तख्तापलट के संकेतों के बीच पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने कश्मीर को लेकर दी बड़ी धमकी
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नई दिल्ली- जबसे इमरान खान कश्मीर के मुद्दे पर यूएन जनरल असेंबली से मुंह की खाकर लौटे हैं, पाकिस्तानी सेना के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने धीरे-धीरे शासन प्रक्रिया में सीधी दखल देनी शुरू कर दी है। उन्होंने जिस तरह से देश की बदहाल अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए वहां के बिजनेस लीडर्स के साथ प्राइवेट मीटिंग की है, उससे पाकिस्तान में भी कयास लगाए जाने लगे हैं कि वहां की सेना तख्तापलट की तैयारियों में जुट चुकी है। ऐसे माहौल में बाजवा ने जम्मू-कश्मीर को लेकर जिस धमकी वाली भाषा का इस्तेमाल किया है, उससे लगता है कि उनके दिमाग में कुछ खतरनाक प्लानिंग चल रही है। बाजवा ने कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताते हुए धमकाया है कि पाकिस्तानी सेना उसके आत्मनिर्णय के अधिकार से कोई समझौता नहीं होने देगी।
कश्मीर पर जनरल बाजवा की खुली धमकी
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपने कमांडरों के साथ कॉन्फ्रेंस में कश्मीर मसले पर भारत को खुलेआम धमकी देने की कोशिश की है। बाजवा ने कमांडरों से कहा है कि, "अपने वतन की क्षेत्रीय अखंडता और उसके मान-सम्मान की रक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना पूरी तरह से व्यवस्थित, तैयार और दृढ़ है। कश्मीर पाकिस्तान के गले की नस है और हमारे बहादुर कश्मीरी भाइयों के आत्मनिर्णय के अधिकारों को ठुकराने के मसले पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।" बाजवा ने इस्लामाबाद में सेना के हेडक्वार्टर में ये बैठक की है। बाजवा ने कमांडरों के सामने भारत के किसी भी 'दुस्साहस' का मुंहतोड़ जवाब देने का संकल्प दोहराया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक इस मीटिंग में आईएसआई से जुड़े कमांडर भी शामिल थे।
तख्तापलट की तैयारी शुरू कर चुके हैं बाजवा?
गौरतलब है कि गुरुवार को ही ये खबर आई थी कि पाकिस्तान में पहले से ही सबसे शक्तिशाली सेना ने देश को चलाने के मामले में सीधी दखल देना शुरू कर दिया है। कमांडरों से मीटिंग से पहले जनरल बाजवा ने देश के टॉप बिजनेस लीडर्स से मुलाकात करके उनके साथ देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने को लेकर चर्चा की थी। यह बैठक भी पाकिस्तानी सेना के अतिसुरक्षित माने वाले अहम ठिकानों पर की गई। जानकारी के मुताबिक बाजवा इस साल कुल मिलाकर अबतक तीन ऐसी बैठकें कर चुके हैं, जिसमें देश के फाइनेंशियल कैपिटल कराची, रावलपिंडी और उत्तर का एक शहर भी शामिल है। इन बैठकों के बाद बाजवा के दफ्तर से सीधे सरकार के बड़े अधिकारियों को इकोनॉमी को लेकर निर्देश दिए जाने की भी सूचना है। बुधवार को हुई ताजा बैठक के बाद गुरुवार को पाकिस्तानी सेना की ओर से एक बयान जारी कर बाजवा के हवाले से कहा गया कि, "राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यस्था आपस में जुड़ी हुई है, जबकि सुरक्षा जरूरतों और आर्थिक विकास पर ही समृद्धि निर्भर है।" दरअसल, पाकिस्तान में तख्तापलट का इतिहास पुराना है और माना जाता है कि बिजनेस लीडर्स भी ढुलमुल सरकार की जगह सेना की बड़ी भूमिका के ही समर्थक रहे हैं।
इमरान भी कश्मीर को बता चुके हैं पाकिस्तान के 'गले की नस'
पिछले सात दशकों से पाकिस्तानी हुक्कमरान यही मानकर चलते रहे हैं कि अगर उन्होंने कश्मीर मुद्दे को उठाना छोड़ दिया तो राजनीति में उनकी दाल नहीं गलेगी। इसलिए पाकिस्तान में सत्ता चाहे सीधा सेना के हाथों में हो या वह राजनीतिज्ञों के जरिए बैकडोर से उसका संचालन कर रही हो, कश्मीर मुद्दे को छोड़ना उनके लिए नामुमकिन है। बाजवा से पहले पिछले महीने ही पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भी कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस कहकर बुला चुके हैं। पिछले 6 सितंबर को 1965 के युद्ध की याद में उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान के लिए कश्मीर गले की नस की तरह है। इसकी स्थिति में बदलाव पाकिस्तान की सुरक्षा और अखंडता के लिए चुनौती है। "
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