राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस के मुंह पर तमाचा, राहुल माफी मांगे: अमित शाह
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के राफेल डील मामले में जांच की मांग खारिज होने के बाद कहा है कि झूठ के पैर नहीं होते ये अदालत में साबित हुआ है। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल डील को लेकर भ्रम फैलाया लेकिन सुप्रीम कोर्ट में ये साबित हो गया कि डील साफ-सथुरी है और इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बता दें कि शुक्रवार को 36 राफेल फाइटर जेट की खरीद मामले की कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
राफेल पर सिर्फ और सिर्फ झूठ फैलाया गया
शाह ने कहा, राफेल सौदे के संबध में आये सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं। आज सत्य की जीत हुई है। देश की आजादी के बाद से एक कोरे झूठ के आधार पर देश की जनता को गुमराह करने का इससे बड़ा प्रयास कभी नहीं हुआ और ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह प्रयास देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष ने किया।
शाह ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने और अपनी पार्टी के तत्काल फायदे के लिए झूठ का सहारा लेकर चलने की एक नई राजनीति की शुरुआत की और सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने आज सिद्ध कर दिया है कि झूठ के पैर नहीं होते और अंत में जीत सत्य की ही होती है।
माफी मांगे राहुल गांधी
अमित शाह ने कहा कि जिस तरह से इस मामले पर राहुल गांधी ने देश को गुमराह किया, उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। राफेल खरीद के संबंध में देश की जनता को गुमराह करने और सेना के बीच में सन्देश पैदा करने के लिए राहुल गांधी को देश की जनता से मांफी मांगनी चाहिए। राहुल गांधी देश की जनता को जवाब दें कि वो किस आधार पर देश की जनता को गुमराह कर रहें थे।
शाह ने कहा, राहुल गांधी को ये भी बताएं कि किसके कहने पर उन्होंने झूठे इल्जाम सरकार पर लगाए। लगातार पीएम को चोर कहा गया, चौकीदार चोर है के नारे लगाए गए, इसके लिए राहुल माफी मांगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने जांच की मांग नकारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे में कहा है कि इसमें कोई विशेष कमी नहीं है। केंद्र के फैसले पर सवाल उठाना ठीक नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि विमान की क्षमता पर शक करना ठीक नहीं। इस मामले में जांच की कोई जरूरत नहीं है। इसके पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने पौने 4 घंटे लंबी सुनवाई के बाद 14 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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