अलवर मॉब लिंचिग: सस्पेंड दरोगा का बयान- हां, मैंने गलती की, जो सजा देना चाहते हो दो
जयपुर: राजस्थान के अलवर में शुक्रवार को गो तस्करी के शक में गोरक्षकों की भीड़ ने रकबर की बुरी तरह पिटाई की थी। वहीं, रकबर की मौत के लेकर राजस्थान पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्पेशल डीजी (पुलिस) ने भी माना था कि पुलिस को हालात के अनुसार चीजों को समझने में चूक हुई। पुलिस द्वारा लापरवाही बरतने के इस मामले में एएसआई मोहन सिंह को निलंबित कर दिया गया है और 3 कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर भी कर दिया गया है। जबकि इस मामले में निलंबित एएसआई मोहन सिंह का एक वीडियो सामने आया है जिसमें घटना के दौरान अपनी गलती मानी है।
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निलंबित दारोगा ने मानी गलती
मोहन सिंह ने कहा, 'हां, मैं मानता हूं कि यह मेरी गलती थी। अब जो सजा देना चाहते हैं, दो। मैंने गलती की है।' मोहन सिंह को एक वीडियो में ये कहते हुए देखा गया है। इसके पहले पुलिस पर आरोप लगे थे कि रास्ते में घायल रकबर की पिटाई की गई थी। जबकि पुलिस ने गंभीर रूप से घायल रकबर को अस्पताल पहुंचाने से पहले घटनास्थल से बरामद दो गायों को गोशाला पहुंचाने को प्राथमिकता दी और रास्ते में रुककर चाय भी पी थी। करीब 4 शाम 4 बजे पुलिस रकबर को लेकर अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टर ने बताया कि रकबर की मौत पहले ही हो चुकी थी।
स्पेशल डीजी (पुलिस) का भी आया था बयान
इसके पहले सोमवार को स्पेशल डीजी (पुलिस) एनआरके रेड्डी ने कहा है कि मामले में मृतक को हिरासत में पीटने का कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन घटना के वक्त पहले क्या करना चाहिए था इसका निर्णय करने में चूक हुई। मामले में अब तक तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, इसके अलावा एक असिस्सटेंट सब-इन्स्पेक्टर को निलंबित किया गया है और 3 कॉन्स्टेबलों को लाइन हाजिर किया गया है। मामले में जांच जारी है।
अलवर मॉब लिंचिंग को लेकर प्रशासन पर उठे सवाल
बता दें कि अलवर मॉब लिंचिंग के मामले में गृहमंत्री के निर्देशों के बाद तत्काल उच्चाधिकारियों की कमेटी गठित कर उसे जांच के लिए अलवर के रामगढ़ भेजा गया। कमेटी में स्पेशल डीजीपी एनआरके रेड्डी, एडिशनल डीजीपी पीके सिंह, एडिशनल डीजीपी हेमंत प्रियदर्शी और आईजी महेंद्र चौधरी शामिल हैं। इस घटना को लेकर देशभर में गुस्सा है जबकि ऐसी घटनाओं के बाद प्रशासन पर भी सवाल उठने लगे हैं।
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