अमृतसर रेल हादसा: 'मां नहीं होती तो मैं भी टुकड़ों में मिलता'
अमृतसर। बिट्टो देवी के घर के पास ट्रेन गुजरना राज की बात है, ना ही ये उनको कभी चौंकाता है लेकिन शुक्रवार शाम को जो उन्होंने देखा वो पहली बार है, जिसने उन्हें बुरी तरह डरा दिया है। शुक्रवार शाम को दशहरा मेला देख रहे लोगों जब ट्रेन के नीचे आने का मंजर बिट्टो ने अपनी आंखों से देखा। 43 साल की बिट्टो के परिवार का कोई शख्स इस हादसे का शिकार नहीं हुआ लेकिन हादसे में 61 से ज्यादा लोगों की जान गई है, वहीं सैकड़ों लोग घायल हैं। इस हादसे को के तीन चश्मदीदों ने उस भयानक मंजर को बताया है।
घर की बालकनी से देख रही थी रावण दहन
बिट्टो का घर रेल की पटरी और उस मैदान के करीब है, जहां हादसा हुआ। बिट्टो बताती हैं, मैं घर की बालकनी पर बैठी थी और मेला देख रही थी। यहां काफी तादाद में लोग जमा थे। धोबीघाट की बॉउंड्री पर भी काफी लोग थे। जैसे ही रावण का पुतला जला और पटाखे फूटने शुरू हुए तो लोग पीछे हुए। इससे बाउंड्री पर बैठे कुछ लोग गिर गए और बस फिर चीखपुकार मच गई। ट्रेन गुजरी और रेलवे ट्रैक पर सिर्फ कटे हुए शरीर पड़े दिख रहे थे।
मां ना बुलाती तो मैं भी कट गया होता
17 साल के पवन अपने घर पर लाइट और झालर वगैरह लगा रहे थे। उसके बहुत से दोस्त नीचे खड़े मेला देख रहे थे और वो भी उनके साथ थे। पवन की मां ने उन्हें बुलाया और देर ना करके घर पर लाइटें लगाने को कहा तो वो लाइट लगाने लगे। अगर मैं मां की बात ना मानता और जिद करके वहीं खड़ा होकर मेला देखता रहता तो मैं भी टुकड़ो में घर लौटता।
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'चाय का बर्तन मेरे हाथ से छूट गया'
53 साल की रक्षादेवी ने अपनी किचन की खिड़की से ये दर्दनाक मंजर देखा। रक्षादेवी के किचन की खिड़की रेलवे ट्रैक की तरफ है, वो शाम के वक्त चाय बना रही थीं। वो कहती हैं, अचानक ट्रेन गुजरी, मैंने बाहर देखा और चाय का बर्तन मेरे हाथ से गिर गया। पूरी जिंदगी में इससे बुरा मैंने कुछ नहीं देखा। लोगों के शरीर के अंग मुझे बिखरे दिखे, मैं ये देख बदहवाश सी हो गई।
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