बिहार में इंसेफिलाइटिस से बच्चों की मौत, प्राइवेट नर्सिंग होम का उद्घाटन करने में व्यस्त हैं स्वास्थ्य मंत्री
नई दिल्ली। जिस तरह से बिहार में चमकी बुखार की वजह से लगातार बच्चों की मौत हो रही है, उसके बाद प्रदेश सरकार कटघरे में है। अबतक चमकी बुखार की वजह से 152 बच्चों की मौत हो चुकी है। अकेले मुजफ्फरपुर में 130 बच्चें अपनी जान गंवा चुके हैं। इस बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे प्राइवेट अस्पताल का उद्धाटन करने में व्यस्त हैं। इसे पहले भी स्वास्थ्य मंत्री साहब उस वक्त चर्चा में आए थे जब वह बच्चों की मौत की चर्चा के बीच उन्होंने क्रिकेट मैच का स्कोर पूछा था।
जमकर की तारीफ
मंगल पांडे ने रविवार को एक निजी नर्सिंग होम का उद्घाटन किया और इस मौके पर इस नर्सिंग होम की जमकर तारीफ भी की। बता दें कि नर्सिंग होम के उद्घाटन का कार्यक्रम एक आलीशान होटल में रखा गया था, जहां मंगल पांडे ने कहा कि मैंने खुद नर्सिंग होम के सारे इंतजाम को देखा है। इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी भी मौजूद थे। उन्होंने निजी अस्पताल को बिहार के सरकारी अस्पताल से बेहतर बताते। उन्होंने कहा कि यह निजी अस्पताल पीएमसीएच से भी बेहतर है।
सरकारी अस्पताल की सुध नहीं
शर्मनाक बात यह है कि रविवार को मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज की छत का एक हिस्सा टूटकर गिर गया और स्वास्थ्य मंत्री साहब निजी अस्पताल का उद्घाटन और उसकी तारीफ करने में जुटे थे। बता दें कि बिहार की नीतीश सरकार ने पहली बार चमकी बुखार के संबंध में कार्रवाई की है। लापरवाही बरतने के आरोप में अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन को सस्पेंड कर दिया गया है।
लगातार हो रही बच्चों की मौत
आपको बता दें कि बिहार से स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को एसकेएमसीएच में तैनात किया था। उनकी तैनाती के बाद भी अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका। बच्चों की मौत होती रही। अधिकारियों ने बताया कि यहां इलाज की पूर्ण व्यवस्था व सभी दवाएं उपलब्ध हैं। विशेषज्ञों की टीम की तैनाती कर दी गई है। इसमें दिल्ली एम्स से दो, वहां के विभिन्न अस्पतालों से 15, पटना, दरभंगा व नालंदा मेडिकल कॉलेज से तीन-तीन विशेषज्ञ चिकित्सक शामिल हैं। यहां आनेवाले मरीजों की समुचित जांच व इलाज की मुफ्त व्यवस्था है। जरूरतमंद बच्चों को अस्पताल से ब्लड उपलब्ध कराया जा रहा। इसके लिए किसी परिजन के ब्लड देने का इंतजार नहीं किया जा रहा।