अलका लांबा ने छोड़ा आम आदमी पार्टी का साथ, बताई ये बड़ी बात
नई दिल्ली- आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने आम आदमी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। वो बहुत दिनों से पार्टी और पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रही थीं। हालांकि उन्होंने अभी औपचारिक रूप से इस्तीफे की चिट्ठी नहीं सौंपी है।
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'आप' का छूटा हाथ
दिल्ली के चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी विधायक अलका लांबा ने आखिरकार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी से हर संबंध तोड़ लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा है, "मैंने सोचा कि मुझे लोगों से बात करनी चाहिए और फैसला लेना चाहिए। यह फैसला लिया गया है कि मुझे आम आदमी पार्टी से सारे संबंध तोड़ लेने चाहिए और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। मैं जल्द ही लिखित में भी आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगी। मैं एमएलए बनी रहूंगी।"
पहले ही दिया था संकेत
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी की हाई प्रोफाइल लीडर अलका लांबा लंबे वक्त से आम आदमी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल से खफा चल रही थीं। उन्होंने दो दिन पहले ही कहा था कि वे आम आदमी पार्टी छोड़ने का मन बना रही हैं और दिल्ली विधानसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ना चाहती है। हालांकि, तब उनकी पार्टी ने उनके इस संकेत को 'पब्लिसिटी स्टंट' कहकर हवा में उड़ा में उड़ाने की कोशिश की थी। तब लांबा ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा था कि "मुझे बैठकों में नहीं बुलाया जाता। मुझे लगातार अपमानित किया जा रहा है। मैंने 20 साल कांग्रेस में गुजारे और वहां मुझे परिवार की राजनीति से संघर्ष करना पड़ा, लेकिन 'आप में तो मुझे सामान्य सम्मान भी नहीं दिया जा रहा है।'" उन्होंने तभी कहा था कि वो 4 तारीख को अपने फैसले का ऐलान करेंगी। उन्होंने ये भी दावा किया था कि जिस दिन उन्हें आवंटित विधायकी फंड को विकास के काम पर अपने विधानसभा क्षेत्र में खर्च कर देंगी, वो पार्टी छोड़ देंगी।
क्यों बिगड़ी बात?
अलका लांबा दिल्ली के चांदनी चौक विधानसभा क्षेत्र की विधायक हैं। यहां अगले साल की शुरुआत में चुनाव होने वाला है और उनके इस्तीफे को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछ लिए थे, जिसके बाद उन्हें पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सअप ग्रुप से बाहर कर दिया गया था। लांबा ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से भी मना कर दिया था, यहां तक कि उन्होंने केजरीवाल के रोड शो में उनकी गाड़ी के पीछे चलने से भी परहेज दिखाया था। एकबार पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने उन्हें पार्टी से इस्तीफे की चुनौती भी दे दी थी। आम आदमी पार्टी के साथ उनके ताल्लुकात तब बिगड़ने शुरू हो गए थे,जब उन्होंने राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के आप के प्रस्ताव का विरोध किया था।
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