AMU: जब नसीरुद्दीन शाह ने कहा, खुदा भी मुझसे दो बार से ज्यादा टोपी पहनने को नहीं कह सकते
Aligarh Muslim University: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के सौ साल पूरे हो गये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एएमयू के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। जिन्ना विवाद, सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के बाद एएमयू के समारोह में नरेन्द्र मोदी की वर्चुअल शिरकत बहुत अहम है। यह विश्वविद्यालय कई उपलब्धियों के लिए मशहूर है। इसकी कई अनोखी बातें भी इसे खास बनाती हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (तब एमएओ) के पहले ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हिंदू छात्र थे। ईश्वरी प्रसाद उपाध्याय ने 1881 में यहां से बीए की उपाधि हासिल की थी। कुल चार लड़कों ने पहली बार ग्रेजुएशन की परीक्षा दी थी। इनमें तीन फेल हो गये और केवल ईश्वरी प्रसाद ही पास हुए और एएमयू के पहले ग्रेजुएट बने। यहां से एमए की डिग्री लेने वाले पहले छात्र थे अंबा प्रसाद। इस तरह भारत के इस प्रतिष्ठित मुस्लिम विश्वविद्यालय की शैक्षणिक यात्रा शुरू हुई हिंदू छात्रों से। यह यह देश की साझी संस्कृति और मेलमिलाप की बहुत बड़ी मिसाल है। इस विश्वविद्यालय में पढ़ चुके कई छात्र ऊंचे मुकाम हासिल कर चुके हैं। इनमें एक हैं मशहूर एक्टर नसीरुद्दीन शाह। नसीर अपने विवादास्पद बयानों के लिए अक्सर चर्चा में रहते हैं। लेकिन एक बार उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जो साहस दिखाया था उससे कट्टरपंथियों की बोलती बंद हो गयी थी।
एएमयू कैंपस में नसीरुद्दीन शाह
नसीरुद्दीन शाह ने एएमयू से बीए करने के बाद नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लिया था। वे 1967 से 1970 तक एएमयू के छात्र थे। इसके बाद वे अभिनय की दुनिया में एक मंझे हुए एक्टर के रूप में स्थापित हुए। 2015 में एएमयू के पूर्वर्ती छात्रों का सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसमें नसीरुद्दीन शाह भी शामिल हुए। संयोग से उस समय अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति उनके बड़े भाई जमीरुद्दीन शाह थे। एएमयू के कैनेडी हॉल में कार्यक्रम था। जब नसीरुद्दीन शाह अपनी तकरीर के लिए डायस पर आये तो छात्रों के बीच से शोर उभरने लगा, टोपी ! टोपी ! नसीरुद्दीन शाह खामोश खड़े रहे। छात्रों का शोर कुछ देर के बाद धीमा पड़ गया।
किसी के कहने से टोपी नहीं पहनूंगा
नसीरुदीन शाह ने कहा, आपने अपनी कह ली, हो गया न ! मैं किसी के कहने पर टोपी नहीं पहनूंगा। मैं टोपी दो बार ही पहनता हूं नमाज अदा करते वक्त और कुरान पढ़ते वक्त। इसके बाद मुझे खुदा भी टोपी पहनने के लिए नहीं कहते। दरअसल एएमयू की परम्परा थी की जो भी पुरुष कैनेडी हॉल में जाएगा वह टोपी पहनेगा। लड़कियों के लिए स्कार्फ अनिवार्य था। नसीरुद्दीन शाह के पहले जितने वक्ता मंच पर आये सभी ने टोपी पहन कर छात्रों को संबोधित किया। सिर्फ नसीरुद्दीन शाह ने ही बिना टोपी के भाषण दिया। तब अलीगढ़ के ही कुछ प्रगतिशील छात्रों ने कहा था, कोई तो है जो कैंपस में कट्टरपंथियों को जवाब दे सका। नसीरुद्दीन के बड़े भाई और कुलपति जमीरुद्दीन शाह भी वहीं थे लेकिन कोई हंगामा नहीं हुआ।
