LAC पर तनाव के बीच रूस ने भारत को S-400 एयर डिफेंस सिस्टम जल्द देने पर कही ये बात
नई दिल्ली- रूस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम जल्द उपलब्ध कराने के आग्रह पर विचार करने की बात कही है। रूसी राजनयिक ने गुरुवार को नई दिल्ली में कहा कि वैसे तो इसके पहले बैच की आपूर्ति भारत को अगले साल के अंत में की जानी है, लेकिन भारत के अनुरोध पर डिलिवरी की प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश की जाएगी। दोनों देश केए-226 मल्टी-पर्पस हेलीकॉप्टर की डील भी जल्द फाइनल करने की कोशिश में हैं। रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुश्किन ने कहा कि इसमें यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तर्ज पर इसमें हर संभव ज्यादा से ज्यादा लोकल कंपोनेंट्स का इस्तेमाल हो।
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रूसी राजनयिक ने कहा है कि 540 करोड़ डॉलर की एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की डील के तहत भारत को यह सिस्टम 2021 के अतं में उपलब्ध करवाया जाना है। लेकिन, 'अगर भारत की ओर से यह आग्रह है कि एस-400 की डिलिवरी को तेज किया जाए तो हम उसकी इस आवश्यकता को हर संभव जल्द पूरा करने के लिए तैयार हैं। 'गौरतलब है रि अमेरिकी कानूनों के तहत पाबंदियों की आशंका के बीच भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के चलते कई तरफ से यह मांग उठी है कि इस डील को जल्द से जल्द अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए। भारत ने इस डील के लिए पिछले साल 85 करोड़ डॉलर का पहला भुगतान कर दिया था और दोनों देशों ने इसके लिए एक व्यापक प्रणाली भी विकसित की है।
बाबुश्किन ने यह भी बताया कि भारत और रूस 200 Kamov Ka-226 हेलीकॉप्टर की सप्लाई की डील फाइनल करने के भी बेहद करीब है। इनमें से 140 हेलीकॉप्टरों का निर्माण भारत में किया जाएगा, जिसमें 'हर मुमकिन स्थानीयता' का ख्याल रखा जाएगा। उनके मुताबिक 200 करोड़ डॉलर की यह डील 'विचार के अंतिम चरण में है।' दोनों देश 7,00,000 कलाश्निकोव एके-203 एसॉल्ट राइफलों के भी ज्वाइंट वेंचर से उत्पादन पर करार को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं। इनके अलावा एसयू-30 एमकेआई जेट, टी-90 प्रमुख जंगी टैंक, जंगी जहाज, पनडुब्बी और मिसाइलों को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि बंगलुरु में होने वाले एयरो इंडिया एक्सपो,2021 में भी रूस की धमाकेदार मौजूदगी रहेगी और दोनों देश रूसी-मूल के मिलिट्री हार्डवेयर के स्पेयर पार्ट के साझा उत्पादन के करार को भी जल्द लागू करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोज क्रूज मिसाइल को तीसरे देश में भारत की ओर सप्लाई करने में वह सहयोग कर रहा है और साथ ही साथ हिंद महासागर समेत मैरीटाइम समन्वय को भी मजबूत करने में जुटा है। उन्होंने भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के क्वाड्रिलैटेरल सिक्योरिटी डायलॉग या क्वाड और मालाबार नौसेनिक युद्धाभ्यास का जिक्र करते हुए कहा कि मास्को को भारत के 'हिंद और प्रशांत महासागरों में इन्क्लूसिव मैरीटाइम, कनेक्टिविटी, डिजास्टर मैनेजमेंट, ब्लू इकोनॉमी और मानवीय सहयोग ' को बढ़ावा देने वाले रवैए को लेकर जरा भी संदेह नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि क्वाड के सदस्यों की हिंद-प्रशांत रणनीति को लेकर समझ अलग है और इसके लिए समग्र, खुले मन और आगे की सोच वाली बातचीत की दरकार है।
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