2019 से पहले अमित शाह का मेगा अभियान बढ़ाएगा विरोधियों की मुश्किल
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नई दिल्ली। केंद्र की एनडीए सरकार अपने पांचवे साल के कार्यकाल में प्रवेश कर चुकी है, ऐसे में एनडीए के कई ऐसे सहयोगी हैं जिन्होंने भाजपा के खिलाफ अपना रुख सख्त किया है। लिहाजा एनडीए के तमाम सहयोगियों को एक बार फिर से पार्टी के साथ मजबूत स्थिति में जोड़ने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कवायद शुरू कर दी है। इस बाबत अमित शाह ने एनडीए के अहम सहयोगियों से बात करने का फैसला लिया है। दरअसल पिछले कुछ उपचुनावों में भाजपा को लगातार हार का सामना करना पड़ा है, जिसके बाद पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव से पहले किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है, लिहाजा एक बार फिर से एनडीए के सहयोगियों को मनाने की अमित शाह ने पहल की है।
शिवसेना, शिरोमणि अकाली दल अहम
एनडीए के जिन अहम सहयोगियों से अमित शाह मुलाकात करेंगे उसमे शिवसेवा और शिरोमणि अकाली दल शामिल हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में हुए उपचुनाव में कांग्रेस-एनसीपी की गठबंधन की चुनौती भाजपा को देखने को मिली थी, यही नहीं इससे पहले एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार कर्नाटक में सरकार के गठन के दौरान विपक्षी दलों के साथ मौजूद दिखे और उन्होंने खुद भाजपा के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों की एकजुटता के विचार का समर्थन किया था।
ठाकरे से करेंगे मुलाकात
अमित शाह आज मुंबई में संपर्क और समर्थन अभियान के तहत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह गुरुवार को पंजाब जाएंगे जहां शिरोमणि अकाली दल के मुखिया प्रकाश सिंह बादल और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल संग बैठक करेंगे। इसके अलावा अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात करेंगे, हालांकि उनके साथ बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है, लेकिन इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि यह बैठक जल्द ही हो सकती है। इसके साथ ही अमित शाह एनडीए के कई अन्य सहयोगियों से भी मुलाकात करेंगे।
दक्षिण में लग चुका है बड़ा झटका
गौर करने वाली बात यह है कि भाजपा पहले ही दक्षिण में अपने बड़े सहयोगी तेलगुदेशम पार्टी को खो चुकी है। मार्च माह में टीडीपी ने एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया था, जबकि शिवसेना के साथ भाजपा के रिश्ते लगातार तल्ख बने हुए हैं। दोनों ही पार्टियों ने महाराष्ट्र के पालघर सीट पर हुए उपचुनाव में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जहां भाजपा के उम्मीदवार को शिवसेना के खिलाफ जीत मिली थी। टीडीपी के एनडीए से अलग होने से पहले शिवसेना ने अपने मुखपत्रसामना मे भाजपा पर जमकर भड़ास निकालते हुए लिखा था कि वह अपने सहयोगियों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं कर रही है।
जदयू से भी रिश्ते तल्ख
वहीं बिहार में अगर भाजपा और जदयू के संबंधों की बात करें तो शिवसेना की तरह जदयू खुलकर बोलने से बचती है। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता ने उपचुनाव में हार के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया था। वहीं अकाली दल ने भी कई मौकों पर भाजपा के खिलाफ तल्ख बयान दिए हैं। कुछ दिन पहले शिरोमणि अकाली दल की नेता और मोदी सरकार में मंत्री हरशिमरत कौर ने गुरुद्वारा में होने वाले लंगर पर जीएसटी हटाने की बात कही थी, उन्होंने धमकी भरे लहजे में कहा था कि अगर यह जीएसटी नहीं हटाई जाती है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगी। जिसके बाद सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार कर लिया था।
बिहार में भी शाह की कोशिश
इन तमाम दलों के अलावा अमित शाह पीडीपी नेता और जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात करेंगे, साथ ही झारखंड और नॉर्थ ईस्ट और झारखंड में भी अपने सहयोगियों से शाह मुलाकात करेंगे। हालांकि पार्टी के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि यह बैठक सहयोगियों को मनाने के लिए हो रही है, उनका कहना है कि यह बैठक साधारण मुलाकात का हिस्सा है जोकि समय-समय पर होती रहती है। भाजपा गुरुवार को पटना में अपने सहयोगी दलों के लिए एक साझा पार्टी का भी आयोजन कर रही है, जिसमे भाजपा के महासचिव भूपेंद्र यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नित्यानंद राय, लोक जनशक्ति पार्टी के राम विलास पासवान और लोक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा हिस्सा लेंगे।