क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बीमारियों के लिए एलोपैथी एंटीबायोटिक दवा ही नहीं रहा एकमात्र इलाज

Google Oneindia News

बेंगलुरु। स्वास्थ्य से जुड़ी कैसी भी समस्या हो, जब इलाज की बात आती है तो हम तुरंत एलोपैथी एंटीबायोटिक इलाज लेते हैं, ताकि इन दवाओं से तुरंत आराम मिल सके। दौड़ती-भागती जिंदगी में अक्सर जल्दी स्‍वस्‍थ होने के लिए एंटीबायोटिक दवाई लेना मजबूरी बन चुका हैं। सर्दी, जुकाम या वायरल बुखार में ली जाने वाली एंटीबायोटिक्स कई घातक दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं। यदि इसका बार-बार सेवन किया जाएगा, तो इससे शरीर में ऐसे बैक्टीरिया भी पैदा हो सकते हैं, जिन्हें मारना अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। इनके मनमाने इस्तेमाल से ऐसे बैक्टीरिया पैदा होंगे, जो एंटीबायोटिक्स दवाओं को निष्प्रभावी कर सकते हैं। यह स्थिति एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस कहलाती है। यह बीमारी से निजात दिला देती हैं लेकिन यह एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल से उनके खिलाफ बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो रही है। ऐसे में आपकी बीमारी की दवा आपको और बीमार भी बना सकती है। उसके सेवन से आप कुछ और गंभीर समस्याओं का शिकार बन सकते हैं।

Antibiotic

लेकिन हाल में ही वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में एक बड़ी सफलता मिल गई है, जो मरीजों के लिए वरदान साबित होने वाला है। यानी अब मरीजों को साइड अफेक्‍ट देने वाली एंटीबायटिक दवा से निजाद मिल जाएगी, क्योंकि डाक्टरों ने आयुर्वेदिक'एंटीबॉयोटिक दवा'खोजने में सफलता हासिल कर ली है। यह कमाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने करीब दो साल लंबी मेहनत के बाद कर दिखाया है। चर्चित आयुर्वेदिक औषधि मृत्युंजय रस से बनी फीफाट्रोल नाम की यह दवा आम एलोपैथिक एंटीबॉयोटिक से भी कहीं ज्यादा प्रभावी है और इंसान के शरीर में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरियाओं को निष्क्रिय कर सकती है। एम्स के माइक्रोबॉयोलॉजी विशेषज्ञों ने मार्च, 2017 में डॉ. समरन सिंह के निर्देशन में यह अध्ययन शुरू किया था। समरन सिंह फिलहाल भोपाल एम्स के निदेशक हैं।

ayurvedicantibiotic

दुष्‍प्रभाव रहित है आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक

कई औषधियों की जांच के बाद फीफाट्रोल में एंटीबॉयोटिक दवा जैसे गुण पाए गए। अध्ययन से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि एंटीबॉयोटिक जैसे गुण होने के बावजूद फीफाट्रोल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है, जबकि एंटीबॉयोटिक दवाओं के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के कारण हीं उनके खिलाफ दुनिया भर में मुहिम चल रही है। जल्द ही यह अध्ययन रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जाएगी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस खोज से सरकार को भी आयुर्वेदिक एंटीबॉयोटिक के रूप में विकल्प मिला है, जिसका इस्तेमाल शहरों से लेकर ग्रामीण स्तर तक स्वास्थ्य सुरक्षा में किया जाएगा।

Ayurvedic

कई औषधियों का है मिश्रण

फीफाट्रोल में मृत्युंजय रस के अलावा सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस शामिल है। इसके अलावा आठ अन्य औषधीय अंशों तुलसी, कुटकी, चिरयात्रा, मोथा, गिलोय, दारुहल्दी, करंज व अप्पामार्ग को भी इसमें मिलाया गया है। करीब 16 तरह के बैक्टीरियल स्ट्रेन को अध्ययन में शामिल किया गया। इनमें से एक स्ट्रेन तो भोपाल एम्स की लैब से ही लिया गया है।

इस तरह बैक्टीरिया पर हावी है फीफाट्रोल

डॉ. समरन सिंह के मुताबिक, स्टैफिलोकोकस प्रजाति के बैक्टीरियाओं के खिलाफ फीफाट्रोल बेहद शक्तिशाली साबित हुई है। स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया त्वचा, श्वसन तथा पेट संबंधी संक्रमणो के लिए जिम्मेदार हैं। जिन लोगों का प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है, उनमें इसका संक्रमण घातक भी हो सकता है। एक अन्य बैक्टीरिया पी. रुजिनोसा के पर भी यह असरदार रही है। इसके अलावा इकोलाई, निमोनिया, के एरोजेन आदि बैक्टीरिया के प्रति भी इसमें संवेदनशील प्रतिक्रिया देखी गई।

Antibiotic

शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करती है एलोपैथी एंटीबायोटिक

एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग में भारतीयों को सबसे आगे माना जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर भारतीय साल में करीब 11 बार एंटीबायोटिक दवाएं खाता है।वर्तमान में एंटीबायोटिक प्रतिरोधक क्षमता विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, एंटीबायोटिक दवाइयां, वायरस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयां हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाइयों के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है। डब्लूएचओ के मुताबिक, "बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवाई लेने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि होती है, जो कि वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। लंबे समय तक एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण से मरीज को अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। साथ ही इलाज के लिए अधिक राशि और बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण किसी भी देश में किसी भी आयुवर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। साथ ही जब बैक्टीरिया एंटीबायोटिक के प्रतिरोध हो जाता है तो आम से संक्रमण का भी इलाज नहीं किया जा सकता।

