लव जिहाद पर घमासान के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- किसी को अलग धर्म में शादी करने से रोक नहीं सकते
किसी को अलग धर्म में शादी करने से रोका नहीं जा सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट
नई दिल्ली। हिन्दू लड़की और मुसलमान लड़के की शादी के खिलाफ दर्ज केस को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि हम किसी को हिन्दू और मुसलमान की निगाह से नहीं देख सकते, अगर दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं तो कोई उन्हें रोक कैसे सकता है। कोर्ट ने कहा कि जीवनसाथी चुनने का अधिकार सबको है, इसमें कोई सिर्फ इसलिए दखल नहीं दे सकता कि दोनों का धर्म अलग है।
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उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के सलामत अंसारी के खिलाफ हिन्दू लड़की प्रियंका से शादी करने को लेकर एफआईआर दर्ज की गई थी। कुशीनगर के रहने वाले सलामत अंसारी और प्रियंका ने पिछले साल अगस्त में शादी की थी। शादी के बाद प्रियंका ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था। इसके खिलाफ प्रियंका के घरवालों ने मामला दर्ज कराया था। एफआईआर में प्रियंका को नाबालिग बताते हुए शादी को शादी खत्म करने और सलामत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पाया कि प्रियंका की उम्र 21 साल है और उसे पति के साथ रहने का हक है। कोर्ट ने सलामत के खिलाफ एफआईआर को खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट ने केस को खारिज करते हुए कहा, अदालत प्रियंका और सलामतको हिंदू और मुसलमान के तौर पर नहीं देखती है। अदालत ये देख रही है कि दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की और एक साल से ज्यादा समय से खुशी से साथ में रह रहे हैं। ऐसे में उनकी शादीशुदा जिंदगी में दखल देने का मतलब दो लोगों को अपनी पंसद की जो आजादी संविधान से मिली है, उस परअतिक्रमण करना होगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायालय और संवैधानिक अदालतें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकार को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बता दें कि ये हाईकोर्ट का ये फैसला ऐसे समय आया है जब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार लव जिहाद को लेकर कानून लाने की बात कह रही है। भाजपा नेता लगातार ये बयान दे रहे हैं कि हिन्दू लड़की और मुस्लिम लड़के की शादी को रोकने के लिए कानून आना चाहिए।