जानिए गिलगित बाल्टिस्तान के बारे में सब-कुछ जिस पर भारत ने पाकिस्तान को दी वॉर्निंग
नई दिल्ली। भारत ने सोमवार को गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान को अल्टीमेटम दिया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गिलगित-बाल्टिस्तान पर आए एक आदेश के बाद भारत ने पाक को कहा है कि उसे तुरंत यह हिस्सा छोड़ देना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र जिसमें गिलगित-बाल्टिस्तान का हिस्सा भी आता है, वह भारत का आंतरिक भाग है और भारत के पास इस पर अखण्डनीय और कानूनी अधिग्रहण का अधिकार है।
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साल 2009 में पाकिस्तान ने बदला नाम
पाकिस्तान को यह भी साफ कर दिया है कि इस मसले पर भारत की स्थिति साल 1994 में संसद में पास हुए प्रस्ताव में नजर आई थी जिसे सर्वसम्मति से पास किया गया था। पाकिस्तान या फिर इसकी न्यायपालिका के पास कोई अधिकार नहीं है कि वह इस पर गैर-कानूनी और जबरन कब्जा करे। भारत ने पाक को दो टूक कहा है कि पाकिस्तान को इस पर अपने सभी गैर-कानूनी कब्जे को छोड़ देना चाहिए और जम्मू कश्मीर में किसी तरह का बदलाव करने की कोशिशें नहीं करनी चाहिए। पाकिस्तान ने साल 2009 में पहली बार गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति में बदलाव करना शुरू किया था। उस समय पाक सरकार की तरफ से गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पावरमेंट एंड सेल्फ गर्वनेंस ऑर्डर को लाया गया था।
क्या है पाकिस्तान का साल 2018 में आया ऑर्डर
साल 2018 में जो आदेश आया था उसमें पहले वाले आदेश को हटा दिया गया था। इसी आदेश के साथ इसे पांचवां प्रांत बनाने की कोशिशें भी तेज हो गईं। इस आदेश में गिलगित-बाल्टिस्तान के पास अपना प्रांतीय सरकार होने की मंजूरी दे दी गई थी। इस सरकार का नियंत्रण सत्ताधारी प्रधानमंत्री के पास होगा। 16 मार्च 2017 को भी विदेश मंत्रालय की तरफ से इसी तरह का एक बयान जारी किया गया था। तब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा था ,'1947 में जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हो गया था। ये हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है, और हमेशा रहेगा। जम्मू कश्मीर के कुछ इलाके पाकिस्तान के अवैध कब्जे में हैं। उन इलाकों में किसी भी तरह की एकतरफा हेराफेरी गैरकानूनी है और इसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं की जाएगा।'
सुप्रीम कोर्ट ने दिए चुनाव के आदेश
इस ऑर्डर के साथ इस हिस्से का नाम नॉर्दन एरियाज से बदलकर गिलगित बाल्टीस्तान कर दिया गया। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 28 अप्रैल को गिलगित-बाल्टिस्तान के एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रांतीय सरकार को यह मंजूरी दी है कि वह गिलगिल-बाल्टिस्तान में चुनावों के लिए वह साल 2018 में आए आदेश में जरूरी बदलाव करे और एक कार्यकारी सरकारी को तैयार करे। इसके बाद 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने यहां पर चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। पाकिस्तान साल 2017 से कोशिशें कर रहा है कि वह इसे अपना पांचवा प्रांत घोषित कर दें।
अंग्रेजों ने लिया हुआ था लीज पर
पाकिस्तान ने साल 1947 में हुए बंटवारे के बाद उसी वर्ष अक्टूबर में भारत पर पहला हमला किया। इस दौरान उसने जम्मू कश्मीर के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया जिन्हें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके के नाम से जाना गया। जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान को सन् 1935 से अंग्रेजों ने जम्मू कश्मीर के महाराज हरि सिंह से लीज पर ले रखा था। उनका मकसद यहां की उंची पहाड़ियों से आस-पास के पूरे इलाके पर नजर रखना था। नजर रखने का जिम्मा ‘गिलगित स्काउट्स' नाम की एक सेना के पास था। बंटवारे के बाद अंग्रेज भारत से चले गए और लीज खत्म कर के यह इलाका महाराज को लौटा दिया गया। राजा ने तब ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गर्वनर बना दिया। महाराज को गिलगित स्काउट्स के जवान भी मिले, जिनके ऑफिसर ब्रिटिश थे।
पाकिस्तान कमांडर ने किया कब्जा
इतिहास के मुताबिक उस समय मेजर डब्लूए ब्राउन और कैप्टन एएस मैथीसन महाराज के हिस्से आई में सेना के अफसर थे। 1947 में जब पाकिस्तान की सेना ने कबायली लोगों की आड़ में जम्मू कश्मीर पर हमला किया, महाराज ने अपना राज्य भारत में मिला दिया। जंग के बाद 31 अक्टूबर को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन पर दस्तखत हुए। महाराजा हरि सिंह ने तो इस इलाके का भारत में मिला लिया मगर उनके इस कदम के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने विद्रोह कर दिया। कर्नल खान ने दो नवंबर 1947 को गिलगित-बाल्टिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया। 21 दिनों तक इसकी यही स्थिति बनी रही। 21 दिन बाद पाकिस्तान इस क्षेत्र में दाखिल हुआ और उसने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
चीन का CPEC गुजरता है इधर से
इसकी सीमाएं पश्चिम में खैबर-पख्तूनख्वा से, उत्तर में अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से, नॉर्थ ईस्ट में चीन के शिन्जियांग से, दक्षिण में पीओके से और साउथ-ईस्ट में भारतीय जम्मू व कश्मीर और लद्दाख से लगती हैं। गिलगित-बल्तिस्तान का कुल क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किलोमीटर है। इस क्षेत्र की जनसंख्या करीब दस लाख है और इसका एडमिनिस्ट्रेटिव सेंटर गिलगित शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग ढाई लाख है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का फेवरिट प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) इसी इलाके से गुजरने वाला है। चूंकि ये विवादित इलाका है, इसलिए चीन चाहता है कि सीपीईसी के तैयार होने के पहले इसके तमाम कानूनी पहलू पूरे कर लिए जाएं।