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पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग से मिलने क्यों गए थे अमित शाह?

भारतीय जनता पार्टी प्रमुख अमित शाह ने मंगलवार को 2019 लोकसभा चुनाव 'संपर्क फ़ोर समर्थन' अभियान के तहत सबसे पहली मुलाक़ात पूर्व सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग से की.

अमित शाह गुड़गांव होते हुए जनरल सुहाग के घर दिल्ली कैंट पहुंचे और पूर्व सेनाध्यक्ष को पार्टी की कामयाबियों पर कुछ बुकलेट्स सौंपे.

पूर्व सेनाध्यक्ष से अमित शाह की मुलाक़ात को दो तरीक़े से देखा जा रहा है. 

By BBC News हिन्दी
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जाट, हरियाणा, कैराना
TWITTER @AmitShah
जाट, हरियाणा, कैराना

भारतीय जनता पार्टी प्रमुख अमित शाह ने मंगलवार को 2019 लोकसभा चुनाव 'संपर्क फ़ोर समर्थन' अभियान के तहत सबसे पहली मुलाक़ात पूर्व सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग से की.

अमित शाह गुड़गांव होते हुए जनरल सुहाग के घर दिल्ली कैंट पहुंचे और पूर्व सेनाध्यक्ष को पार्टी की कामयाबियों पर कुछ बुकलेट्स सौंपे.

पूर्व सेनाध्यक्ष से अमित शाह की मुलाक़ात को दो तरीक़े से देखा जा रहा है. पहला तो यह कि पार्टी से दूर हो रहे जाटों को क़रीब लाने का प्रयास और दूसरा सेना से प्रेम को लेकर संदेश देना.

सितंबर 2016 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के वक़्त जनरल दलबीर सिंह सुहाग भारतीय सेना के प्रमुख थे. जनरल सुहाग हरियाणा के रहने वाले हैं और उनका तालुक़्क़ जाट समुदाय से है.

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जाट नेता विपिन सिंह बालियान कहते हैं, "भारतीय जनता पार्टी को लग गया है कि जाट बिरादरी उससे दूर होती जा रही है तो ये कहीं न कहीं उन्हें जोड़ने का प्रयास है."

हालांकि, राष्ट्रीय जाट संरक्षण समिति के संयोजक विपिन सिंह बालियान इसे 'जाटों को दोबारा से बहकाने का प्रयास' क़रार देते हैं.

जनरल सुहाग झज्जर ज़िले के दुबलधन से तालुक़्क़ रखते हैं और कई लोगों का ख़्याल है कि बीजेपी उनके बलबूते सूबे में जाट नेताओं में आई शून्यता को ख़त्म करना चाहती है.

हरियाणा सरकार में मंत्री जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ भी जाट आरक्षण के मुद्दे को लेकर नाराज़ हैं.

हालांकि हरियाणा बीजेपी के प्रवक्ता संजय शर्मा का कहना है कि अमित शाह की जनरल सुहाग से भेंट भारत के पूर्व सेनाध्यक्ष से थी न कि किसी जाति, या क्षेत्र के किसी व्यक्ति से.

उन्होंने कहा, ''बीजेपी अध्यक्ष ने मंगलवार को ही क़ानून के जानकार सुभाष कश्यप से भी मुलाक़ात की, तो फिर सिर्फ़ जनरल सुहाग से भेंट की ही बात क्यों हो रही है?''

उन्होंने बीजेपी और जाटों के बीच किसी तरह की दूरी की बात से भी इनकार किया.

पहली बार बीजेपी सरकार

एक दूसरे बड़े बीजेपी जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह मोदी कैबिनेट में मंत्री हैं और वो कांग्रेस से बीजेपी में आए थे.

चंडीगढ़ स्थित राजनीतिक विश्लेषक दीप कमल सहारन कहते हैं, "वैसे भी जाट मूल रूप से, स्वभाव से या व्यवसाय के तौर पर बीजेपी से कभी नहीं जुड़ा था."

दीप कमल सहारन "दिल बदल हरियाणा" नामक किताब के लेखक हैं, जिसमें सूबे के वोटरों के बदले मिजाज़ का विश्लेषण है. हरियाणा राज्य के 52 साल के इतिहास में पहली बार बीजेपी ने अपने बलबूते सरकार बनाई है.

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जाट और कृषि संकट

लेकिन सूबे में बीजेपी की जो सरकार बनी उसका मुख्यमंत्री लंबे वक़्त के बाद जाट समुदाय से नहीं था. दीप कमल सहारन कहते हैं कि जाटों और बीजेपी में दूरी की एक वजह कृषि क्षेत्र की ख़स्ता हालत है जो पहले की तुलना में और गंभीर हो गई है.

