अमित शाह ने राज्यसभा में पेश किया जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने का प्रस्ताव
नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला प्रस्ताव पेश किया। ये प्रस्ताव लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। लोकसभा में कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। इस बिल को लेकर लोकसभा में सरकार और विपक्षी दलों मे तीखी बहस हुई थी। राज्यसभा में सरकार के लिए इस प्रस्ताव को पारित कराना आसान नहीं होगा क्योंकि सरकार के पास उच्च सदन में बहुमत नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने वाला प्रस्ताव पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि 2 जुलाई को राष्ट्रपति शासन की अवधि खत्म हो रही है। उन्होंने कहा कि 20 जून 2018 को पीडीपी सरकार के पास समर्थन ना होने की वजह से और फिर किसी भी पार्टी के सरकार बनाने के दावा पेश ना करने के बाद राज्य में 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद राज्यपाल ने 21 नवंबर 2018 को विधानसभा भंग कर दी।
अमित शाह ने कहा कि राज्यपाल शासन के बाद केंद्र सरकार ने 256 का इस्तेमाल कर 20 दिसंबर 2018 से राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया था। शाह ने कहा कि आज इस शासन को और 6 महीने बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर आया हूं। इसके अलावा शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल 2019 भी उच्च सदन के पटल पर रखा, ये बिल भी लोकसभा में पारित किया जा चुका है।
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आरक्षण संशोधन बिल पर बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर आरक्षण बिल 2004 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत सीधी भर्ती, प्रमोशन, प्रोफेसनल कोर्स और शिक्षा के अन्य कोर्स में 43% वर्टिकल आरक्षण का प्रावधान किया गया है। गृहमंत्री ने कहा कि इसके अंदर अनुसूचित जातियां 8%, जनजातियां 10%, पिछड़े इलाके में रहने वाले लोगों को 20%, कमजोर और निर्धन लोगों को 2% और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के लिए 3% आरक्षण का प्रावधान है।