Antibiotic

एंटीबायोटिक दवाइओं के सेवन से नुकसान

वरिष्‍ठ चिकित्‍सक डाक्‍टर प्रकाश के अनुसार "जरूरत से अधिक एंटीबायोटिक का सेवन आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे आपको डायरिया जैसी पेट की बीमारियां हो सकती हैं। अगर आपको उस दवाई से एलर्जी हो तो गलत एंटीबायोटिक लेना भी एक समस्या बन सकता है। "किसी भी एंटीबायोटिक का गलत या जरूरत से अधिक इस्तेमाल कई परेशानियां खड़ी कर सकता है, जैसे कि इंफेक्शन जल्दी ठीक न हो पाना आदि। इससे एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट ऑर्गेज्म्स भी विकसित हो सकते हैं। अगर आप बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एंटीबायोटिक लगातार लेते रहेंगे तो यह खतरा बहुत बढ़ सकता है। उन्‍होंने कहा हमें अधिक से अधिक लोगों को एंटीबायोटिक्स के सही उपयोग और उसके फंक्शन के बारे में बताना चाहिए, ताकि इस समस्या का निदान हो सके। हमें इस समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

dr

"चिकित्‍सकों के अनुसार बिना आवश्यकता के और नियमित रूप से एंटीबायोटिक लेते रहते से आपके शरीर के माइक्रोब्स या बैक्टीरिया खुद को बदल लेते हैं, जिससे एंटीबायोटिक्स उन्हें हानि नहीं पहुंचा पाते। "यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्षमता कहलाती है. एंटीबायोटिक का जरूरत से अधिक इस्तेमाल करने से सबसे प्रभावशाली एंटीबायोटिक दवाइयों का भी कुछ बैक्टीरिया पर असर नहीं पड़ता है. ये बैक्टीरिया अपने आप को इस तरह बदल लेते हैं कि दवाई, कैमिकल्स या इंफेक्शन हटाने वाले किसी भी इलाज का इनपर या तो बिल्कुल ही असर नहीं पड़ता या फिर बहुत कम असर पड़ता है।

वायरस से नहीं लड़ती

एंटीबायोटिक, दवाओं का ही एक प्रकार है, जो रोगाणुओं के कारण पैदा होने वाले इन्फेक्शन को रोकने के लिए शरीर में प्रतिजैविक क्षमता विकसित करती है। इन दवाओं को एंटी-बेक्टीरियल्स भी कहा जाता है। एंटीबायोटिक दवाएं सिर्फ उन्हीं इन्फेक्शन से लड़ती हैं, जो बैक्टीरिया या पैरासाइट्स से पैदा होते हैं। यह वायरस से पैदा होने वाले इन्फेक्शन में इस्तेमाल नहीं होतीं।

ब्रिटेन के नेशनल रिस्क रजिस्टर ऑफ सिविल इमरजेंसीज के अनुसार एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट ब्लड इन्फेक्शन करीब दो लाख लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसमें से 40 फीसदी लोगों की मौत हो सकती है।

रिसर्च

ब्रिटेन के नेशनल रिस्क रजिस्टर ऑफ सिविल इमरजेंसीज के अनुसार 'एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट ब्लड इन्फेक्शन' करीब दो लाख लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसमें से 40 फीसदी लोगों की मौत हो सकती है।

90% फीसदी डॉक्टर मरीज को दवा देने के तीन दिन बाद उसके प्रभाव की जांच नहीं करते, जबकि माइक्रोबायोलॉजी के अनुसार डॉक्टरों को ऐसा करना चाहिए।

25 हजार लोगों की मृत्यु हर साल यूरोप में मल्टी रेजिस्टेंस बैक्टीरिया के कारण फैले संक्रमणों के कारण होती है।

40 लाख लोग हर साल दुनिया में इसलिए मरते हैं, क्योंकि उन पर एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता। यह टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों से होने वाली मौतों से अधिक हैं।

76% खपत ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में हो रही है दुनियाभर में होने वाली एंटीबायोटिक के खपत की।

प्रमुख एंटीबायोटिक्स के दुष्प्रभाव

पेनिसिलिन- लाल चकत्ते, डायरिया, पेट दर्द,
सेफालॉसपोरिन्स- बुखार, उल्टी, हायपर सेंसेटिविटी
एमिनोग्लायकोसाइड्स- किडनी संबंधी समस्या, बहरापन
कार्बापेनेम्स- उल्टी-दस्त, सिर दर्द
ग्लायकोपेपटाइड्स- चक्कर आना, स्वाद परिवर्तन सिर दर्द
मैकरोलाइड्स- पेट दर्द, डायरिया, खाने के प्रति अरुचि

अगर आप भी खाते हैं एसिडिटी की ये दवा तो हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसरअगर आप भी खाते हैं एसिडिटी की ये दवा तो हो जाएं सावधान, हो सकता है कैंसर

Comments
English summary
Allopathy Antibiotic Medicine is not the only cure for Diseases,Ayurvedic ‘Antibiotic’ will be Available in the Market Soon
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X