जानिए, आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर अमेरिका ने चीन से क्या कहा?
नई दिल्ली- भारत के लिहाज से ये एक बड़ी ही अच्छी खबर है। जानकारी के मुताबिक जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए अमेरिका अब चीन पर दबाव बना रहा है। अगर अमेरिका ने किसी तरह चीन को इसके लिए राजी कर लिया, तो पाकिस्तान चाहकर भी पुलवामा हमले के सबसे बड़े गुनहगार को बचा नहीं सकता।
अमेरिका का प्रयास महत्वपूर्ण है
द हिंदू की खबरों के मुताबिक अमेरिकी प्रशासन के एक बड़े अधिकारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से (UNSC 1267) मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। हालांकि, उस अधिकारी ने अपना नाम बताए बिना कहा है कि, "हम चीन को समझाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। यह चीन के हित में नहीं है कि वह पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की रक्षा करे और एक जिम्मेदार विश्व शक्ति के नाते चीन को आतंकवाद के खिलाफ साफ स्टैंड लेना चाहिए। इसलिए, हम उम्मीद करते हैं कि मसूद अजहर को आतंकी घोषित करवाने में चीन मदद करेगा।"
पाकिस्तान के रुख से अमेरिका असंतुष्ट
खबरों के मुताबिक पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े 120 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया था। उसने जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन से जुड़े मदरसों की संपत्तियां जब्त करने का भी दावा किया था। ये संगठन लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद से जुड़े हैं, जो 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। लेकिन, पाकिस्तान के इन कदमों को कोई भी संजीदगी से नहीं ले रहा है, क्योंकि उसने इससे पहले भी सईद और अजहर को हिरासत में लिया था और बाद में वे खुल्ले घूमने लगे थे।
अमेरिका की ओर से भी यही कहा गया है कि वे पाकिस्तान की इन आधी-अधूरी कार्रवाइयों को गंभीरता से नहीं लेता। अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक," भारत के साथ बहुत ज्यादा एकजुटता है और इन तथ्यों से बहुत ज्यादा चिंता है कि पाकिस्तान ने अभी तक इन गुटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है।"
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चीन के चलते ही बचता रहा है मसूद अजहर
पुलवामा अटैक से पहले भी मौलाना मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के कम से कम तीन बार प्रयास हो चुके हैं। लेकिन, हर दफे अपने निहित स्वार्थ के चलते चीन उसमें अड़ंगा लगाता रहा है। यह पहला मौका है, जब चीन भी अंतरराष्ट्रीय दबाव में है और उसका अब तक का रुख पहले के रवैए से बदला हुआ दिख रहा है।
हालांकि, चीन आखिरी समय में क्या फैसला लेगा यह कहना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि, पाकिस्तान में चीन का अरबों डॉलर फंसा हुआ है। चीन को लगता है कि अगर आतंकियों ने उसे भी निशाना बनाना शुरू कर दिया, तो उसकी अपनी परेशानी बढ़ सकती है। जाहिर है कि पाकिस्तान सरकार में आतंकियों को नियंत्रित करने का सामर्थ्य ही नहीं है या उसके हाथ वहां की सेना ने बांध रखे हैं। लिहाजा चीन कोई भी फैसला करने से पहले अपना नफा-नुकसान देख लेना चाहता है।