सरदार सरोवर बांध के 56 साल की कहानी: सपना नेहरू का, पूरा किया मोदी ने
नई दिल्ली। आज पीएम मोदी गुजरात के नर्मदा जिले स्थित सरदार सरोवर बांध का जायजा लेने वाले हैं, भारत के इस सबसे बड़े डैम को बनाने की पहल आजादी से भी पहले हुई थी लेकिन पूरा हुआ 2017 में, सरदार सरोवर बांध भारत के इतिहास की शायद सबसे विवादास्पद परियोजना कही जा सकती है क्योंकि इसको बनाने का सपना तो भारत के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने देखा था लेकिन इसे पूरा किया पीएम नरेंद्र मोदी ने।
नेहरू का सपना नरेंद्र ने पूरा किया
आपको बता दें कि सरदार सरोवर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध है, साल 1945 में सरदार पटेल ने इसके लिए पहल की थी। 5 अप्रैल 1961 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी नींव रखी लेकिन तमाम वजहों से यह प्रॉजेक्ट लटका ही रह गया और इसे पूरा होने मे पूरे 56 साल लग गए।
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138 मीटर ऊंचा बांध
यह नर्मदा नदी पर बना 138 मीटर ऊंचा (नींव सहित 163 मीटर) है। नर्मदा नदी पर बनने वाले 30 बांधों में सरदार सरोवर और महेश्वर दो सबसे बड़ी बांध परियोजनाएं हैं और इनका लगातार विरोध होता रहा है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गुजरात के सूखाग्रस्त इलाक़ों में पानी पहुंचाना और मध्य प्रदेश के लिए बिजली पैदा करना है।
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'नर्मदा बचाओ आंदोलन'
इसके पीछे ही 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' की शुरुआत हुई, सरदार सरोवर बांध के विरोध में मेधा पाटेकर की अगुवाई में नर्मदा बचाओ आंदोलन वजूद में आया, इस आंदोलन का कहना था कि इस प्रोजेक्ट से दो लाख से ज्यादा लोग विस्थापित होंगे और क्षेत्र के पर्यावरण तंत्र पर प्रभाव पड़ेगा, बांध विरोधी कार्यकर्ताओं को उस समय बड़ी कामयाबी मिली जब 1993 में विश्व बैंक ने सरदार सरोवर परियोजना से अपना समर्थन वापस ले लिया था लेकिन अक्टूबर, 2000 में सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी के बाद सरदार सरोवर बांध का रुका हुआ काम एक बार फिर से शुरू हुआ।
138.90 मीटर ऊंचा बना बांध
लेकिन इस बार बांध की ऊंचाई को घटाकर 110.64 मीटर करने का आदेश दिया गया, हालांकि, 2006 में डैम की ऊंचाई को बढ़ाकर 121.92 मीटर और 2017 में 138.90 मीटर करने की इजाजत मिल गई। इस तरह, सरदार सरोवर डैम को पूरा होने में करीब 56 साल लगे। 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे देश को समर्पित किया।
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