उत्तर प्रदेश के कैराना की ही बात लें, वहां बीजेपी ने एक समय हिंदुओं के कथित पलायन का मुद्दा उठाया था. लेकिन वहां हो रहे लोकसभा उप-चुनाव में मुख्य मुद्दा गन्ने की ख़रीद का भुगतान बन बैठा.

तारा चंद मोर कहते हैं कि हो सकता है कि "एक या दो प्रतिशत ऐसे जाट हों जिनका खेती से कोई संबंध न हो वरना जाटों और किसानी को अलग-अलग नहीं कर सकते."

अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तारा चंद मोर का तो दावा है कि वर्तमान समय में 90 से 95 फ़ीसद जाट बीजेपी के ख़िलाफ़ हैं.

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जनरल सुहाग से बीजेपी अध्यक्ष की इस मुलाक़ात को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि दलबीर सिंह सुहाग ने पूर्व सेनाध्यक्ष और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री जनरल वीके सिंह पर अपनी पदोन्नति रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया था.

जनरल सुहाग ने ये आरोप सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए एक हलफ़नामे में लगाए थे. इत्तेफ़ाक़ से जनरल सुहाग और जनरल वीके सिंह दोनों का संबंध हरियाणा से है.

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PTI
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नए राजनीतिक समीकरण

रोहतक में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार सर्वदमन सांगवान सूबे में तैयार हुए नए राजनीतिक समीकरण की बात करते हैं जिसमें दलित कांग्रेस की ओर झुक रहे हैं, दूसरी तरफ़ सूबे में जाटों का झुकाव फिर से इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ़ है. आईएनडीएल और बहुजन समाज पार्टी में चुनाव को लेकर समझौता हो गया है.

कांग्रेस ने दलित समुदाय से तालुक़्क़ रखने वाले अशोक तंवर को हरियाणा इकाई का अध्यक्ष बनाया है. सूबे में दलितों की तादाद लगभग 20 फ़ीसद है और वो इस समय मोदी और बीजेपी की सरकारों से नाराज़ बताये जाते हैं.

पिछले चुनावों में अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाट बहुल क्षेत्र में मुंह की खानी पड़ी थी.

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मुज़फ़्फ़रनगर दंगे

विपिन सिंह बालियान आरोप लगाते हैं कि बीजेपी ने मुज़फ़्फ़रनगर और शामली दंगों को समझौते के तहत सुलझाने की तमाम कोशिशों को नाक़ाम करने की कोशिश की.

उनके मुताबिक़ 2017 के शुरुआत में समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह, अजित सिंह और दूसरे नेताओं की देख-रेख में जिस समझौता समिति का गठन किया गया उसे बीजेपी ने खाप चौधरियों को अपने साथ मिलाकर शिथिल करवा दिया.

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"संजीव बालियान खाप चौधरियों को योगी आदित्यनाथ के यहां लेकर गए और उनसे वायदा कर लिया गया कि उन पर चल रहे 133 मुक़दमों को वापिस ले लिया जाएगा."

लेकिन विपिन बालियान के मुताबिक़, "ये महज़ वायदा रहा."

इस बार उत्तर प्रदेश में हो रहे उप-चुनावों के दौरान केंद्रीय मंत्री सुरेश राणा और संजीव बालियान को जाटों की तरफ़ से भारी विरोध का सामना करना पड़ा.

राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव है और वहां हनुमान बेनीवाल जाट नेता के तौर पर सक्रिय हुए हैं.

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जाट आंदोलन
AFP/Getty Images
जाट आंदोलन

तारा चंद मोर कहते हैं, बीजेपी चाहे अमित शाह या चाहे मोदी को भी किसी से मिलवाये लेकिन जाटों पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला.

दीप कमल सहारन भी जनरल सुहाग और बीजेपी में जुड़ाव का कोई बड़ा असर नहीं देखते, लेकिन सर्व दमन सांगवान का मानना है कि आरक्षण आंदोलन के समय एक चर्चा कुछ हलक़ों में ये थी कि जाटों पर तो और गोलियां बरस सकती थीं, लेकिन जनरल सुहाग के सेनाध्यक्ष होने की वजह से ऐसा नहीं हुआ.

सर्वदमन सांगवान कहते हैं कि हालांकि दोनों बातों में कोई संबंध नहीं है, लेकिन ये बात कई बार वोटरों की मन: स्थिति को प्रभावित कर सकती हैं.

कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम फिर से साथ आ रहे हैं. वहीं, मुज़फ्फ़रनगर और शामली दंगों से जुड़े मुक़दमे का निपटारा नहीं हो पाया है और मुसलमान अभी भी अपने गावों को लौटने को राज़ी नहीं हैं.

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English summary
Amit Shah went to meet former army chief Dalbir Singh Suhag?
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