अमित शाह ने बताया, PM मोदी ने RCEP डील को क्यों ठुकराया
नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को भारत द्वारा रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) डील को ठुकराने के फैसले को साहसिक बताया। उन्होंने इस डील को लेकर नरेंद्र मोदी के 'इंडिया फर्स्ट' रूख की तारीफ की। द इकोनामिक्स टाइम्स में लिखे गए एक लेख में अमित शाह ने कहा कि ये पीएम मोदी के नेतृत्व में न्यू इंडिया के आत्मविश्वास को दर्शाता है।
शाह ने बताया कि पीएम मोदी खुद ये बता चुके हैं कि भारत को आरसीईपी में शामिल होने का फायदा क्यों नहीं होगा? पीएम मोदी ने कहा था कि जब मैं आरसीईपी में शामिल होने पर भारत के हितों के बारे में सोचने की कोशिश करता हूं तो मुझे इसका जवाब नहीं मिलता। ना तो गांधी जी की त्मनिर्भरता की नीति और न ही मेरी समझ मुझे आरसीईपी में शामिल होने की अनुमति देती है।
शाह ने कहा कि आरसीईपी से बाहर निकलने के पीएम मोदी के फैसले से पता चलता है कि वह देश के किसानों, सूक्ष्म और मध्यम उद्योगों, कपड़ा और अन्य इंड्स्ट्रीज के हितों के लिए किसी भी हद तक जाने का मद्दा रखते हैं। व्यापार घाटे और डंपिंग जैसे मुद्दों पर भारत की चिंताओं को समायोजित करते हुए पीएम ने इस पर कोई समझौता नहीं किया। शाह ने आगे लिखा कि भारत को ऐसी किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि का हिस्सा नहीं होना चाहिए, जो एकतरफा हो और हमारे किसानों और उद्यमियों के हित खतरे में हों।
शाह ने कांग्रेस की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली पार्टी साल 2007 में भारत के हितों की रक्षा करने में विफल रही। उन्होंने कहा कि ऐसा क्षेत्रीय व्यापार समझौते (आरटीए) के लिए चीन के साथ जुड़ने की योजना बनाने के वजह से हुआ। इसकी वजह से भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा 23 गुना बढ़ गया था। यह साल 2005 में 1.9 बिलियन यूएस डॉलर से बढ़कर 2014 में 44.8 बिलियन यूएस डॉलर हो गया था।
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