एक इंजेक्शन और तीन महीने तक गर्भ से छुट्टी
"बिस्तर पर लेटे मेरे पति जब भी मुझे गर्भ निरोधक गोली लेते हुए देखते हैं, उनकी आंखों में संदेह तैर जाता है. उनकी आंखों का संदेह कहीं न कहीं उनकी दिलचस्पी पर भी असर डालता है और उनके इस बर्ताव से मैं भी सोच में डूब जाती हूं."
हर रात डिम्पी को होने वाले इस एहसास में एक दर्द भी है और एक सवाल भी.
ये सवाल वो अपने आप से पूछती थी. क्या गर्भधारण के लिए वो तैयार है?
"बिस्तर पर लेटे मेरे पति जब भी मुझे गर्भ निरोधक गोली लेते हुए देखते हैं, उनकी आंखों में संदेह तैर जाता है. उनकी आंखों का संदेह कहीं न कहीं उनकी दिलचस्पी पर भी असर डालता है और उनके इस बर्ताव से मैं भी सोच में डूब जाती हूं."
हर रात डिम्पी को होने वाले इस एहसास में एक दर्द भी है और एक सवाल भी.
ये सवाल वो अपने आप से पूछती थी. क्या गर्भधारण के लिए वो तैयार है?
उसकी पिछले साल नई-नई शादी हुई है. लेकिन कुछ ही महीने बाद उसे लगने लगा है कि अगर ख़ुशहाल जीवन के लिए सेक्स अहम है तो गर्भनिरोधक का इस्तेमाल कहीं न कहीं उसे प्रभावित तो करता है ही.
इसी उधेड़बुन में डिम्पी ने गाइनोकॉलजिस्ट से सम्पर्क किया. वहां उसे महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गर्भनिरोधक इंजेक्शन के बारे में पता चला.
क्या है गर्भ निरोधक इंजेक्शन?
महिलाएं गर्भ धारण से बचने के लिए हर तीन महीने में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं.
इसका नाम DMPA इंजेक्शन है.
DMPA का मतलब है डिपो मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रॉन एसीटेट.
यानी इस इंजेक्शन में हॉर्मोन प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तेमाल किया जाता है.
गाइनोकॉलजिस्ट (स्त्री रोग) डॉ. बसब मुखर्जी के मुताबिक ये इंजेक्शन तीन तरीके से काम करता है.
सबसे पहले इंजेक्शन का असर महिला के शरीर में बनने वाले अंडाणु पर पड़ता है. फिर बच्चेदानी के मुंह पर एक दीवार बना देता है जिससे महिला के शरीर में शुक्राणु का प्रवेश मुश्किल हो जाता है. इन दोनों वजहों से बच्चा महिला के शरीर में ठहर नहीं पाता.
इसकी कीमत 50 रुपए से लेकर 250 रुपए तक है.
गर्भ निरोधक इंजेक्शन से जुड़ी ग़लतफ़हमियां
दुनिया के दूसरे देशों में इसका इस्तेमाल बहुत सालों से चल रहा है. भारत में भी 90 के दशक में इसके इस्तेमाल की इज़ाजत मिल गई थी.
इसके बाद भी भारत सरकार के परिवार नियोजन के लिए दिए जाने वाले किट में इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा था.
वजह? इसके इस्तेमाल को लेकर मौजूद ग़लतफ़हमी.
गर्भ निरोधक इंजेक्शन के इस्तेमाल से महिलाओं में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, कैंसर का ख़तरा बढ़ जाता है. ऐसी ग़लतफ़हमियों की वजह से महिलाएं इससे बचती थीं.
लेकिन डब्लूएचओ की रिपोर्ट ने इस तरह की ग़लतफ़हमियों पर से पर्दा उठा दिया.
डब्लूएचओ की रिपोर्ट के हवाला देते हुए डॉ. रवि आंनद कहती हैं, "महिलाओं में इंजेक्शन के लंबे इस्तेमाल से हड्डियां कमज़ोर होती हैं. ये बात सही है, लेकिन इसका इस्तेमाल बंद करते ही वापस सामान्य हो जाती हैं."
इतना ही नहीं डॉ. रवि आंनद के मुताबिक इससे महिलाओं में कैंसर का ख़तरा भी कम हो जाता है.
गर्भ निरोध इंजेक्शन के फ़ायदे
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ बसब मुखर्जी के मुताबिक गर्भ निरोधक इंजेक्शन के इस्तेमाल के कई फ़ायदे हैं.
इसको गोली की तरह हर ऱोज लेने की झंझट नहीं है.
इसको इस्तेमाल करने से गर्भ धारण करने का ख़तरा न के बराबर है.
बच्चा होने के तुरंत बाद भी इसका इस्तेमाल शुरू किया जा सकता है क्योंकि इसमें प्रोजेस्ट्रॉन होता है.
कुछ लोग ज गर्भ निरोधक के इस्तेमाल को प्राइवेट रखना चाहते हैं, वो इस तरीके को ज़्यादा बेहतर मानते हैं.
इंजेक्शन के इस्तेमाल के बाद कुछ महिलाओं में ब्लीडिंग बहुत कम हो जाती है. डॉक्टर इसे अच्छा मानते हैं क्योंकि इससे महिलाओं में एनीमिया का ख़तरा कम हो जाता है.
सबसे अहम बात ये कि गर्भनिरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में गर्भ धारण करने की संभावना न के बराबर है.
इतना ही नहीं इसमें समय सीमा का बहुत ज़्यादा बंधन भी नहीं हैं. तीन महीने पूरे होने के चार हफ्ते बाद तक इसे लिया जा सकता. बीच में गर्भधारण का ख़तरा भी नहीं होता.
गर्भनिरोधक इंजेक्शन और प्रजनन दर
नेशनल फ़ैमली हेल्थ सर्वे-4 के आंकड़ों के मुताबिक देश में 145 ज़िले ऐसे हैं जहां प्रजनन दर यानी महिलाओं में बच्चा पैदा करने की दर तीन या उससे ज़्यादा है.
मतलब ये कि देश के 145 ज़िलों में महिलाएं तीन से ज़्यादा बच्चे पैदा करती हैं जो कि 'हम दो हमारे दो' की पॉलिसी के ख़िलाफ़ है.
ये 145 ज़िले देश के सात राज्यों में है. ये राज्य हैं बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, और छत्तीसगढ़.
इसलिए केन्द्र सरकार ने इन राज्यों में मुफ्त में बांटे जाने वाले गर्भ निरोधक किट में इंजेक्शन वाले गर्भनिरोध को डाला है.
रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में इस्तेमाल होने वाले गर्भनिरोधक इंजेक्शन की सफलता की दर 99.7 फ़ीसदी है.
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