NCP को दिए समय से पहले महाराष्ट्र में क्यों लगा राष्ट्रपति शासन, अमित शाह ने बताई बड़ी वजह
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जिस तरह से शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सरकार बनाने में विफल रहे, उसके बाद तमाम दलों के नेताओं ने राज्यपाल पर भेदभाव का आरोप लगाया था। लेकिन इन तमाम आरोपों पर गृहमंत्री अमित शाह ने खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमित शाह ने कहा कि जो लोग राज्यपाल पर भेदभाव का आरोप लगा रहे हैं, वह महज कोरी राजनीति है, कहीं पर भी मेरी दृष्टि से संविधान को तोड़ने मरोड़ने का प्रयास नहीं किया गया है।
क्यों समय से पहले लगा राष्ट्रपति शासन
दरअसल राज्यपाल ने एनसीपी को मंगलवार रात 8.30 बजे तक सरकार बनाने का समय दिया था, लेकिन शाम को तकरीबन पांच बजे ही राज्यपाल ने प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुसंशा करते हुए राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज दी थी। जिसके बाद राज्यपाल पर आरोप लगा था कि उन्होंने जल्दबाजी में यह फैसला लिया। लेकिन अमित शाह ने इसपर बड़ी बात कही है। अमित शाह ने कहा कि मैं आपको बता दूं कि शायद वो अपने साथी को पूछते नही हैं। दोपहर में लगभग 11.30 से 12.30 तक एनसीपी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार बनाने को लेकर अपनी असमर्थता जाहिर कर दी थी, उन्होंने कहा था कि आज रात 8.30 बजे तक हम सरकार नहीं बना सकते हैं। ऐसे में राज्यपाल महोदय को रात 8.30 बजे तक इंतजार करने की जरूरत ही नहीं थी।
राज्यपाल के पास कोई विकल्प नहीं था
सरकार बनाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिए जाने के आरोप पर अमित शाह ने कहा कि 18 दिन तक राज्यपाल ने राह देखी, 9 नवंबर को विधानसभा की अवधि समाप्त हो गई, जिसके बाद राज्यपाल ने रिकॉर्ड के लिए हर पार्टी को न्योता दिया था। जब कोई भी पार्टी सरकार बनाने के लिए नहीं गई तो राज्यपाल क्या करते। आज भी अगर किसी के पास बहुमत है तो वह राज्यपाल के पास जा सकता है, 6 महीने का समय है। जहां तक लोगों को मौका देने की बात है तो आज भी राज्यपाल के पास जा सकते हैं, अगर किसी के पास नंबर है।
आज भी मौका है
विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष कोरी राजनीति कर रहा है, एक संवैधानिक पद पर सवाल खड़ा करना गलत है। राज्यपाल ने सबको छह महीने का समय दे दिया है। राज्यपाल महोदय ने सही काम किया है। आज शिवसेना को मौका दिए हुए पांचवा दिन है, कहां है शिवसेना। अभी सबके पास समय है, कोई भी जा सकता है। कपिल सिब्बल जैसे व्यक्ति देश के सामने बचकाना तर्क रख रहे हैं। आज भी मौका है, अगर आपके पास नंबर है तो सरकार बनाने का दावा पेश करिए।
शिवसेना की मांग स्वीकार नहीं
शाह ने कहा कि हमने शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और नतीजे आने के बाद जब साथी दल ने ऐसी शर्त रखी जो हम स्वीकार नहीं कर सकते। वहीं जब शाह से पूछा गया कि शिवसेना के साथ बैठक में क्या फैसला हुआ था तो उन्होंने कहा कि यह हमारी पार्टी का संस्कार है कि बंद कमरे में राजनीतिक चर्चा को सार्वजनिक नहीं करते हैं। शाह ने कहा कि अगर भ्रांति खड़ाकर शिवसेना को लगता है कि देश की जनता की सहानुभूति हासिल करेंगे तो मुझे लगता है कि उन्हें देश की जनता की समझ पर भरोसा नहीं है। हम तो तैयार थे शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए, लेकिन शिवसेना की कुछ मांग ऐसी थी जिसे हम स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
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