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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, प्राइवेसी का हर पहलू मौलिक अधिकार के अंतर्गत नहीं आ सकता

राइट टू प्राइवेसी के मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी बातें रखी हैं। आपको बता दें कि यह बहस आधार के मामले पर हो रही है।

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। प्राइवेसी के अधिकार मामले बहस के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा है कि प्राइवेसी को मौलिक अधिकार का दर्जा प्राप्त नहीं है। केंद्र की तरफ से वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा है कि प्राइवेसी का अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार का ही हिस्सा है, लेकिन इसके अलग-अलग पहलू हैं और यह अलग-अलग स्थिति पर निर्भर करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, प्राइवेसी का हर पहलू मौलिक अधिकार के अंतर्गत नहीं आ सकता

राइट टू प्राइवेसी के मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपनी बातें रखी हैं। आपको बता दें कि यह बहस आधार के मामले पर हो रही है। इसके लिए एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया कि आधार से जोड़ी जाने वाली स्कीम प्राइवेसी के अधिकार का हनन करती हैं। केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राइट ऑफ लाइफ के कई पहलू हैं जिनमें खाना, रहना और रोजगार का अधिकार शामिल है, लेकिन ये सब मौलिक अधिकर के अंतर्गत नहीं आते हैं।पिछले बुधवार को गोपाल सुब्रामण्यम ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि आजादी जो लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है, यह बिना प्राइवेसी के नहीं चल सकता।

पूर्व सोलिसिटर जनरल सोली सोराबजी भी प्राइवेसी के मामले को सपोर्ट करते हुए सुप्रीम में पेश हुए. उन्होंने कहा संविधान स्पष्ट रूप से इसका अधिकार नहीं देता फिर भी इसे इस तरह समझा जाना चाहिए जैसे फ्रीडम ऑफ प्रेस को समझा जाता है। केंद्र सरकार ने कहा कि क्या कोई यह कह सकता है कि उसके प्राइवेसी के अधिकार को संरक्षित रखने के लिए दूसरे के भोजन के अधिकार का उल्लंघन हो जाए। प्राइवेसी का अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार के अंदर है और वह जीवन के अधिकार के अधीन है। आधार कार्ड, गरीबों के जीवन के अधिकार जैसे भोजन के अधिकार और आश्रय के अधिकार से जुड़ा हुआ है। अगर इससे कुछ लोगों का प्राइवेसी का अधिकार प्रभावित हो रहा है तो दूसरी तरफ यह बड़ी संख्या में लोगों के जीवन के अधिकार को सुनिश्चित भी कर रहा है।

इससे पहले प्राइवेसी के ​अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने के मसले में चार गैर बीजेपी राज्यों ने भी दखल दिया था। कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, कांग्रेस के नेतृत्व वाले पंजाब और पुडुचेरी ने केंद्र सरकार से अलग रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है।

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English summary
All aspects of privacy cannot be put under fundamental rights category,Centre tells SC
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