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आंखो देखी: 'हमें महसूस तक नहीं हुआ कि ट्रेन आ रही है, ट्रेन गुजरी और सैकड़ों परिवार उजड़ गए'

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अमृतसर। रावण का दहन देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग अमृतसर के जोड़ा फाटक पर शुक्रवार को इकट्ठा हुए। बताया जा रहा है कि यहां हर साल ऐसा कार्यक्रम होता है, लेकिन इस बार कुछ ज्यादा बड़े कार्यक्रम का आयोजना करने की योजना बनाई गई थी। आयोजनकर्ताओं ने इतने बड़े कार्यक्रम के लिए रेलवे या प्रशासन से बात तक नहीं की। शाम के करीब 6.30 बजे रावण का दहन हो रहा था और लोग पटाखों और आग से अपने आप को बचाने के लिए पिछे की तरफ दौड़ रहे थे, कुछ मिनटों बाद एक तेज रफ्तार में ट्रेन आती है और पटरियों पर खड़े रावण दहन देख रहे लोगों को कुचल देती है। 100 से भी ज्यादा ट्रेन की चपेट में आ गए, जिसमें अब तक 61 लोगों की मौत हो चुकी है।

ट्रेन निकलने के बाद सैकड़ों परिवार उजड़ चुके थे

ट्रेन निकलने के बाद सैकड़ों परिवार उजड़ चुके थे

एक चश्मदीद के मुताबिक, 'हम सब रावण दहन को देख रहे थे और चारों तरफ अंधेरा था। हमने सुना तक नहीं कि ट्रेन आ रही है। जब ट्रेन निकली तो सैकड़ों परिवार उजड़ चुके थे।' मरने वालों में ज्यादातर लोग लेबर है। चश्मदीदों का कहना है कि आमतौर पर यह कार्यक्रम जल्दी ही समाप्त हो जाता है, लेकिन इस बार चीफ गेस्ट आने वाली थी, इसलिए देरी हुई। बता दें कि इस कार्यक्रम में नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू चीफ गेस्ट थी। इतना बड़ा कार्यक्रम के आयोजन के बाद भी पुलिस और प्रशासन शायद खुद रावण दहन देखने में व्यस्त था।

कोई मेरे बेटे को वापस लौटा दें

कोई मेरे बेटे को वापस लौटा दें

न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए एक अन्य चश्मदीद ने कहा, 'दशहरा कमेटी और प्रशासन की गलती है, जब ट्रेन आ रही थी तब उन्होंने अलार्म बजानी चाहिए थी। उन्हें पता करना चाहिए था कि ट्रेन धीमी गति से गुजरनी चाहिए।' घटना के बाद एक महिला अपने छोटे बच्चे को खोने के दुख में कराह रही थी कि कोई मेरे बेटे को वापस लौटा दें। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि 5 सेकेंड बाद जब ट्रेन निकली तो पटरियों के दोनों तरफ लाशों का अंबार लगा था, जिसे देखा तक नहीं जा रहा था।

मरने वालों में ज्यादातर लेबर

मरने वालों में ज्यादातर लेबर

मरने वालों में ज्यादातर लेबर और बाहर से काम करने आए लोग और उनका परिवार शामिल है, जो अपने बच्चों के साथ रावण दहन देखने के लिए आए थे। रेलवे ने कह दिया है कि उनकी तरफ से कोई चूक नहीं हुई और आयोजनकर्ताओं ने उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं दी थी। जहां रावण जल रहा था, वहां तीन रेलवे की पटरियां है और तीनों पर लोग खड़े होकर रावण दहन देखने में व्यस्त थे। ट्रेन गुजरने के बाद एक महिला रोते हुए कराह रही थी 'मेरा बेटा गायब हो गया है'

ये भी पढ़ें: अमृतसर ट्रेन हादसा: '1947 के बाद पहली बार देखा ऐसा मंजर, जहां किसी का सिर नहीं तो किसी का हाथ नहीं'

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English summary
Amritsar Train Accident: We could not hear train because of crackers, Says Eyewitness
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