चीन ने किया भारतीय डॉक्टर का सम्मान, भारत से की मतभेदों को सुलझाने की अपील
नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच मई माह से पूर्वी लद्दाख में जारी टकराव कब खत्म होगा, किसी को भी नहीं मालूम है। इस टकराव के बीच मंगलवार को भारत स्थित चीनी दूतावास में भारत के महान डॉक्टर द्वारकानाथ कोटनिस की 110वीं जयंती मनाई गई। डॉक्टर कोटनिस को चीन के लोग काफी सम्मान देते हैं। इस मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम के जरिए चीनी राजदूत सन विडोंग ने भारत को वार्ता के लिए उकसाने की कोशिश की है। आपको बता दें कि 12 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच 12वें राउंड की कोर कमांडर वार्ता हुई थी। लेकिन हर बार की तरह यह वार्ता भी बेनतीजा खत्म हो गई।
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दोस्ती का लिखा जा सके अध्याय
चीनी राजदूत ने कार्यक्रम के दौरान जो भाषण दिया उसमें लद्दाख सेक्टर में भारत के साथ जारी सैन्य टकराव का कोई जिक्र नहीं था। भारत और चीन के बीच टकराव छठें माह में दाखिल हो चुका है। राजदूत विडोंग ने कहा कि दो बड़े पड़ोसियों जैसे भारत और चीन के बीच मतभेद होना 'सामान्य' बात है। सन विडोंग की मानें तो भारत और चीन को अपने मतभेदों को बातचीत और आपसी परामर्श के जरिए सुलझाने की कोशिशें करनी चाहिए। उन्होंने एक बार फिर वही रटी-रटाई बात कही जिसके तहत किसी भी तरह से आपसी मतभेदों को विवाद बनने की मंजूरी नहीं देनी चाहिए। राजदूत सन विडोंग के मुताबिक दोनों पक्षों के आपसी हित टकराव और मतभेदों से कही आगे हैं। सन विडोंग ने डॉक्टर कोटनिस की जयंती पर आयोजित एक ऑनलाइन सिम्पोसियम के दौरान अपने भाषण में यह टिप्पणी की हैं। डॉक्टर कोटनिस को चीन के लोग काफी सम्मान की दृष्टि से देखते हैं। सन् 1938 में चीन-जापान के बीच जब युद्ध हुआ था तो डॉक्टर कोटनिस ने चीन के लोगों की बहुत सेवा की थी। सन् 1942 में चीन में उनका निधन हुआ था। राजदूत ने जो भाषण दिया उसे दूतावास की तरफ से बुधवार को जारी किया गया है। राजदूत सन विडोंग ने कहा कि दोनों देश इस समय आर्थिक विकास और सामाजिक विकास के समान लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिशें कर रहे हैं। ऐसे में आपसी भरोसे को बढ़ाने और सहयोग को पहले से ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है ताकि चीन-भारत की दोस्ती का एक नया अध्याय लिखा जा सके।
भारत की प्रतिक्रिया का इंतजार
भारत की तरफ से फिलहाल सन विडोंग के बयान पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। भारत और चीन के बीच सोमवार को सांतवें दौर की कोर कमांडर वार्ता हुई। 11 घंटे से भी ज्यादा समय तक चली इस वार्ता में टकराव पर कोई नतीजा नहीं निकल सका है। इस बीच चीन की तरफ से पिछले दिनों एक बयान जारी कर कहा गया था कि वह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को कोई मान्यता नहीं देता है। चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) इस बात पर अड़ी हुई है कि भारत की सेना पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे से वापस चली जाए। लेकिन भारत की तरफ से उसके फैसले को मानने से साफ इनकार कर दिया गया है। जून में दोनों देशों के बीच टकराव हिंसक हो गया था। गलवान घाटी में हुई हिंसा साल 1975 के बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हुई पहली घटना थी जिसमें दोनों देशों के सैनिकों ने जान गंवाई थी। भारत के 20 सैनिक इसमें शहीद हो गए थे। सिर्फ इतना ही नहीं 45 साल बाद दोनों देशों के बीच फायरिंग की घटना भी दर्ज हुई।