नोटबंदी से हर आदमी बदमाश करार, खुद को पाक साफ करने की चुनौती: अमर्त्य सेन
देश में विमुद्रीकरण का फैसला लागू होने के बाद एक तरफ जहां विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमला बोल रहे हैं।
नई दिल्ली। देश में विमुद्रीकरण का फैसला लागू होने के बाद एक तरफ जहां विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जुबानी हमला बोल रहे हैं। वहीं प्रख्यात अर्थशास्त्री भी इस फैसले के बाद मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के विमुद्रीकरण के फैसले को निरंकुश कार्रवाई जैसा बता दिया है।
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इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए अमर्त्य सेन ने विमुद्रीकरण के फैसले को लागू करने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार का फैसला एक अधिनायकवादी की तरह दिख है। इस निर्णय के बाद देश में करोड़ों लोग ऐसे भी हैं जिनके पास रुपए तो हैं पर वो खर्च नहीं कर पा रहे हैं। सरकार के इस फैसले के बाद सभी भारतीयों को एक बार में ही धोखेबाज घोषित कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस समय लोग परेशानियों का सामना कर रहे हैं। नोटबंदी के चलते लोगों को होने वाली परेशानियों का समाधान नहीं किया जा रहा है। ऐसा केवल एक अधिनायकवादी सरकार ही करती है।
उन्होंने कहा कि यह ठीक वैसा ही लगता है जैसा कि सरकार ने विदेशों में पड़े काला धन भारत वापस लाने और सभी भारतीयों को एक गिफ्ट देने का वादा किया था। पर उस वादे को पूरा करने में नाकामयाब रही।
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अमर्त्य सेन ने कहा कि नोटबंदी के चलते लोग काला धन रखते हैं उन पर इसका कोई खास असर पड़ने वाला नहीं है। इसका सबसे ज्यादा असर देश के सामान्य नागरिकों पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि देश की मोदी सरकार ने हर आम आदमी, किसानों, श्रमिकों और छोटे कारोबारियों को सड़कों पर ला खड़ा किया है।
सेन ने सरकार के उस दावे का भी खंडन किया है कि जिसमें कहा गया था कि लंबे समय में या फिर प्रसव पीड़ा के बाद एक नया भारत जन्म लेगा।
अमर्त्य सेन ने कहा दुनिया में ऐसा कभी-कभी होता है। सेन ने बताया कि अच्छी आर्थिक नीतियां कभी-कभी दर्द का कारण बनती है। पर हर बार ऐसा नहीं होता है।