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जानिए वो शिमला समझौता, जिसके तहत अमेरिका तो क्या यूएन भी नहीं दे सकता दखल

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नई दिल्‍ली। सोमवार को अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने व्‍हाइट हाउस में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप से कश्‍मीर मामले को सुलझाने के लिए अनुरोध किया। वहीं ट्रंप ने भी दावा किया कि पीएम मोदी ने उनसे कश्‍मीर मसले पर मध्‍यस्‍थता करने की मांग की है। ट्रंप के इस विवादित बयान से अलग इमरान की मानें तो कश्‍मीर मसला बिना किसी तीसरे देश की मध्‍यस्‍थता के सुलझ ही नहीं सकता है। इमरान शायद यह भूल गए हैं कि दोनों देशों के बीच शिमला समझौता और लाहौर डिक्‍लेयरेशन सिर्फ मसलों को द्विपक्षीय तरीके से सुलझाने की वकालत करता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संसद में पीएम मोदी को लेकर किए गए ट्रंप के दावे पर बयान दिया और शिमला समझौते के साथ ही लाहौर घोषणा पत्र का भी जिक्र किया।

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71 की जंग के बाद शिमला समझौता

भारत और पाकिस्‍तान के बीच दो जुलाई 1972 को शिमला समझौता साइन हुआ था। भारत की तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्‍तान के उस समय के पीएम जुल्लिफकार अली भुट्टो के बीच यह समझौता ऐसे समय में साइन हुआ जब दोनों देश दिसंबर 1971 को एक युद्ध से गुजर चुके थे। इस समझौते के बाद न सिर्फ पाकिस्‍तान ने बांग्‍लादेश को आधिकारिक तौर पर मान्‍यता दी बल्कि इसमें पांच अहम बिंदुओं पर भी रजामंदी जताई गई। पांच में से ही एक प्‍वाइंट था कि दोनों देश आपसी मसलों 'शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समझौते के जरिए सुलझाएंगे।' भारत ने कई बार कश्‍मीर को द्विपक्षीय मसला माना है ऐसे में इसे सिर्फ द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जा सकता है। किसी भी तीसरे पक्ष यहां तक कि यूनाइटेड नेशंस का हस्‍तक्षेप को भी भारत ने इसमें मानने से इनकार कर दिया था।

कारगिल की जंग से पहले लाहौर डिक्‍लेयरेशन

इस समझौते के बाद भी पाकिस्‍तान लगातार यूएन में तीसरे पक्ष को शामिल करने की मांग करता रहा। इसके बाद दो फरवरी 1999 को तत्‍तकालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, लाहौर पहुंचे थे। यहां पर उनके और उस समय पाकिस्‍तान के पीएम नवाज शरीफ के बीच लाहौर डिक्‍लेयरेशन साइन हुआ। यह घोषणा पत्र एक द्विपक्षीय समझौता था और इसमें दोनों देश शांति और स्थिरता के लिए हर तरह के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर राजी हुए थे। इस दौरान भी दोनों देशों ने इस बात पर रजामंदी जताई थी कि सभी मुद्दों को आपसी सहयोग और द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाया जाए जिसमें जम्‍मू कश्‍मीर का मसला भी शामिल था। इस घोषणा पत्र में स्‍पष्‍ट तौर पर कहा गया था कि दोनों देश आतंरिक मसलों में हस्‍तक्षेप नहीं करेंगे और साथ ही दूसरे देश का हस्‍तक्षेप स्वीकार नहीं करेंगे।

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English summary
Pakistan Prime Minister Imran Khan has said that Kashmir issue can not be Kashmir issue won't be resolved bilaterally. However no other country can mediate between India and Pakistan.
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