राजस्थान विधानसभा चुनाव: महारानी सिर्फ चेहरा, शाह की ‘चुनावी बिसात’ पर शाह के ही होंगे मोहरे
नई दिल्ली। पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में राजस्थान में सबसे आखिर में 7 दिसंबर को तेलंगाना के साथ चुनाव होने हैं। राजस्थान में बीजेपी के लिए अपनी वसुंधरा राजे सरकार को बचाना एक मुश्किल चुनौती दिख रही है। पार्टी हर तरह से कोशिश में हैं कि राज्य में उसकी सत्ता बरकार रहे, इसके लिए कई तरह से रणनीति तैयार हो रही है। टिकटों के बंटावारे को लेकर भी पार्टी कई तरह के समीकरणों पर विचार कर रही है। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि टिकटों का सही तरीके से वितरण, उर्जावान और युवा नेताओं को टिकट देने से राज्य में बाजी उसके हक में पलट सकती है। कहा जा रहा है कि टिकटों पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व द्वारा ही लिया जाएगा। प्रदेश के कई मंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आलाकमान को आम लोगों की नारजगी की भी रिपोर्ट मिल रही है।
केंद्रीय बीजेपी नेतृत्व का मानना है कि राज्य में चुनाव का नतीजा इस पर तय होगा कि किस तरह से टिकटों का बंटवारा किया जाता है। राज्य में सत्ता विरोधी लहर को देखते हिए बीजेपी टिकटों को लकेर गहन मंथन कर रही है। टिकटों का बंटवरा ही बीजेपी की सत्ता में वापसी या फिर विदाई तय कर देंगे। पार्टी पहले राज्य में टिकटों को लेकर स्थिति साफ करना चाहती है और फिर चुनाव प्रचार अभियान और दूसरी चीजों पर ज्यादा ध्यान देगी।
जातीय समीकरणों पर भी नजर
केंद्रीय
नेतृत्व
को
रिपोर्ट
मिल
रही
है
की
राज्य
में
पार्टी
कार्यकर्ताओं
में
ही
वरिष्ठ
नेताओं
और
मंत्रियों
के
खिलाफ
नाराजगी
है
और
भ्रष्टाचार
के
आरोप
भी
लग
रहे
हैं।
आला
नेतृत्व
को
आम
लोगों
की
नाराजगी
के
साथ
ही
अपने
कार्यकर्ताओं
की
नाराजगी
को
भी
खत्म
करना
है।
इसके
अलावा
जातीय
समीकरणों
पर
भी
नजर
है
ताकि
इनका
इस्तेमाल
पार्टी
अपने
पक्ष
में
कर
सके।
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कांग्रेस की फूट से होगा फायदा
बीजेपी की नजर कांग्रेस के बागी खेमें पर भी है। राज्य में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कांग्रेस बंटी हुई है और राहुल गांधी इस बात का संकेत दे चुके हैं कि वो सचिन पायलट के साथ खड़े हैं। ऐसे में बीजेपी को लगता है कि वो कांग्रेस की अंदरुनी फूट का फायदा उठा सकती है।
वसुंधरा सिर्फ चेहरा
राजस्थान के भाजपा प्रभारी और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संकेत दिया था कि चुनाव में पार्टी का चेहरा वसुंधरा राजे ही होंगी लेकिन टिकटों को लेकर फैसला केंद्रीय नेतृत्व करेगा। इसे लेकर राज्य नेतृत्व की सहमति भी ली जाएगी लेकिन ज्यादातर नामों पर मुहर आला नेतृत्व ही लगाएगा। जावड़ेकर ने ये भी दावा किया है की बीजेपी पिछले पांच साल की सत्ता विरोधी लहर को 50 दिनों में अपने पक्ष में बदल देगी और राजस्थान में फिर से सरकार बनाएगी।
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