क्या है ISRO का 'समुद्रयान मिशन', जानें कैसे समुद्र के 6 किलोमीटर अंदर जाएगा इंसान?
नई दिल्ली, 17 दिसंबर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में कई बड़े कीर्तिमान रचे हैं। अब उसकी नजर समुद्र की गहराइयों पर है। इसके लिए वो एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा, जिसमें समु्द्र के अंदर 6000 मीटर की गहराई में मानव को भेजा जाएगा। भारत सरकार ने गुरुवार को संसद में इसके संबंध में विस्तार से जानकारी दी। साथ ही ये भी बताया कि विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करने से इसरो को कितना फायदा हुआ है।

एक टेस्टिंग रही सफल
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल का लिखित जवाब देते हुए कहा कि इसरो एक डीप ओशन मिशन पर काम कर रहा। इसमें एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट का नाम 'समुद्रयान' है। उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान ने पहले 500 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए एक मानवयुक्त पनडुब्बी प्रणाली को विकसित कर उसका परीक्षण किया था।

कितना आ रहा खर्च?
जितेंद्र सिंह के मुताबिक अक्टूबर 2021 में हल्के स्टील का निर्मित पनडुब्बी को 600 मीटर गहराई तक भेजा गया। इसका व्यास 2.1 मीटर था, जो मानवयुक्त है। इसे 6000 मीटर गहराई के लिए विकसित करने पर काम किया जा रहा है, जिसमें टाइटेनियम का इस्तेमाल होगा। साथ ही इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम का सहयोग है। इस प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जबकि इसके लिए 2024 तक का लक्ष्य रखा गया है।

विदेशों उपग्रहों से हो रही कमाई
इसरो अब दूसरे देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में भेजता है, जिससे उसकी अच्छी कमाई हो रही है। जितेंद्र सिंह के मुताबिक विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से 2019 से 2021 तक करीब 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व मिला। इसके अलावा 10 मिलियन यूरो अलग से मिले। जिसमें कुल 124 स्वदेशी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। वहीं अगर 34 देशों के उपग्रहों को जोड़ लें तो ये आंकड़ा 343 है।
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