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एएमयू की यादें
नसीरुद्दीन शाह ने अपनी आत्मकथा ‘और फिर एक दिन' में अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में गुजारे लम्हों को याद किया है। उन्होंने लिखा है, एएमयू के हॉस्टल में रहने वाले छात्र कुर्ता पाजामा में बाहर नहीं निकल सकते थे। कुर्ता- पाजामा पर शेरवानी और टोपी पहननी जरूरी थी। कैंपस में हर तरफ सलाम सलाम की आवाजें गूंजती रहतीं थीं। जो लोग जोर से सलाम नहीं बोलते या फिर हंसीखुशी नमाज में शामिल नहीं होते उन्हें कम्युनिस्ट घोषित कर दिया जाता। जो लोग कैंपस में अंग्रेजी में बात करते उन पर ईस्ट इंडिया कंपनी का तंज कसा जाता और अलग गुट मान लिया जाता। नसीर को लीक से हट कर चलने में यकीन था। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के कैंपस में ही उनकी पहली शादी की परिस्थितियां बनीं। यह शादी भी किसी क्रांति से कम नहीं थी।
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नसीर को एएमयू कैंपस में ही मिलीं पहली पत्नी
उन्होंने एएमयू में ही पढ़ने वाली उस परवीन मुराद (मूल नाम मनारा सिकरी। मनारा सिकरी, मशहूर अभिनेत्री सुरेखा सिकरी की बहन थीं।) से शादी कर ली जो उम्र में उनसे 15 साल बड़ी थीं। नसीर 20 के तो परवीन 35 की। आखिर इतनी उम्र की लड़की कैंपस में कैसे पढ़ाई कर रही थी ? नसीरुद्दीन शाह लिखते हैं, परवीन जब पांच साल की थीं तब उनके माता-पिता अलग हो गये थे। पिता परवीन को लेकर कराची चले गये। परवीन जब बड़ी हुईं तो पढ़ने के लिए अपनी मां के पास भारत आ गयीं। अलीगढ़ में दाखिला लिया। उन्हें भारत में रहने के लिए एजुकेशन वीजा मिला हुआ था। वे पाकिस्तान नहीं लौटना चाहती थीं। वे एजुकेशन वीजा बढ़ाने के लिए अलग -अलग विभागों में एडमिशन लेती रहतीं। इस बीच उनकी उम्र भी गुजरती रही। 1969 आसपास बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) को लेकर भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण होने लगे थे। परवीन का वीजा खत्म हो रहा था। वे पाकिस्तानी नागरिक थीं। उन्हें हर हफ्ते थाना में जा कर हाजिरी और रिपोर्ट देनी होती थी। वे भारत में तभी रुक सकती थीं जब वे किसी हिन्दुस्तानी से शादी कर लेतीं।
नसीरुद्दीन शाह की शादी
नसीर के मुताबिक, मेरी परवीन से अच्छी निभ रही थी। मैंने परवीन से शादी कर ली। हालांकि ये शादी ज्यादा दिन चली नहीं। बाद में परवीन नसीर को छोड़ कर लंदन चली गयीं। इनकी एक बेटी हैं हीबा शाह जो एक अभिनेत्री हैं। बाद में नसीरुद्दीन शाह ने दूसरी शादी की। नसीर अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, जब मैंने अपनी मां को रत्ना पाठक से शादी के इरादे के बारे में बताया तो उन्होंने पूछा, क्या वह इस्लाम कबूल करने के लिए तैयार हैं ? तब मैंने कहा, नहीं मैं उसे ऐसा करने के लिए बिल्कुल नहीं कहूंगा। फिर मेरी अम्मी कुछ देर मेरी तरफ देखती रहीं, धीरे धीरे अपने सिर को कुछ देर हिलाती रहीं, लेकिन कहा कुछ नहीं। मैंने इसे मौन सहमति मान लिया। अभिनय में नये- नये रंग भरने वाले नसीरुद्दीन शाह के जीवन में भी कई रंग हैं।