क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

कामाख्या मंदिर: अंबुवाची उत्सव पर इस बार नहीं लगा मेला, हो रहा करोड़ों का नुकसान

Google Oneindia News

नई दिल्ली: अनलॉक-1 के साथ सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी थी, लेकिन कई जगहों पर पाबंदिया अभी भी लागू हैं। कोरोना महामारी के बीच असम स्थित कामाख्या मंदिर में अंबुवाची उत्सव तो मनाया जा रहा है, लेकिन मेला नहीं लगा है। इस उत्सव में सिर्फ पुजारी ही परंपराएं निभा रहे हैं। किसी भी भक्त, तांत्रिक आदि को इजाजत नहीं दी गई है। हर साल इस मेले में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते थे। ऐसे में इस साल मंदिर और आसपास के व्यवसाय को करोड़ों का नुकसान होगा।

क्या है पौराणिक मान्यता

क्या है पौराणिक मान्यता

कामाख्या मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां पर देवी की पूजा योनि रूप में की जाती है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक सती जी ने अपने पिता से नाराज होकर अग्नि समाधि ले ली थी। इस दौरान भगवान शिव उनका जला हुआ शव लेकर तीनों लोकों में घूमे थे। इस पर देवताओं ने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र से सती जी के शव को काटने का आग्रह किया। इसके बाद उनका अंग जहां-जहां गिरा वहां-वहां उनकी पूजा की जाने लगी। इसमें सती जी की योनि असम में गिरी थी, जहां पर कामाख्या मंदिर बना है। हर साल यहां 22-26 जून तक विशेष मेला चलता है।

हो रहा आर्थिक नुकसान

हो रहा आर्थिक नुकसान

मंदिर के पुजारियों के मुताबिक मंदिर बंद होने की वजह से चढ़ावा कम हो गया है। मंदिर 250 से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है, जिसमें क्लिनिक और डॉक्टर शामिल हैं। अभी तो बचत के पैसों से मंदिर का खर्च चल रहा है, लेकिन अगले कुछ महीनों तक ऐसे ही हालात रहे तो उनके सामने समस्या खड़ी हो जाएगी। मंदिर के आसपास के इलाकों की 80 फीसदी आबादी भी मंदिर पर ही निर्भर है। ऐसे में मंदिर बंद होने से वहां के लोगों के सामने भी दिक्कत खड़ी हो गई है। स्थानीय लोगों के मुताबिक मेले में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल होते थे, ऐसे में वहां पर कारोबार अच्छा चलता था। इसके अलावा वहां होटल और पर्यटन से जुड़े लोग भी बुरी तरह प्रभावित हैं।

तांत्रिकों के लिए है खास

तांत्रिकों के लिए है खास

स्थानीय लोगों के मुताबिक अंबुवाची उत्सव के दौरान यहां पराशक्तियां जागृत रहती हैं। जिस वजह से बड़ी संख्या में तांत्रिक और अघोरी यहां पर आकर अपनी सिद्धियां प्राप्त करते हैं। इस दौरान 22 से 25 जून तक मंदिर बंद रहता है। इसके बाद 26 जून को इसे शुद्ध करके खोला जाता है। मंदिर खुलने के बाद प्रसाद के रूप में सिंदूर से भीगा हुआ कपड़ा दिया जाता है। कहते हैं कि इस दौरान मां सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही तांत्रिकों को सिद्धियां भी आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था, ऐसे में 500 साल में ये पहला मौका है, जब बिना भक्तों के अंबुवाची उत्सव कामाख्या मंदिर में हो रहा है।

इस मंदिर की सीढ़ियों को छूने पर निकलती है संगीत की धुन, 800 सालों में कोई नहीं सुलझा पाया रहस्य इस मंदिर की सीढ़ियों को छूने पर निकलती है संगीत की धुन, 800 सालों में कोई नहीं सुलझा पाया रहस्य

Comments
English summary
Ambubachi festival celebration without pilgrims in kamakhya temple Assam
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X