फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुनीत मोहंती के पिता को बेटे की शहादत पर अफसोस से ज्यादा है गर्व
नई दिल्ली। गुरुवार को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) ने इस बात की पुष्टि कर दी कि जो ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 क्रैश हुआ है उसमें 13 वायुसैनिकों में से कोई भी जिंदा नहीं बच सका है। इस खबर के आते ही देशभर में लोग दुख प्रकट करने लगे और सोशल मीडिया पर स्टेटस पोस्ट करने लगे। जहां हर कोई दुखी है तो वहीं एक शख्स ऐसा भी है जिसे अपने 29 वर्ष के बेटे के चले जाने का अफसोस तो है लेकिन इस बात का गर्व है कि वह देश की सेवा में शहीद हुआ है।
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बेटे की शहादत पर गम से ज्यादा फख्र
यह शख्स कोई और नहीं बल्कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुनीत मोहंती के पिता सुरेंद्र कुमार मोहंती हैं। उन्हें बेटे के इतनी कम उम्र में चले जाने का गम है तो वहीं उनकी छाती यह बताते हुए चौड़ी हो जाती है कि बेटा ड्यूटी पर था और देश की सेवा करते ही शहीद हुआ है। सुरेंद्र कुमार मोहंती खुद एयरफोर्स में थे और ग्रुप कैप्टन की रैंक से रिटायर हुए।
हर सैनिक के लिए करते रहिए प्रार्थना
ओडिशा के अखबार ओडिशा सनटाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे एयरफोर्स से हमेशा प्यार रहा और मेरे बेटे ने भी इसे इतना ही प्यार किया। हर किसी को हमारे सैनिकों पर गर्व होना चाहिए और हमेशा उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए। मेरे बेटा उस समय शहीद हुआ जब वह ड्यूटी पर था और देश की सेवा में लगा था।' रिटायर्ड ग्रुप कैप्टन मोहंती ने यह भी कहा कि फ्लाइट लेफ्टिनेंट सुनीत एक सच्चे सैनिक थे और पूरी तरह से देश की सेवा में समर्पित थे।
साल 2014 में बने एयरफोर्स का हिस्सा
सुनीत मोहंती का जन्म सात नवंबर 1990 को चेन्नई के मिलिट्री हॉस्पिटल में हुआ था। 29 वर्ष के सुनीत ने केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की और फिर एनआईटी जमशेदपुर से बीटेक की डिग्री ली थी। बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एयरफोर्स को ज्वॉइन किया। साल 2014 में वह एयरफोर्स में कमीशंड हुए थे। मोहंती ओडिशा के गंजम जिले के तहत आने वाले बालियापल्ली गांव के रहने वाले थे। उनके निधन की खबर सुनते ही उनके फेसबुक पेज पर दोस्तों और उन्हें जानने वालों ने श्रद्धांजलि देनी शुरू कर दी है।
13 जून को आई बुरी खबर
तीन जून को असम के जोरहाट से ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 ने दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर टेक ऑफ किया था। इस एयरक्राफ्ट को अरुणाचल प्रदेश के मेचुका में लैंड करना था। दोपहर करीब एक बजे इसका सपंर्क एटीसी से टूट गया। आठ दिनों तक वायुसेना ने विमान के मलबे की तलाश में जमीन-आसमान एक कर दिया। आखिरकार 11 जून को अरुणाचल के नॉर्थ लिपो में विमान का मलबा नजर आया। आईएएफ ने रेस्क्यू टीम को एयरड्रॉप किया ताकि विमाने में सवार 13 लोगों की तलाश की जा सके। लेकिन 13 जून को आईएएफ ने इस बुरी की आधिकारिक पुष्टि कर दी कि क्रैश में कोई भी जिंदा नहीं बच सका है।