लोकसभा में पास हुए 3 लेबर कोड बिल, विरोध करने की तैयारी में विपक्ष
नई दिल्ली। कई विपक्षी दलों द्वारा किए गए बहिष्कार के बीच लोकसभा ने मंगलवार को ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन्स कोड 2020, इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020 और कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल, 2020 सहित तीन लेबर कोड बिल पास कर दिए गए। श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि सरकार द्वारा किए जा रहे सुधार "श्रमिकों के कल्याण के लिए मील का पत्थर" साबित होंगे।
संसद में पास किए गए नए लेबर कोड बिल में नौकरी से निकाले जा रहे कर्मचारियों के री-अप्वाइंटमेंट और री-स्किलिंग के लिए विशेष फंड की व्यवस्था करने का भी प्रस्ताव दिया गया है। भारी वित्तीय घाटा, कर्ज या लाइसेंस पीरियड खत्म होने जैसी वजहों से अगर कोई कंपनी बंद होती है तो कर्मचारी को नोटिस और मुआवजा देने से मना नहीं किया जा सकता। नया लेबर कोड बिल के तहत कंपनी बंद होने पर मुआवजे का प्रावधान होगा। आपातकाल के नाम पर कंपनी नहीं बच सकती है।
प्राकृतिक आपदा में मुआवजे की व्याख्या की गई है। नई व्यख्या से कोरोना काल में मदद संभव होगी। इस नये बिल के अनुसार वित्तीय घाटा और लीज समाप्ति को आपात स्थिति नहीं माना जायेगा। इसके अलावा ओवर प्रोडक्शन में कंपनी बंदी आपातकाल नहीं माना जायेगा। कंपनी के कर्मचारी जो छंटनी के शिकार होते हैं उनके लिए विशेष फंड का प्रस्ताव होगा। कंपनी में री-अप्वाइंटमेंट, रीस्किलिंग के लिए विशेष फंड का प्रावधान करना होगा। इसके साथ ही कंपनी बंद करने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
विपक्ष अब संसद में आने वाले श्रम सुधार कानूनों का विरोध करने की तैयारी कर रहा है। इनमें से एक औद्योगिक संबंध संहिता में एक प्रावधान जो 300 कर्मचारियों के साथ कंपनियों को संबंधित राज्य सरकार की मंजूरी के बिना लोगों की छंटनी करने की अनुमति देता है। सरकार का दावा है कि तीनों कोड के लिए स्थायी समिति की 233 सिफारिशों में से 174 को शामिल किया गया है। विपक्ष ने नए बिल का दावा किया था, जो कि मूल संस्करणों की जगह हो और पैनल द्वारा नए सिरे से उसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
2015 से अब तक PM मोदी ने की 58 देशों की यात्रा, हुआ इतने करोड़ का खर्चा