अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी को एक ब्रिज की तरह इस्तेमाल करने को कहा था, अमित शाह ने अपने बयान पर दी सफाई
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस के मौके पर दिए गए अपने एक बयान पर गुरुवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने कभी हिंदी भाषा को किसी अन्य भाषा पर लागू करने को नहीं कह। मेरा कहने का तात्पर्य यह था कि हमें हिंदी भाषा को अंग्रजी के स्थान पर उपयोग करना चाहिए जो कई राज्यों में तेजी से संचार का पसंदीदा माध्यम बनता जा रहा है।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में गृह मंत्री अमित शाह ने जनता से अपील की है कि वह उनका पूरा भाषण सुने फिर किसी निर्णय पर पहुंचे। अमित शाह ने कहा कि, उस भाषण में मैंने सभी भाषाओं को साथ लेकर चलने की बात कही थी, मैंने भारत में सभी भाषाओं को मजबूत करने के काम पर जोर दिया था। मैंने कहा था कि, हमें अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी को दूसरी भाषा के रूप में उपयोग करना चाहिए।
मैं गैर हिंदी भाषी: शाह
अमित शाह ने आगे कहा कि, हिंदी के साथ किसी भी स्थानीय भाषा की प्रतिस्पर्धा नहीं है, मैं खुद एक गैर हिंदी भाषी राज्य से आता हूं। बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सितंबर में हिंदी को देश में एक आम बोल चाल वाली भाषा के रूप में पेश किया था। शाह के इस बयान पर काफी बवाल भी मचा। दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों ने लोगों ने खुलकर शाह का विरोध किया, इसमें कई दक्षिण सिनेमा के स्टार भी शामिल थे।
दिया था ये बयान
खुद भाजपा शासित राज्य कर्नाटक में भी अमित शाह के इस बयान की खुलकर नाराजगी जताई गई, शाह के उपर दक्षिण भारत के लोगों पर हिंदी भाषा थोपने का भी आरोप लगा। बता दें अमित शाह ने अपने उस बयान में कहा था कि, यह भारत सरकार की जिम्मेदारी है कि हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार और विस्तार हो। पूरे देश में एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो विश्व में भारत की पहचान बनें।
विपक्ष ने जताई नाराजगी
शाह ने आगे कहा कि, भारत को एक सूत्र में कोई भाषा बांध सकती है तो वह हिंदी ही है। हिंदी भारत में सबसे अधिक बोलने वाली भाषा है। शाह के इस कथन के बाद से कई विपक्षी पार्टियों ने उनके खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया था। DMK के अध्यक्ष एमके स्टालिन ने 20 सितंबर को तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन के लिए अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को तैयार होने के लिए कहा था। केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि हिंदी भाषा अधिकांश भारतीयों की मातृभाषा नहीं है।