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कौन थे कश्‍मीर में अमन और चैन की आवाज बुलंद करने वाले सैय्यद शुजात बुखारी

गुरुवार को कश्‍मीर से उस समय एक चौंका देने वाली खबर आई जब यहां के अखबार राइजिंग कश्‍मीर के एडीटर शुजात बुखारी पर आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। कुछ मिनटों बाद फिर से खबर आई कि उनकी मौत हो गई।

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श्रीनगर। गुरुवार को कश्‍मीर से उस समय एक चौंका देने वाली खबर आई जब यहां के अखबार राइजिंग कश्‍मीर के एडीटर शुजात बुखारी पर आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। कुछ मिनटों बाद फिर से खबर आई कि उनकी मौत हो गई। शुजात बुखारी की मौत की खबर ने न सिर्फ कश्‍मीर ब‍ल्कि देश के दूसरे हिस्‍से में बसे तमाम जर्नलिस्‍ट्स, ब्‍यूरोक्रेट्स राजनेताओं और यहां तक कि कुछ आर्मी ऑफिसर्स को भी हैरान कर दिया था। उन्‍हें जानने वाले बताते हैं कि वह न सिर्फ कश्‍मीर की आवाज उठाने वाले जर्नलिस्‍ट थे, बल्कि एक बहादुर और जमीन से जुड़े इंसान भी थे।

हिंदू से शुरू किया करियर और फिर लाए राइजिंग कश्‍मीर

हिंदू से शुरू किया करियर और फिर लाए राइजिंग कश्‍मीर

बुखारी ने एतेनियो दी मनीला यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्‍म में मास्‍टर्स किया था। इसके बाद वह एशियन सेंटर फॉर जर्नलिज्‍म के साथ बतौर फेलो जुड़े और फिर उन्‍हें वर्ल्‍ड प्रेस इंस्‍टीट्यूट की फेलोशिप हासिल हुई। इन सबके अलावा वह हवाई स्थित ईस्‍ट-वेस्‍ट सेंटर में भी फेलो रह चुके थे। 10 मार्च 2008 को बुखारी ने राइजिंग कश्‍मीर की शुरुआत की थी। देखते ही देखते इंग्लिश का यह न्‍यूज पेपर कश्‍मीर का नंबर दो सबसे ज्‍यादा पढ़ा जाना वाला न्‍यूज पेपर बन गया था। उन्‍होंने बतौर जर्नलिस्‍ट अपना करियर द हिंदू से शुरू किया था। वह द हिंदू के लिए जम्‍मू कश्‍मीर से रिपोर्टिंग करते थे।

18 वर्ष पहले भी हुआ था हमला

18 वर्ष पहले भी हुआ था हमला

बुखारी पर 18 वर्ष पहले पहली बार आतंकी हमला हुआ था और इसके बाद उन्‍हें सुरक्षा दी गई थी। उनके साथी, राजनेता और उनके करीबी दोस्‍त उन्‍हें कश्‍मीर में शांति की वकालत करने वाला एक मजबूत शख्‍स मानते थे। कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान के साथ भारत की ओर से अनौपचारिक वार्ता के लिए प्रतिनिधिमंडल पिछले वर्ष दुबई में था और बुखारी इसका हिस्‍सा थे। इसके अलावा उन्‍होंने कश्‍मीर पर शांति के लिए कई तरह की कॉन्‍फ्रेंसेज का आयोजन भी किया था। बुखारी पाकिस्‍तान के साथ होने वाली ट्रैक टू डिप्‍लोमैसी का भी हिस्‍सा थे। बुखारी, जम्‍मू कश्‍मीर सरकार में मंत्री बशारत बुखारी के भाई भी थे। आठ जुलाई 1996 को आतंकी संगठन इख्‍वान ने घाटी से 19 जर्नलिस्‍ट्स का अपहरण कर लिया था और बुखारी उनमें से ही एक थे।

बुखारी ने की सबसे खतरनाक दौर में रिपोर्टिंग

बुखारी ने की सबसे खतरनाक दौर में रिपोर्टिंग

लाल चौक के करीब प्रेस एवेन्‍यू में अपने ऑफिस से निकलकर एक इफ्तार पार्टी को अटेंड करने जा रहे बुखारी पर आतंकियों ने गोलियां चलाईं। गोलियां उनके दो बॉडीगार्ड्स को भी लगीं। इस वर्ष फरवरी में ही 50 वर्ष के हुए शुजात बुखारी दो बेटों के पिता थे। हत्‍या से पहले बुखारी ने एक ट्वीट किेया था। इस ट्वीट में उन्‍होंने यूएन की उस रिपोर्ट का जिक्र किया था जिसमें भारत और पाकिस्‍तान दोनों पर ही जम्‍मू कश्‍मीर और पीओके में मनावाधिकार हनन का आरोप लगाया गया था। बुखारी जम्‍मू कश्‍मीर के हर हिस्‍से से वाकिफ थे और पूरा राज्‍य घूम चुके थे। जिस समय कश्‍मीर में लोग आतंकवाद की वजह से घरों में दुबक जाते थे, बुखारी उस दौर में भी सूरज ढलते ही निकलते थे।

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English summary
All about Shujaat Bukhari editor of Rising Kashmir shot dead by terrorists in Srinagar Jammu Kashmir.
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