बुझाई नहीं, शिफ्ट होगी अमर जवान ज्योति: सरकार ने विपक्ष पर साधा निशाना, 'फैलाई जा रही गलत सूचना'
नई दिल्ली, 21 जनवरी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में राजपथ पर तैयारियां जोरों-शोरों से जारी है। इस बीच दावा किया गया कि दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक अब केंद्र सरकार ने ऐसी किसी भी प्रक्रिया की योजना को खारिज कर दिया है। सरकार ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए फैलाई जा रही इस 'गलत जानकारी' पर विराम लगा दिया है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है, उसे सिर्फ राष्ट्रीय युद्ध स्मारक (नेशनल वॉर मेमोरियल) की मशाल में विलीन किया जा रहा है।

सरकार का यह स्पष्टीकरण उन खबरों के बीच आया है कि गणतंत्र दिवस से पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों की याद में जलाई गई अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया जाएगा और उससे सटे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में आग में मिला दिया जाएगा। .सूत्रों ने कहा, 'अमर जवान ज्योति की लौ के बारे में बहुत सारी गलत सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। यह देखना अजीब है कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई भी नाम वहां मौजूद नहीं है।
The flame of Amar Jawan Jyoti is not being extinguished. It is being merged with flame at National War Memorial. It was an odd thing to see that the flame at Amar Jawan Jyoti payed homage to martyrs of 1971 & other wars but none of their names are present there: GoI Sources
— ANI (@ANI) January 21, 2022
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सूत्रों ने आगे कहा, 'इंडिया गेट पर अंकित नाम केवल कुछ शहीदों के हैं, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी और इस तरह यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।' 1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित अन्य लड़ाई के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अंकित किए गए हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि इसलिए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है। सरकार ने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए इस कदम पर उनकी आलोचना को 'विडंबना' बताया। सरकारी सूत्रों ने कहा, 'यह विडंबना है कि जिन लोगों ने सात दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हमारे शहीदों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि दे रहे हैं।'