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बीजेपी के खजाने की कौन कर रहा है पहरेदारी?

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी खुद को पार्टी विद अ डिफरेंस बताती है। चूंकि राजनीतिक दल संविधान के दायरे में रहकर अपना कार्य करते हैं और संविधान के नियमों का पालन करने के लिए वे बाध्य भी होते हैं। लेकिन एक ऐसी चीज है जो बीजेपी के 'पार्टी विद अ डिफरेंस' वाले दावे पर सवाल उठाती है। बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली लगभग एक जैसा ही सोचते हुए दिखाई हैं। बीजेपी कोषाध्यक्ष पद के लिए 30 महीने से किसी को मनोनीत नहीं किया गया है। इसके पहले, ये जिम्मेदारी पीयूष गोयल संभालते थे। तो दूसरी तरफ, आरबीआई विवाद सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम कर रहा है।

पीयूष गोयल रहे थे आखिरी कोषाध्यक्ष

पीयूष गोयल रहे थे आखिरी कोषाध्यक्ष

इंडिया टूडे ग्रुप के हवाले के छपी एक खबर के मुताबिक, बीजेपी के कोषाध्यक्ष की है जो 30 महीनों से खाली है क्योंकि पीयूष गोयल को केंद्रीय कैबिनेट में जगह दी गई तब उन्होंने 16 जनवरी 2016 को पार्टी के कोषाध्यक्ष पद छोड़ दिया था। चूंकि एक व्यक्ति एक पद वाली नीति के कारण गोयल को जिम्मेदारी नहीं दी गई लेकिन ये पद रिक्त ही रह गया। ऐसे में देश का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बिना कोषाध्यक्ष के ही काम करता दिखाई दे रहा है। पार्टी कोषाध्यक्ष फंड को संभालने का काम करता है और दफ्तरों का खर्च, चुनाव प्रचार का खर्च, अध्यक्ष एंव अन्य पदाधिकारियों के यात्रा का आदि खर्च का लेखा-जोखा कोषाध्यक्ष ही रखता है।

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बीजेपी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसके पास?

बीजेपी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी किसके पास?

लेकिन सवाल ये है कि जब बीजेपी अध्यक्ष ने किसी सदस्य को इसके लिए मनोनीत नहीं किया है तो कार्यकारिणी के किस सदस्य को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है? पार्टी के संविधान के मुताबिक, एक कोषाध्यक्ष मनोनीत किया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, कोषाध्यक्ष के नाम पर जारी मतभेद के कारण ऐसा हो रहा है। ऐसे में बीजेपी बिना कोषाध्यक्ष के कैसे काम कर रही है, ये सवाल लाजिमी है।

आरबीआई के साथ सरकार का विवाद

आरबीआई के साथ सरकार का विवाद

दूसरी तरफ, आरबीआई के साथ विवाद को लेकर पहले ही केंद्र की किरकिरी हो रही है। दरअसल, देश के खजाने की निगरानी का जिम्मा आरबीआई का है और गवर्नर इसकी निगरानी का काम संभालते हैं। लेकिन साढ़े चार के सरकार के कार्यकाल के दौरान आरबीआई के गवर्नरों का जो बयान और रवैया सामने आया है, उसके बाद कई सवाल उठे हैं। हाल ही में उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया था और इसके पीछे निजी कारणों क हवाला दिया था।

खजाने की निगरानी पर मतभेद जारी

खजाने की निगरानी पर मतभेद जारी

दुनिया के कई देशों में अपनी समझ-बूझ के कारण तारीफ बटोर चुके रघुराम राजन का कार्यकाल न बढ़ाया जाना विवाद का कारण बना तो उर्जित पटेल भी अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले इस्तीफा देकर चले गए। वित्त मंत्रालय के नियमों के साथ सामन्जस्य न स्थापित कर पाना इसके पीछे कारण बताया जा रहा है।

Comments
English summary
amit shah not ready to give responsibility to some one for bjp treasurer
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