अमृतसर ट्रेन हादसा: इमरजेंसी ब्रेक लगाए, हॉर्न भी बजाया, ड्राइवर अरविंद कुमार ने दर्ज कराया लिखित बयान
अमृतसर। दशहरा उत्सव के दौरान जोड़ा फाटक के पास हुए ट्रेन हादसे के दौरान 61 लोगों की मौत के मामले में नई जानकारी सामने आई है। खबर है कि डीजल मल्टीपल यूनिट (डीएमयू) के ड्राइवर ने अरविंद कुमार से विभाग को अपना लिखित बयान दिया है। अरविंद कुमार ने बताया कि उन्होंने इमरजेंसी ब्रेक लगाया था, लेकिन ट्रेन रुक नहीं पाई। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के ट्रेन से कट जाने के बाद भीड़ गुस्से में थी, इसलिए वह ट्रेन वहां से लेकर भाग गए। ट्रेन के ड्राइवर ने पूछताछ में कई और अहम खुलासे किए हैं।
बार-बार बजाया था हॉर्न, ट्रैक पर खड़े लोगों को ड्राइवर ने देखा था
कई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि मोड़ होने की वजह से ट्रेन का ड्राइवर भीड़ देख नहीं पाया था, लेकिन अपने लिखित बयान में ट्रेन के ड्राइवर ने इस बात को कबूला है कि उन्होंने ट्रैक के आसपास खड़ी भीड़ को देखा था। इतनी बड़ी संख्या में जमा लोगों को देखने के बाद ड्राइवर ने इमरजेंसी ब्रेक लगाया था और हॉर्न भी बार-बार बजाया, लेकिन ट्रेन नहीं रुकी और लोग ट्रेन की चपेट में आ गए। कुछ दूरी पर जाकर ट्रेन रुक गई थी, लेकिन लोग पत्थर बरसाने लगे और मैंने वहां से ट्रेन लेकर चल पड़ना उचित समझा।
ट्रेन हादसे के मामले में सब झाड़ रहे हैं पल्ला
अमृतसर ट्रेन हादसे में 61 लोगों की मौत हो चुकी है। जीआरपी ने इस संबंध में जो केस दर्ज किया है, उसमें गैर इरादतन हत्या की धाराएं लगाई गई हैं। रेलवे कह रहा है कि उसकी कोई गलती नहीं है, क्योंकि विभाग के पास ऐसी कोई सूचना स्थानीय प्रशासन की ओर से नहीं दी गई थी, कि ट्रैक पर सैकड़ों लोग एकत्रित हैं।
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गेटमैन की भूमिका संदिग्ध, उसके बारे में कुछ नहीं कह रहा रेलवे
ट्रैक पर जमा सैकड़ों के लोगों के बारे में ट्रेन के ड्राइवर को सूचना देने का काम गेटमैन का था, उससे पूछताछ भी की जा रही है, लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि हादसे के वक्त आखिर वह क्या कर रहा था। क्या उसने ड्राइवर को जानकारी दी? अगर नहीं दी तो क्यों नहीं दी? इस जवाबदेही को कौन तय करेगा, रेलवे विभाग कैसे इस सवाल से बच सकता है? अगर गेटमैन सूचना नहीं दे रहा तो क्या रेलवे उसकी जिम्मेदारी से बच सकता है?