एम्स में आग के बावजूद डॉक्टरों ने दिखाई हिम्मत, आंखों के ऑपरेशन थिएटर में हुआ 2 बच्चों का जन्म
नई दिल्ली। शनिवार को दिल्ली एम्स की एक बिल्डिंग में आग लगने से अफरा-तफरी का माहौल था। हालांकि, राहत की बात ये थी कि आग पर काबू पा लिया गया और कोई हताहत नहीं हुआ। वहीं, जिस वक्त एम्स में लगी आग को बुझाने की कोशिशें चल रही थीं, डॉक्टरों ने सूझबूझ का परिचय दिया और आंखों के ऑपरेशन थिएटर में दो बच्चों का जन्म हुआ। महत्वपूर्ण बात ये है कि आग लगने से अफरा-तफरी के माहौल के बीच जिन डॉक्टरों ने दो महिलाओं की डिलीवरी कराई, उस वक्त उनकी ड्यूटी नहीं थी।
आंखों के ऑपरेशन थिएटर में हुई डिलीवरी
एम्स की इमारत में आग लगने के बाद हड़कंप मचा हुआ था। इसी बीच दो महिलाओं को डिलिवरी पेन शुरू हो गया। आंखों के डॉक्टरों और नर्सों ने गायनी विभाग के डॉक्टरों और नर्सों की मदद की। दोनों महिलाओं को सेंटर के पांचवीं मंजिल के ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और वहां सर्जरी की गई। आरपी सेंटर के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर शक्ति गुप्ता ने बताया कि सेंटर के पांचवे फ्लोर के ऑपरेशन थिएटर में डिलीवरी हुई।
आग लगने की खबर सुन हॉस्टल से सेंटर पहुंचे थे डॉक्टर
ओटी में एक लड़का और एक लड़की का जन्म हुआ। डॉक्टर ने बताया कि महिला और बच्चे दोनों स्वस्थ हैं। आग के बाद आरपी सेंटर में कई मरीज अलग-अलग विभाग से लाए गए थे। इनमें गायनी और पीडिएटिक्स सर्जरी के ज्यादातर मरीज थे। आंखों के आपरेशन थिएटर में डिलीवरी इसलिए सफल रही क्योंकि सभी एक दूसरे के संपर्क में थे और स्मार्ट वर्क कर रहे थे। इसके पहले, कई डॉक्टर आग लगने की खबर सुनते ही हॉस्टल से सेंटर पहुंचे। वहां उन्होंने मैनुअली बेड सर्च किया क्योंकि तब इंटरनेट काम नहीं कर रहा था। डॉक्टर अश्वनी बेहरा ने बताया कि 53 साल के आरपी सेंटर के इतिहास में पहली बार आंखों के ओटी में डिलीवरी कराई गई।
टीचिंग ब्लॉक में रखा सामान जलकर खाक
एम्स के टीचिंग ब्लॉक में आग लगी थी, जिसके बाद इमरजेंसी वार्ड को भी बंद कर दिया गया था। पहला और दूसरा फ्लोर आग की चपेट में थे, चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। धीरे-धीरे आग तीसरी मंजिल तक पहुंच गई। हालांकि, आग अस्पताल के उस इलाके में लगी थी जहां मरीज नहीं होते, लिहाजा जान का कोई नुकसान नहीं हुआ। लेकिन टीचिंग ब्लॉक में रखा सामान जलकर खाक हो गया।