अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के चार असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति रद्द
इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की 2013 की वैकेंसी में चुने गये चार असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति रद्द कर दी है। यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दिया है। यह आदेश सोमवार को ही जारी हो गया था, जिस पर आज क्रियान्वयन के लिये आदेश की प्रतिलिपि यूनिवर्सिटी व सरकार को भेजी गई है।
दरअसल
अलीगढ़
मुस्लिम
यूनिवर्सिटी
में
सांख्यिकी
और
परिचालन
अनुसंधान
विभाग
में
कार्यरत
चार
असिस्टेंट
प्रोफेसरों
की
गलत
ढंग
से
नियुक्ति
करने
को
लेकर
हाईकोर्ट
में
याचिका
दाखिल
की
गई
थी।
जिस
पर
न्यायमूर्ति
सुधीर
अग्रवाल
और
न्यायमूर्ति
आई.ए.
खान
की
डबल
बेंच
ने
अपना
फैसला
सुनाया
और
चारों
असिस्टेंट
प्रफेसरों
की
नियुक्ति
रद्द
कर
नए
सिरे
से
नियुक्ति
करने
का
निर्देश
दिया
है।
क्या
है
मामला
अलीगढ़
मुस्लिम
यूनिवर्सिटी
में
प्रफेसर,
एसोसिएट
प्रफेसर
और
असिस्टेंट
प्रफेसर
की
वैकेंसी
8
नवंबर
2013
को
विज्ञापित
हुई
थी।
इसी
भर्ती
का
जब
फाइनल
रिजल्ट
आया
तो
उसमे
धांधली
व
अनियमितता
का
आरोप
लगाते
हुये
हाईकोर्ट
में
केस
फाइल
किया
गया।
याचिका
के
अनुसार
जिन
लोगो
का
असिस्टेंट
प्रफेसर
के
तौर
पर
चयन
किया
गया
उन्होंने
इस
पोस्ट
के
लिये
अप्लाई
नहीं
किया
था।
बावजूद
इसके
ऐसे
चार
लोगो
का
चयन
किया
गया।
इन्ही
चार
चयनितों
के
चयन
पर
सवाल
उठाये
गये
जिस
पर
हाईकोर्ट
ने
असिस्टेंट
प्रफेसर
के
तौर
पर
चयनित
चार
लोगो
का
चयन
रद्द
कर
दिया।
अदालत
ने
क्या
कहा
इस
याचिका
को
अलीगढ़
मुस्लिम
यूनिवर्सिटी
के
सांख्यिकी
एवं
परिचालन
अनुसंधान
विभाग
के
पूर्व
गेस्ट
लेक्चरर
डॉक्टर
कमाल
उल्लाह
ने
दाखिल
किया
था।
जिस
पर
न्यायमूर्ति
सुधीर
अग्रवाल
और
न्यायमूर्ति
आई.ए.
खान
की
डबल
बेंच
ने
सुनवाई
की।
अदालत
को
बताया
गया
कि
असिस्टेंट
प्रफेसर
के
पद
पर
डॉक्टर
इरफान
अली,
डॉक्टर
शकील
जावेद,
डॉक्टर
जाकी
अनवर
और
डॉक्टर
मोहम्मद
फैजान
की
नियुक्ति
की
गई
थी।
जबकि
इन
चारों
लोगो
ने
एसोसिएट
प्रफेसर
के
पदों
के
लिए
आवेदन
किया
था
और
वे
इसी
पद
के
लिए
इंटरव्यू
में
भी
शामिल
हुए।
लेकिन,
विश्वविद्यालय
प्रशासन/चयन
समिति
ने
गलत
ढंग
से
इनका
चयन
असिस्टेंट
प्रफेसर
के
पद
पर
किया
है।
उच्च
न्यायालय
ने
साक्ष्यों
के
अवलोकन
के
बाद
संबंधित
चारो
असिस्टेंट
प्रफेसर
की
नियुक्तियों
को
रद्द
करते
हुये
कहा
कि
यह
नियुक्तियां
पूरी
तरह
से
अवैध
थी।
क्योंकि
चयनित
लोगो
ने
न
तो
असिस्टेंट
प्रफेसर
के
पदों
के
लिए
आवेदन
किया
था
और
न
ही
इसके
इंटरव्यू
में
शामिल
हुए
थे।
हाईकोर्ट
ने
इस
भर्ती
को
फिर
से
कराये
जाने
का
निर्देश
दिया
है
।