अमरिंदर ने की थी युवा को कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग, सोनिया को अध्यक्ष बनाने पर कही बड़ी बात
नई दिल्ली- पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ही राहुल गांधी की जगह किसी युवा चेहरे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग पहले और सबसे प्रभावी तौर पर सामने रखी थी। उन्होंने एक अखबार में लंबी-चौड़ी लेख लिखकर उसके तमाम वजहों पर गौर फरमाया था। लेकिन, बेटे की जगह सोनिया की दोबारा उस पद पर वापसी होते ही उनके सुर किसी आम कांग्रेसी की तरह ही बदलते दिखाई पड़ रहे हैं। अब उन्होंने कहा है कि जो हुआ है, वह सबसे अच्छा हुआ है।
अमरिंदर ने युवा अध्यक्ष के लिए बैटिंग की थी
ठीक एक महीने हुए हैं। कांग्रेस के कद्दावर नेता अमरिंदर सिंह ने एक अखबार के लिए लेख लिखकर विस्तार से बताया था कि वे कांग्रेस की सोच में बदलाव के लिए क्यों जोर डाल रहे हैं। एक युवा नेता को ही पार्टी की कमान सौंपने की वकालत करते हुए उन्होंने आजादा के बाद से देश की डेमोग्राफी में आए बदलाव का जिक्र किया था। उन्होंने दलील दी थी कि आजादी के बाद से अब तक भारत बहुत आगे बढ़ चुका है। तब उन्होंने लिखा था, "पॉलिटिकल लैंडस्केप में भी बदलाव आ चुका है, ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय पार्टियां इस बदलाव पर जोर दे रही हैं। दशकों में लोगों की आशाएं और अपेक्षाएं बदल चुकी हैं और आबादी के दृष्टिकोण से भारत दुनिया के युवा देशों में शामिल हो चुका है, जिसके 65% लोग युवा हैं।" इसके आगे उन्होंने चर्चा में लिए जा रहे कांग्रेस के कुछ युवा नेताओं का हवाला देते हुए लिखा था, "यह इतना कठिन नहीं हो सकता कि उन नामों से किसी एक को चुन लिया जाए और पार्टी की बागडोर उसे सौंप दिया जाए। जरूरत सिर्फ इसे स्वीकारने और उसी के मुताबिक काम करने की इच्छा की है कि कांग्रेस को बचाने और संवारने का बस यही एक तरीका है।"
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अब कहा सबसे बढ़िया फैसला
अब पंजाब के मुख्यमंत्री ने अपने पुराने स्टैंड को बदलते हुए सोनिया को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाने की जमकर सराहना की है। उनकी दलील अब ये है कि मौजूदा परिस्थितियों में इससे बेहतर फैसला हो ही नहीं सकता। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "सोनिया गांधीजी के हाथों में कमान लौटा देखकर खुश हूं। मौजूदा परिस्थितियों में ये सबसे बढ़िया फैसला था। उनके अनुभव और समझदारी से कांग्रेस को मदद मिलेगी। मैं उनको और पार्टी को शुभकामनाएं देता हूं।" सवाल है कि अगर कांग्रेस मौजूदा परिस्थितियों में गांधी परिवार से अलग सक्षम नेता की तलाश नहीं कर पाया तो आगे भी ढूंढ़ पाएगी इसकी क्या गारंटी है; या ढाई महीने तक चली कवायद का मतलब सिर्फ यही था कि 'परिवार' यह साबित करना चाहता था कि कांग्रेस में उसका कोई विकल्प हो ही नहीं सकता?
पंजाब के बाकी नेताओं ने भी खुशी जाहिर की
अमरिंदर के अलावा पंजाब कांग्रेस के दूसरे नेताओं ने भी सोनिया को अध्यक्ष बनाए जाने पर अत्यधिक खुशी का इजहार किया है। पटियाला की सांसद और पूर्व केंद्रयी मंत्री परनीत कौर ने कहा है कि ये 'बहुत ही अच्छा समाचार है। उनके अनुभव से हमें पार्टी को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।' वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि 'मौजूदा परिस्थियों में पार्टी को रास्ता दिखाने में सोनिया का अनुभव काम आएगा। क्योंकि वो कई वर्षों तक कांग्रेस को संभाल चुकी हैं।' इसी तरह हरियाणा कांग्रेस के नेता और राज्य के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाए जाने के फैसले का जोरदार स्वागत किया है।
सोनिया ने पार्टी की सत्ता क्यों छोड़ी थी?
शनिवार
को
सोनिया
गांधी
को
कांग्रेस
वर्किंग
कमेटी
की
मैराथन
बैठक
के
बाद
राहुल
गांधी
की
जगह
पार्टी
का
अंतरिम
अध्यक्ष
बनाया
गया
है।
यह
घोषणा
करने
से
पहली
सीडब्ल्यूसी
ने
राहुल
गांधी
का
इस्तीफा
स्वीकार
कर
लिया,
जो
पिछले
लगभग
ढाई
महीने
से
ठंडे
बस्ते
में
पड़ा
हुआ
था।
पार्टी
ने
सोनिया
को
कांग्रेस
अध्यक्ष
बनाने
के
पीछे
यही
तर्क
दिया
है
कि
यह
पार्टी
के
लिए
बहुत
ही
चुनौती
वाला
वक्त
है,
जिसमें
उनका
अनुभव
काम
आएगा।
लेकिन,
सवाल
ये
भी
है
कि
जब
महीनों
बाद
यहीं
पहुंचना
था
तो
कई
राज्यों
में
पार्टी
संगठन
के
सफाए
का
इंतजार
क्यों
किया
गया?
बता
दें
कि
सोनिया
गांधी
की
कांग्रेस
अध्यक्ष
पद
पर
करीब
20
महीने
बाद
वापसी
हुई
है।
इससे
पहले
उन्होंने
गुजरात
चुनाव
के
तत्काल
बाद
और
चुनाव
नतीजे
आने
से
ठीक
पहले
दिसंबर
2017
में
अपने
बेटे
राहुल
गांधी
के
लिए
पार्टी
की
गद्दी
छोड़
दी
थी।
स्वास्थ्य
कारणों
से
अध्यक्षता
छोड़ने
से
पहले
वो
करीब
19
साल
पार्टी
की
अध्यक्ष
रहीं।
इसके
बाद
उन्होंने
करीबी-करीब
पार्टी
की
जिम्मेदारी
से
पूरी
तरह
से
किनारा
कर
लिया
था,
लेकिन
जब
पिछले
23
मई
को
उनके
बेटे
की
अगुवाई
में
कांग्रेस
लोकसभा
चुनाव
में
दोबारा
बुरी
तरह
से
हार
गई
तो
उन्हें
एकबार
फिर
से
पार्टी
के
मामलों
में
सक्रियता
के
साथ
कूदना
पड़ा।
ऐसे
में
अब
यही
कयास
लगाए
जा
रहे
हैं
कि
आगे
उनके
लिए
फिर
से
कांग्रेस
की
सत्ता
अपने
बेटे
चाहे
बेटी
के
हाथों
में
सौंपने
में
कोई
ज्यादा
परेशानी
नहीं
होगी।
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