बीजेपी के चाणक्य की अब विधानसभा चुनावों पर नजर, कश्मीर-बंगाल पर की खास चर्चा
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह की नजरें अब साल के आखिर में होने वाले राज्यों के विधानसभा चुनाव पर है। इसके साथ ही उनकी प्राथमिकता में जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल भी है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाह को मोदी सरकार में गृह मंत्री का महत्वपूर्ण पद भी दिया गया है। ऐसे में वो जल्द ही पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं। लेकिन उससे पहले अमित शाह ने दिल्ली में आज हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के नेताओं के साथ बैठक की।
शाह की विधासभा चुनावों पर नजर
अमित शाह ने रविवार को दिल्ली में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के सीनियर नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में यहां होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई। इन तीन राज्यों में इस साल के आखिर में चुनाव है। मौजूदा वक्त में यहां बीजेपी की सरकार है। साल 2014 में राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद उनके मार्गदर्शन में पार्टी ने तीनों राज्यों में सरकार बनाई थी। नई दिल्ली में हुई बैठक में अमित शाह के अलावा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, हरियाणा प्रदेश मंत्रिमंडल के सदस्य अनिल विज समेत कई नेता मौजूद रहे। अमित शाह ने तीनों राज्यों के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक की।
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तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकारें
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटें हैं और बीजेपी ने यहां 70 प्लस का लक्ष्य रखा है। बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 सीटें जीतकर क्लीन स्वीप किया है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 90 में से 47 सीटें जीतकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई वाली कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया था। वहीं महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटे हैं और यहां बीजेपी और शिवसेना की सरकार हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने 48 में से 41 सीटें जीती हैं। बीजेपी ने 23 और शिवसेना ने 18 सीटें जीती। वहीं झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एनडीए ने 12 सीटें जीती। इसमें 11 बीजेपी और 1 आजसू ने जीती।
शाह की जम्मू कश्मीर और बंगाल पर भी नजर
अमित शाह की नजरें जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल पर भी हैं। वो उनकी प्राथमिकता में है। मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों का परिसीमन करना चाहती है। इसी को लेकर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री सत्यपाल मलिक के साथ बातचीत भी कर चुके हैं। राज्य में पिछले 16 सालों से परिसीमन नहीं हुआ है। गौरतलब है कि साल 2002 में फारूक अब्दुल्ला सरकार ने संविधान में संसोधन करके जम्मू-कश्मीर में 20126 तक परिसीमन पर रोक लगा दी थी। पार्टी की प्रदेश इकाई ने इसका स्वागत किया है। पार्टी चाहती है कि परिसीमन आयोग विधानसभा और लोकसभा दोनों क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से परिभाषित करे। गृह मंत्रालय पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की योजना बना रहा है।
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