपोर्ट देने के बाद वो ठीक हो गया वहीं कुछ पुरुषों को वहां गांठे बनीं लेकिन धीरे-धीरे कम होती गईं.

डॉ. शर्मा बताते हैं कि इस इंजेक्शन पर आईसीएमआर 1984 से ही काम कर रहा था और इस इजेंक्शन में इस्तेमाल होने वाले पॉलिमर को प्रोफ़ेसर एसके गुहा ने विकसित किया है.

उनका कहना है कि अब ये पॉलिमर हरी झंडी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया या डीजीसीआई के पास गया हुआ है जिसके बाद ये फ़ैसला लिया जाएगा कि इसे कौन-सी कंपनी बनाएगी और कैसे ये लोगों तक पहुंचेगा.

भारत उन पहले देशों में से एक था, जिसने साल 1952 में राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत की थी.

लेकिन भारत के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ो पर नज़र डालें, तो जन्म को नियंत्रित करने के लिए गोलियां, कंडोम, नसबंदी जैसी विधियां परिवार नियोजन के लिए सबसे अधिक अपनाई जाती हैं.

डॉ अपर्णा शर्मा
BBC
डॉ अपर्णा शर्मा

अगर परिवार नियोजन के लिए अपनाई गई विधियों के तौर पर अगर नसबंदी की बात की जाए तो स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार साल 2010-2011 में 95.6 प्रतिशत महिलाओं ने नसबंदी करवाई और केवल 4.4 प्रतिशत पुरुषों ने नसबंदी के विकल्प को चुना.

माहवारी और प्रजनन के बारे में बताने वाला ऐप

कम बच्चे पैदा करने से क्या नुकसान होगा

परिवार नियोजन को लेकर अपानाए गए विकल्पों की बात करें तो डॉक्टरों का कहना है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के पास विकल्प ज्यादा है.

वहीं सरकार ने परिवार नियोजन के कार्यक्रम को और मज़बूत करने के लिए अंतरा और छाया जैसे विकल्प भी लेकर आई है. अंतरा एक इंजेक्शन है जो महिलाओं को तीन महीने में एक बार लगवाना होगा और छाया गोली का नाम है जो एक हफ़्ते में एक बार ली जाती है.

नसबंदी को लेकर सामने आए आंकड़ों के बाद ये दलील भी दी जाती है कि ऐसे में इस इंजेक्शन को लेने के लिए कितने ही मर्द सामने आएंगे. हालांकि डॉक्टर मानते हैं कि नसबंदी को लेकर फैली भ्रांतियों की वजह से पुरुष इसे अपनाने में हिचकते रहे हैं.

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के स्त्री रोग विशेषज्ञ विभाग में एसिसटेंट प्रो. डॉ अपर्णा सिंह बताती है कि समाज को जागरूक करने की ज़रूरत है. लोगों को समझना होगा कि वो एक ऑपरेशन था और ये एक इंजेक्शन है.

ग़लत जानकारियों के कारण लोग भ्रम में पड़ जाते हैं. ऐसे में ज़रूरत है कि सही जानकारी लोगों को दी जाए जो आसानी से उपलब्ध हो और परिवार नियोजन की जानकारी स्कूलो, कॉलेजों और युवा दंपतियों को दी जानी चाहिए.

वहीं राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने ससंद में एक प्राइवेट मेंबर बिल 'जनसंख्या विनियमन विधेयक, 2019' पेश किया गया था. जिसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाले लोगों को दंडित करने और सभी सरकारी लाभों से भी वंचित करने का प्रस्ताव है.

इस बिल की आलोचना भी हुई थी. लोगों का कहना था कि इससे ग़रीब आबादी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तो कुछ का कहना था कि ये बिल मुसलमान विरोधी है.

परिवार नियोजन भारत में हमेशा से ही एक राजनैतिक तौर पर संवेदनशील मुद्दा रहा है. भारत में लगे आपातकाल के दौरान संजय गांधी ने नसबंदी का अभियान चलाया था जिसकी काफ़ी आलोचना हुई थी.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
An injection that prevents you from becoming a father, but will men come forward
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X