जिसे 'गुपकार गैंग' बता रहे शाह, लद्दाख में उसी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ BJP ले रही सत्ता सुख
लद्दाख। बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में 7 पार्टियों के बने गुपकार गठबंधन को गैंग कहने के बाद राजनीति पूरी तरह से गरम है। गृहमंत्री अमित शाह के बयान के बाद गुपकार गठबंधन की प्रमुख पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने बीजेपी पर पलटवार किया। पीडीपी ने कहा कि पुरानी आदत नहीं बदलती, पहले बीजेपी टुकड़े-टुकड़े गैंग कहती थी अब उन्होंने नया नाम गुपकार गैंग (Gupkar Gang) निकाला है। वहीं नेशनन कॉन्फ्रेंस ने गृहमंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उन्होंने विभिन्न मंचों पर राष्ट्र का बचाव किया है और वे राष्ट्रविरोधी नहीं हो सकते। गृहमंत्री को उनका इतिहास नहीं पता है। लेकिन खास बात ये है कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी जिसे गुपकार गैंग कहकर राष्ट्रविरोधी बता रही है उसी कथित 'गुपकार गैंग' की प्रमुख पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ बीजेपी लद्दाख में सत्ता में साझीदार है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल कॉन्फ्रेंस लद्दाख स्वायत्तशासी पर्वतीय विकास परिषद, कारगिल (LAHDCK) में बीजेपी की प्रमुख सहयोगी है। ये तब है जब नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला गुपकार समझौते के तहत गठित पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेयरेशन (PGAD) के प्रमुख भी हैं।
कारगिल
हिल
काउंसिल
में
साथ-साथ
LAHDCK
के
26
चुने
हुए
सदस्यों
में
10
सदस्य
नेशनल
कॉन्फ्रेंस
के
हैं।
8
कांग्रेस
से
चुने
गए
हैं
जबकि
3
बीजेपी
के
हैं।
वहीं
5
सदस्य
निर्दलीय
चुने
गए
हैं।
30
सदस्यीय
कार्यकारिणी
में
4
सदस्यों
को
LHADCK
प्रशासन
द्वारा
नियुक्त
किया
जाता
है।
परिषद
में
एक
चीफ
एग्जीक्यूटिव
काउंसल
के
साथ
ही
चार
एग्जीक्यूटिव
काउंसलर
होते
हैं।
वर्तमान
में
चीफ
एग्जीक्यूटिव
काउंसलर
के
पद
पर
नेशनल
कॉन्फ्रेंस
के
फीरोज
खान
हैं
जबकि
चार
एग्जीक्यूटिव
काउंसलर
में
एक
बीजेपी
के
मोहम्मद
अली
चांदन
हैं
जिनके
पास
स्वास्थ्य,
राजस्व,
कृषि,
वन,
वन्यजीव,
औद्योगिक
प्रशिक्षण
संस्थान
और
मृदा
संरक्षण
जैसे
महत्वपूर्ण
विभाग
हैं।
यहां
ये
बात
समझने
की
है
कि
2018
में
हुआ
काउंसिल
का
चुनाव
NC
और
बीजेपी
ने
अलग-अलग
लड़ा
था
लेकिन
अब
दोनों
साथ
हैं।
हालांकि 2018 के चुनाव में ऐसा नहीं था। तब दो सदस्य पीडीपी के भी चुने गए थे बीजेपी का सिर्फ एक ही था। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर परिषद की बागडोर संभाली थी। लोकसभा चुनाव 2019 के पहले दोनों अलग हो गए और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीडीपी के दो सदस्यों और चार निर्दलीयों के साथ LAHDCK में गठबंधन कर सत्ता पर नियंत्रण किया। कुछ ही महीने बाद पीडीपी के दोनों सदस्य बीजेपी में चले गए जिसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी हिल काउंसिल में साथ हैं।
अमित
शाह
ने
कहा
था
गैंग
जम्मू-कश्मीर
की
7
प्रमुख
पार्टियों
ने
पिछले
महीने
गुपकार
गठबंधन
का
ऐलान
किया
था।
इसका
उद्देश्य
जम्मू-कश्मीर
में
5
अगस्त
2019
के
पहले
वाली
स्थिति
को
बहाल
करना
है।
गुपकार
गठबंधन
के
तहत
सभी
पार्टियों
ने
इसी
महीने
केंद्र
शासित
जम्मू
कश्मीर
में
हो
रहे
जिला
विकास
परिषद
के
चुनाव
में
साथ
लड़ने
का
ऐलान
किया
है।
वहीं
मंगलवार
को
गृहमंत्री
अमित
शाह
ने
एक
के
बाद
एक
ट्वीट
कर
गुपकार
गठबंधन
पर
हमला
बोला।
शाह
ने
इस
गठबंधन
को
ऐसा
गैंग
बता
डाला
जो
कश्मीर
में
विदेशी
शक्तियों
का
दखल
चाहती
है।
हमारे
तिरंगे
का
अपमान
करते
हैं।
शाह
का
इशारा
एनसी
नेता
फारूख
अब्दुल्ला
और
पीडीपी
नेता
महबूबा
मुफ्ती
के
बयानों
की
तरफ
था।
गृहमंत्री
ने
कांग्रेस
नेता
सोनिया
गांधी
और
राहुल
गांधी
से
सवाल
भी
पूछा
था
कि
वे
इस
गठबंधन
के
इन
कदमों
का
समर्थन
करते
हैं?
बाद
में
कांग्रेस
को
सफाई
भी
देनी
पड़ी
थी
कि
वह
गुपकार
गठबंधन
का
हिस्सा
नहीं
है।
कारगिल
की
एनसी
अलग-
बीजेपी
एक
तरफ
तो
बीजेपी
इन
पार्टियों
को
जम्मू
कश्मीर
के
लिए
गैंग
कह
रही
है
वहीं
लद्दाख
में
उनके
साथ
हाथ
मिलाकर
सत्ता
में
है।
इस
सवाल
पर
लद्दाख
से
बीजेपी
सांसद
और
लद्दाख
इकाई
के
प्रमुख
जामयांग
सेरिंग
नामग्याल
कहते
हैं
कि
बीजेपी
गठबंधन
में
हैं
और
खुलकर
है।
आगे
भी
हम
पूरी
तरह
से
रहेंगे।
हम
गठबंधन
में
हैं
तो
हैं।
नामग्याल कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस और कारगिल की नेशनल कॉन्फ्रेंस को अलग भी बताते हैं। वे कहते हैं कि कारगिल की नेशनल कॉन्फ्रेंस का कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है। परिषद के अगले चुनाव में कारगिल की एनसी भी बीजेपी के साथ आ जाएगी। यहां कोई दूसरी पार्टी नहीं बचेगी। वे आगे कहते हैं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश हैं। जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य बनाने की मांग हो रही है और धारा 370 की बात भी हो रही है जबकि यहां (लद्दाख) ऐसा नहीं है। लद्दाख 370 के खिलाफ है।
ये तो हुई बीजेपी की बात लेकिन नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसर फीरोज खान कारगिल की नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी फारूख अब्दुल्ला वाली पार्टी का ही इकाई बताते हैं। वो कहते हैं कि हालांकि लद्दाख अब अलग केंद्र शासित क्षेत्र है लेकिन हमारी पार्टी एक ही है और फारूख अब्दुल्ला ही हमारे नेता हैं।
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