किसानों के आंदोलन को नहीं कहा राजनीति से प्रेरित, उनके हित के लिए है नया कानून: अमित शाह
नई दिल्ली: मोदी सरकार की ओर से लाए गए कृषि कानून के खिलाफ पंजाब-हरियाणा के किसानों का आंदोलन जारी है। गुरुवार से ही किसान पंजाब-हरियाणा और हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार की ओर रखी गई सशर्त बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। इस बीच एक बार फिर गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से शांति बनाए रखने की अपील की। साथ ही किसानों पर दिए अपने बयान को लेकर सफाई भी दी।

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव प्रचार में पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह के सामने पत्रकारों ने किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि मैंने कभी भी किसानों के आंदोलन को राजनीति से प्रेरित नहीं कहा और ना ही अब मैं ये कह रहा हूं। ये कृषि कानून उनके हित के लिए है। इससे एक दिन पहले अमित शाह ने किसानों से तय जगह (बुराड़ी ग्राउंड) पर प्रदर्शन करने की अपील की थी। साथ ही तीन दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बातचीत के लिए आमंत्रित किया था।
GHMC POLL 2020: रोड शो के बाद अमित शाह बोले- 'किसी को मारने नहीं, हैदराबाद सुधारने आए हैं'
खट्टर के बयान से अलग शाह का बयान
वहीं दूसरी ओर अमित शाह ने रविवार को किसान आंदोलन को लेकर जो बयान दिया, वो हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बयान से अलग है। सीएम खट्टर के मुताबिक किसानो को कृषि बिल से कोई समस्या नहीं है, जो लोग प्रदर्शन करने दिल्ली जा रहे हैं उनको राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। साथ ही खट्टर ने कोरोना काल में इस स्थित के लिए पंजाब सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले में पंजाब के सीएम को फोन किया था, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया।
शाह के प्रस्ताव पर क्या बोले किसान?
रविवार को पूरे दिन किसानों ने मंथन किया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने जो सशर्त बातचीत का प्रस्ताव रखा है, वो किसानों का अपमान है। वो बुराड़ी ग्राउंड किसी भी कीमत पर नहीं जाएंगे, क्योंकि वो एक तरह से खुली जेल है। किसान नेताओं का दावा है कि एक दिसंबर से उनका आंदोलन और ज्यादा तेज हो जाएगा।