अमित शाह के 10 बड़े आरोप जो उन्होंने ममता बनर्जी और टीएमसी पर लगाए
नई दिल्ली- मंगलवार को कोलकाता में अपने रोडशो के दौरान हुई हिंसा पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) ने टीएमसी (TMC) और उसकी सुप्रीमो ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के खिलाफ जमकर प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि 6 चरणों के चुनाव के बाद अपनी हार निश्चित देखकर उन्होंने इतना बड़ा एक्सट्रीम स्टेप उठाया है। शाह ने ये भी आरोप लगाया है कि ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar) की प्रतिमा को भी टीएमसी (TMC) के कार्यकर्ताओं ने ही तोड़ा है और अब उसपर सहानुभूति लेने की कोशिश कर रही है। आइए देखिए कि उन्होंने कौन-कौन से 10 गंभीर आरोप लगाए हैं।
1- बंगाल में लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है
6 चरण में देश भर में बंगाल (West Bengal) को छोड़कर कहीं हिंसा नहीं हुई है। इसका मतलब है कि हिंसा का कारण तृणमूल कांग्रेस (TMC) है, भारतीय जनता पार्टी (BJP) नहीं। अगर भारतीय जनता पार्टी (BJP)हिंसा करती तो हर राज्य में होनी चाहिए थी,क्योंकि टीएमसी सिर्फ बंगाल में और भाजपा सभी राज्यों में चुनाव लड़ रही है। मीडिया 6 चरणों की फुटेज के आधार पर दिखाए कि बंगाल में किस प्रकार से लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।
2- पुलिस मूकदर्शक बनी रही
रोड शो (Road Show)से तीन घंटे पहले बीजीपी (BJP)के पोस्टर-बैनर को हटाने का अधिकृत रूप से कार्यक्रम चलाया गया। पुलिस मूकदर्शक बनी रही। हमारे कार्यकर्ताओं को उकसाने का प्रयास किया गया। प्रधानमंत्री, मेरे और भाजपा प्रत्याशियों के पोस्टर फाड़े गए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने फिर भी शांति रखी। 7 किलोमीटर के रोड शो (Road Show)में कम से कम 2-2.5 लाख लोग फैले हुए थे। एक इंच भी जगह नहीं थी। कहीं भी हिंसा का वातावरण नहीं था। 2.30 घंटे तक बहुत अच्छे से रोड शो हुआ। हमले एक नहीं, तीन हुए। तीसरे हमले में आगजनी, पथराव और बोतल में केरोसिन डालकर आग लगाने की घटनाएं हुईं।
3-दंगे की आशंका के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया
सुबह से कोलकाता में अफवाह थी कि यूनिवर्सिटी से लड़के आकर दंगा करेंगे। पुलिस ने न किसी को गिरफ्तार किया और न ही सुरक्षा की कोई व्यवस्था की। और न ही किसी को रोकने का प्रयास किया। पथराव अंदर से किया गया और हमारे लोग बाहर थे।
4- सीआरपीएफ के कारण मैं बचा
मेरे रोड शो पर पथराव किया गया, जिसमें मैं सीआरपीएफ (CRPF) के बचाव के साधन के कारण बचा और नीचे आगजनी हो रही थी। अगर सीआरपीएफ न होती तो मेरा वहां से बच निकलना बहुत मुश्किल था, सौभाग्य से ही मैं बचकर आया हूं। इसके समर्थन में उन्होंने मीडिया के लोगों के साथ कुछ तस्वीरें भी साझा की हैं। इसमें उनके बचने का और प्रतिमा वाले कमरे की तस्वीरें शामिल हैं।
5- ईश्वरचंद विद्यासागर जी की प्रतिमा किसने तोड़ी?
दंगे के बाद की तस्वीर में गेट इंटैक्ट है, हम तो रोड के बाहर थे, तो अंदर जाकर ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)जी की प्रतिमा को किसने तोड़ा जिसका आरोप टीएमसी लगा रही है? अंदर से तो टीएमसी (TMC) के लोग पथराव कर रहे थे, केरोसिन बम फेंक रहे थे। वे लाठी और सरिया लेकर बाहर आ रहे थे। गेट अगर टूटा नहीं है, अंदर से बंद है तो ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)जी की प्रतिमा को किसने तोड़ा? भाजपा कार्यकर्ता तो अंदर थे ही नहीं, सारे के सारे बाहर थे। बीच में पुलिस थी, किसने तोड़ा?
6-टीएमसी के गुंडों ने तोड़ी प्रतिमा
झूठी सहानुभूति बटोरने के लिए ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) के कार्यकर्ताओं ने ही ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)की प्रतिमा को तोड़कर एक नाटक और षड़यंत्र रचने का काम किया है। सभी प्रचार माध्यमों से आग्रह है कि अपने-अपने फुटेज सार्वजनिक करें। सारी घटनाएं, सारे सबूत इंगित करते हैं कि ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)की प्रतिमा को टीएमसी (TMC)के गुंडों ने तोड़ा है, हारी हुई बाजी को पलटने के लिए तोड़ा है।
7-किस के पास थी कमरे की चाबी?
ईश्वरचंद विद्यासागर (Ishwar Chandra Vidyasagar)की प्रतिमा दो कमरों के अंदर लगी हुई थी, वह बाहर नहीं थी। 7.30 का समय था, कॉलेज बंद था, तब किसने खोले कमरे? किसके पास चाबी होती है? ताला भी नहीं टूटा है। चाबी कहां से आई, किसके पास आई? भाजपा कार्यकर्ताओं के पास कैसे चाबी आ सकती है? इस कॉलेज पर किसका प्रशासनिक कब्जा है? टीएमसी (TMC) का है।
8-वोट बैंक की राजनीति के लिए पुतला तोड़ा गया
वोट बैंक की राजनीति के लिए इतने लब्धप्रतिष्ठ शिक्षाशास्त्री के पुतले को तोड़ना- मैं मानता हूं कि टीएमसी (TMC)की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। 6 चरणों के चुनाव में भारी रिगिंग हुई है। पांचवें चरण के बाद उन्हें हार साफ दिखाई पड़ रही है, इसलिए इन्होंने एक एक्सट्रीम स्टेप लेने का प्रयास किया।
9-चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल
चुनाव आयोग बंगाल में मूक प्रेक्षक बना हुआ है। चुनाव आयोग को तुरंत दखल देना चाहिए। देशभर में हिस्ट्रीशीटर (अपराधी) को चुनाव के दिन गिरफ्तार किया जाता है। बंगाल में 107 का बॉन्ड लेकर छोड़ दिया जाता है। चुनाव आयोग ने दो स्टैंडर्ड क्यों बनाए हैं? बंगाल में एक भी हिस्ट्रीशीटर अरेस्ट नहीं हुआ है। चुनाव आयोग चुप क्यों बैठा है? इस तरह चुनाव कराने से चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर ढेर सारे सवाल उठ रहे हैं।
10- ममता के चुनाव प्रचार पर बैन क्यों नहीं?
ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने सार्वजनिक तौर पर बदला लेने की धमकी दी, लेकिन चुनाव आयोग ने उसे संज्ञान में क्यों नहीं लिया? उनके प्रचार पर बैन क्यों नहीं किया गया? अमित शाह ने कहा है कि अभी एक चरण का चुनाव और बाकी है और इसमें चुनाव आयोग को वो सारे इंतजाम करने चाहिए, ताकि वहां स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाया जा सके।