सर्जिकल स्ट्राइक में सेना की मदद करने वाला है ISRO का कार्टोसैट-3 सैटेलाइट, जानिए इसके बारे में सबकुछ
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श्रीहरिकोटा। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) की तरफ से आज कार्टोसैट-3 और 13 कमर्शियल नैनोसैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया। चंद्रयान-2 के बाद यह इसरो का सबसे बड़ा मिशन था। तय समय पर ठीक सुबह 9:28 मिनट पर इसरो ने इन सैटेलाइट्स को लॉन्च किया। इस मिशान के साथ ही इसरो के हिस्से एक नई कामयाबी दर्ज हुई है। भारत अब तक करीब 310 विदेशी सैटेलाइट्स को लॉन्च कर चुका है और यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। वहीं, जिस कार्टोसैट-3 सैटेलाइट्स को लॉन्च किया गया है, वह सेना के बड़े काम आने वाला है।
मिलेगी आतंकी कैंप्स की हर जानकारी
इस सैटेलाइट्स की मदद से सेना को आतंकी कैंप्स के बारे में सटीक जानकारियां मिल सकेंगी। कार्टोसैट-3 और 13 सैटेलाइट्स को पोलर सैटेलाइट का प्रयोग मौसम और सेना से जुड़ी अहम जानकारियों को जुटाने में किया जाएगा। इसका का वजन लगभग 1500 किलोग्राम है। यह तीसरी पीढ़ी के के एडवांस्ड हाई रेजोल्यूशन वाले अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट्स में पहला सैटेलाइट है। इस सैटेलाइट को अंतरिक्ष की कक्षा से 509 किलोमीटर की दूरी पर 97.5 डिग्री के झुकाव पर स्थापित किया जाएगा।
पहला सैटेलाइट मई 2005 में लॉन्च
कार्टोसैट-3 में इंस्टॉल कैमरा का ग्राउंड रेजोल्यूशन करीब 25 सेंटीमीटर का है। यानी यह सैटेलाइट जमीन पर 500 किलीमीटर की दूरी पर स्थित किसी भी ऑब्जेक्ट की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें क्लिक कर सकता है।अभी तक दुनिया में अमेरिकी कंपनी मैक्सर के पास 31 सेंटीमीटर ग्राउंड रेजोल्यूशन पर तस्वीरें लेने वाला सैटेलाइट है। इसरो ने मई 2005 में कार्टोसैट सीरीज का पहला सैटेलाइट लॉन्च किया था। तब से लेकर अब तक ऐसे आठ सैटेलाइट्स लॉन्च हो चुके हैं।
पिछले तीन वर्षों से बना सेना का मददगार
कार्टोसैट-2 को सेनाएं पिछले तीन वर्षों से खासतौर पर प्रयोग कर रही हैं। जनवरी 2007 में कार्टोसैट-2 को लॉन्च किया गया था। एक मीटर की दूरी से भी तस्वीरें लेने में सक्षम इस सैटेलाइट को खासी सराहना मिल रही है। अभी तक कार्टोसैट से 65 सेंटीमीटर तक का रेजोल्यूशन मिल पाता था। वर्तमान में नीतियों के तहत सिर्फ सरकार और सरकारी एजेंसियों ही एक मीटर से कम वाली इसरो की हाई रेजोल्यूशन तस्वीरों को हासिल कर सकती हैं।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक में की थी मदद
इसरो की तरफ से कार्टोसैट-2 के बारे में ज्यादा चर्चा नहीं की गई है। सूत्रों की ओर से मानें तो कार्टोसैट-2 सीरीज सैटेलाइट्स को सीमा पार मिलिट्री ऑपरेशंस की तैयारी करने और इन्हें एग्जिक्यूट करने के लिए खासतौर पर प्रयोग किया गया। सितंबर 2016 में हुई उरी सर्जिकल स्ट्राइक हो या फिर जून 2015 में मणिपुर में म्यांमार बॉर्डर पर हुई सैन्य कार्रवाई हो, इन सैटेलाइट्स ने सेना को खासतौर पर सहायता की थी। 1,625 किलोग्राम का कार्टोसैट-3 आमतौर पर एक भारी सैटेलाइट है।