जगन्नाथपुरी रथ यात्रा के शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिए किए जाएंगे सभी उपाय :ओडिशा सरकार
जगन्नाथपुरी रथ यात्रा के शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से संपन्न कराने के लिए किए जाएंगे सभी उपाय :ओडिशा सरकार
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ पुरी में 23 जून को होने वाली रथ यात्रा को कुछ प्रतिबंधों के साथ मंजूदी दे दी है। इसके बाद ओडिशा राज्य सरकार के मंत्री अरुण कुमार शाहू ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के भक्तों की ओर से, ओडिशा सरकार सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय का स्वागत करती है। सभी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा। राज्य सरकार सभी उपाय करेगी ताकि रथयात्रा को शांतिपूर्वक और सुरक्षित तरीके से संपन्न हो। प्रदेश सरकार ने कहा कि कि यह देखना हमारा कर्तव्य है जिसका हम पालन करेंगे। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि मैं सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देता हूं। मैं इसके लिए केंद्र सरकार के सहयोग के लिए भी धन्यवाद देता हूं। ओडिशा सरकार और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन रथ यात्रा आयोजित करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
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जगन्नाथ
यात्रा
को
मंजूरी
मिलने
पर
अमित
शाह
ने
कहीं
ये
बात
वहीं
गृहमंत्री
अमित
शाह
ने
सुप्रीम
कोर्ट
द्वारा
जगन्नाथ
यात्रा
को
मंजूरी
दिए
जाने
के
बार
कहा
कि
आज
का
दिन
हम
सबके
लिए,
विशेषकर
ओडिशा
के
हमारे
भाइयों-बहनों
और
भगवान
जगन्नाथ
के
भक्तों
के
लिए
एक
शुभ
दिन
है।
रथयात्रा
को
सुप्रीम
कोर्ट
की
मंजूरी
मिलने
से
पूरे
देश
में
उत्साह
और
आनंद
का
माहौल
है।
यह
मेरे
साथ-साथ
देशभर
के
करोड़ों
श्रद्धालुओं
के
लिए
हर्ष
की
बात
है
कि
प्रधानमंत्री
नरेन्द्रमोदी
ने
न
केवल
श्रद्धालुओं
की
भावनाओं
को
समझा,
बल्कि
इस
मामले
का
सकारात्मक
हल
निकले,
इसके
लिए
तुरंत
प्रयास
शुरू
किए,
जिससे
हमारी
यह
महान
परंपरा
कायम
रही।
मामले
की
गंभीरता
और
महत्ता
को
देखते
हुए
केस
को
सुप्रीम
कोर्ट
की
वेकेशन
बेंच
के
सामने
रखा
गया।
दोपहर
बाद
इसकी
सुनवाई
हुई
और
यह
सुखद
फैसला
हम
सबके
सामने
आया।
ओडिशा
के
लोगों
को
बहुत-बहुत
बधाई।
जय
जगन्नाथ!
सुप्रीम कोर्ट ने आज दिया ये आदेश
बता दें सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रथ यात्रा स्वास्थ्य से समझौता किए बिना मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के समन्वय के साथ आयोजित की जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य (ओडिशा) यात्रा या उत्सव को रोक भी सकता है अगर उसे लगे कि स्थिति हाथ से निकल रही है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के कारण 18 जून को रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी। लेकिन कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कई समीक्षा याचिका दायर की गईं। राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार ने भी यात्रा को जरूरी बताया।
केन्द्र
सरकार
ने
कहा
था
सार्वजनिक
भागीदारी
के
बिना
भी
आयोजित
की
जा
सकती
हैं
रथयात्रा
केंद्र
सरकार
ने
कोर्ट
में
वार्षिक
रथ
यात्रा
मामले
का
जिक्र
करते
हुए
कहा
था
कि
कोरोना
वायरस
महामारी
को
ध्यान
में
रखते
हुए
इसे
सार्वजनिक
भागीदारी
के
बिना
आयोजित
किया
जा
सकता
है।
मीडिया
रिपोर्ट
के
अनुसार,
इस
मामले
में
केंद्र
की
ओर
से
सॉलिसिटर
जनरल
तुषार
मेहता
ने
कहा
कि
केवल
वही
लोग
जिनका
कोरोना
वायरस
का
टेस्ट
नेगेटिव
आया
है
और
भगवान
जगन्नाथ
मंदिर
में
सेवायत
के
तौर
पर
काम
कर
रहे
हैं,
उन्हें
ही
इसमें
हिस्सा
लेने
की
इजाजत
मिले।
मेहता
ने
कहा
कि
ये
रस्म
सदियों
से
चली
आ
रही
है
और
इसे
बाधित
नहीं
किया
जाना
चाहिए।
अपने
18
जून
के
फैसले
में
कोर्ट
ने
क्या
कहा
था?
गौरतल
हैं
कि
सुप्रीम
कोर्ट
ने
कहा
था
कि
अगर
इस
साल
रथ
यात्रा
की
इजाजत
दी
गई
तो
भगवान
जगन्नाथ
हमें
माफ
नहीं
करेंगे।
कोरोना
वायरस
महामारी
को
देखते
हुए
ओडिशा
विकास
परिषद
नाम
के
एक
एनजीओ
ने
सुप्रीम
कोर्ट
में
याचिका
दायर
कर
इस
साल
रथ
यात्रा
पर
रोक
लगाने
की
मांग
की
थी।
चीफ
जस्टिस
ऑफ
इंडिया
शरद
अरविंद
बोबड़े
ने
इस
मामले
की
सुनवाई
करते
हुए
कहा
कि,
अगर
हम
इसकी
इजाजत
देते
हैं
तो
भगवान
जगन्नाथ
हमें
माफ
नहीं
करेंगे।
महामारी
के
समय
ऐसे
आयोजन
नहीं
हो
सकते
हैं।
लोगों
के
स्वास्थ्य
के
लिए
ये
आदेश
जरूरी
है।
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