मुस्लिमों को नागरिकता संशोधन बिल से क्यों रखा बाहर? अमित शाह ने बताई वजह
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिलने के बाद आज राज्यसभा में पेश किया। बीजेपी ने पहले ही इस बिल को लेकर अपने सांसदों को आज राज्यसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया था। इस बिल का पूर्वोत्तर के राज्यों असम और त्रिपुरा में भारी हो रहा है। वहीं विपक्ष सरकार पर इस बिल के जरिए मुस्लिमों से भेदभाव करने का आरोप लगा रहा है। विपक्ष का कहना है कि इस बिल के कारण देश का मुसलमान डरा हुआ है। वहीं, राज्यसभा में बिल पेश करने के बाद अमित शाह ने विपक्ष के इन आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने सदन में ये तर्क रखे कि आखिर क्यों इस बिल से मुस्लिमों को बाहर रखा गया है।
मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं- शाह
राज्यसभा में बोलते हुए अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों पर कहा कि देश के मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि मोदी सरकार उनको पूरी सुरक्षा दे रही है। अगर कोई आपको डराने की कोशिश करे तो घबराएं नहीं। उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर गलत बातें फैलाई जा रही हैं कि ये मुस्लिमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि ये बिल्कुल गलत है, मुस्लिमों को इस बिल के कारण चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
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भारत में रहने वाले मुस्लमों से बिल का कोई लेना-देना नहीं- अमित शाह
शाह ने कहा कि इस बिल का भारत में रहने वाले मुस्लमों से कोई लेना-देना ही नहीं है। जो लोग आज हम पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं उनसे ये कहना चाहता हूं जिसे कि चुनाव से पहले ही कह चुका हूं इस बिल को लागू करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।' मुस्लिमों को इस बिल से बाहर रहने के विपक्ष के आरोपों पर अमित शाह ने कहा, 'क्या आप चाहते हैं कि हम पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पूरी दुनिया के मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करें? ऐसे कैसे हो सकता है?'
'धार्मिक आधार पर यातना झेलने वाले अल्पसंख्यक कहां जाएंगे?'
इस बिल की आलोचना करने वालों का कहना था कि यदि सरकार का इरादा धार्मिक यातना के शिकार अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का है, तो पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। राज्यसभा में गृहमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को धार्मिक आधार पर सताया गया था, उन्हें नागरिकता दी जा रही है। 'वे लोग कहां जाएंगे? क्या उन्हें जीने का अधिकार है या नहीं? क्या उन्हें नागरिक माना जाना चाहिए या नहीं?' अमित शाह ने पूछा। शाह ने कहा कि विपक्ष ने जो भी सवाल उठाए हैं, उनके हर सवाल का जवाब सरकार देने को तैयार है।
तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान
शाह ने कहा कि ये विधेयक बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेगा। गृहमंत्री ने कहा कि 1985 से लेकर नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक असम एकॉर्ड के Clause-6 की कमेटी ही नहीं बनी। लेकिन अब मैं असम के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भाजपा की सरकार Clause-6 की कमेटी के माध्यम से आपके सभी हितों की रक्षा करेगी। बता दें कि इस बिल में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यक (बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, हिंदू, पारसी) शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है।