अलीगढ़: टप्पल में बच्ची की हत्या के बाद माहौल में धर्म का रंग कितना घुला?
अलीगढ़ के टप्पल गांव में 30 मई को टिमटिम का घर के सामने से अपहरण हुआ था. परेशान घरवालों ने हर जगह खोजा. लाउडस्पीकर पर ऐलान भी करवाया गया, ''जो चाहिए ले लो पर बच्ची दे दो.'' तीन दिन बाद दो जून को कूड़े के ढेर में बच्ची का शव मिला. टिमटिम के शव के बारे में शायद किसी को पता भी न चलता, अगर कुत्तों के नोंचने के बाद उसके शव की गंध फैलना शुरू न होती.
जब उसका नन्हा शव कचरे के ढेर से मिला तो कुछ ऐसे ही आड़ा-तिरछा था, जैसे घर की दीवार में पेंसिल से उसकी बनाई पेंटिंग.
दीवार पर बनी पेंटिंग के नीचे लिपस्टिक से किए साइन ढाई साल की उस बच्ची के हैं, जिसकी निर्मम हत्या की ख़बरें बीते एक हफ़्ते से हर जगह छाई हुई हैं.
अब टिमटिम (बदला हुआ नाम) के घर की अलमारी के ऊपर रखी तीन जोड़ी चप्पलों को पहनने वाला कोई नहीं है. साथ खेलने वाली बच्चियों से टिमटिम के बारे में पूछें तो वो कहती हैं, "मेली दोस्त पुलिस के पास है. लौटेगी तो फिर खेलेंगे."
अलीगढ़ के टप्पल गांव में 30 मई को टिमटिम का घर के सामने से अपहरण हुआ था. परेशान घरवालों ने हर जगह खोजा. लाउडस्पीकर पर ऐलान भी करवाया गया, ''जो चाहिए ले लो पर बच्ची दे दो.''
तीन दिन बाद दो जून को कूड़े के ढेर में बच्ची का शव मिला. टिमटिम के शव के बारे में शायद किसी को पता भी न चलता, अगर कुत्तों के नोंचने के बाद उसके शव की गंध फैलना शुरू न होती.
कितना बदला टप्पल?
यमुना एक्सप्रेस-वे से जेवर टोल को पार करने पर पहले कट से जो सड़क नीचे उतरती है, वहीं से टप्पल गांव शुरू हो जाता है.
यहां टिमटिम का घर पूछने पर ज़्यादातर लोग कहते हैं, ''वही घर, जहां कांड हो गया है?''
इस घर तक पहुंचने के रास्ते में तैनात पुलिसवालों की चौकन्ना निगाहें राहगीरों पर बनी हुईं हैं. गांव में घुसने से लेकर टिमटिम के घर के बाहर तक हर पांच सौ मीटर पर पुलिसवाले खड़े हैं.
घर में घुसते ही दो सीढ़ियां चढ़कर एक गलीनुमा दालान शुरू हो जाती है. अंदर के कमरे की ड्योढ़ी पर एक औरत पत्थर जैसी उदासी लिए बैठी हुई है. ये टिमटिम की मां हैं.
टिमटिम के बारे में पूछने पर वो पहले सिर्फ़ इतना कहती हैं, "बहुत होशियार थी मेरी बेटी."
फिर कुछ देर चुप रहकर वो टिमटिम के बारे में बताना शुरू करती हैं, "उसे अकेले जाने में डर लगता था. कहती थी मम्मी तुम भी चलो. गाड़ी-मोटरसाइकिल का डर लगता था उसको. उस दिन भी वो दूर नहीं यहीं सामने ही खेलने गई थी. दस मिनट पहले मुझे कहकर गई और उसके बाद ग़ायब हो गई."
"अभी एक हफ़्ते ही स्कूल गई थी लेकिन एबीसीडी सीख गई थी. वन टू भी आता था... और अ आ भी... कहीं भूल जाती तो अअअअअअअ कहती और आगे का बोलने लगती. हमेशा बोलती- मम्मी मम्मी मैं टॉप स्कूल में पढ़ूंगी."
'हत्या के बाद हिंदू बनाम मुसलमान'
अपनी मां की बिंदी टिमटिम बड़े शौक़ से माथे पर लगाती थी. होंठों पर लिपिस्टिक लगाने की कोशिश में कई बार टिमटिम के गालों पर लाली लग जाती.
टिमटिम की मां इसी क्रम में बताती हैं, "पूरे घर में दिन रात नाचती रहती थी. पता नहीं क्या कुछ तो दिनभर गाती रहती थी. वो ही हमारे लिए सब कुछ थी. सबकुछ. पांच साल बाद पैदा हुई थी. लड़की थी फिर भी हमने सत्यनारायण की कथा करवाई थी."
टिमटिम की मां जब घर के भीतर मुझे ये बता रही थीं, तब बाहर बैठे उसके पिता आने-जाने वाले लोगों से बातें कर रहे थे.
दरी पर बैठे हुए वो सिर्फ़ पूछे गए सवालों का जवाब देते और शांत होकर दरी देखने लगते.
टिमटिम की हत्या के बाद इलाक़े में हिंदू बनाम मुसलमान की बहस भी तेज़ हुई है. टिमटिम के पिता कहते हैं, "मुझे हिंदू-मुस्लिम जैसी बातों से कोई मतलब नहीं. मुझे सिर्फ़ मेरी बेटी के लिए बस इंसाफ़ चाहिए. जो हाल उन्होंने मेरी बेटी का किया, वो किसी और की बच्ची के साथ न हो. फांसी होनी चाहिए."
पुलिस ने इस मामले में चार अभियुक्तों (ज़ाहिद और उनकी पत्नी, असलम, मेहदी हसन) को गिरफ़्तार किया है. इसके अलावा सात अन्य लोगों को भी अराजकता फैलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है.
टिमटिम के पिता शक ज़ाहिर करते हैं कि उनकी बेटी के साथ रेप भी हुआ है. उनका दावा है कि जो इंसान अपनी बेटी के साथ रेप कर सकता है वो किसी और को क्यों छोड़ेगा?
टप्पल गांव में कुछ लोगों का आरोप है कि कुछ साल पहले अभियुक्त असलम ने अपनी ही बेटी के साथ रेप किया था, जिसके चलते उसकी पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी.
लेकिन टिमटिम की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में इस बात का ज़िक्र नहीं है कि उसके साथ रेप हुआ है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़, मौत का कारण चोट था और बच्ची के शरीर के कई अंग ग़ायब थे और शरीर में कीड़े पड़ गए थे. इससे आगे का विवरण भी हत्या जितना ही क्रूर जान पड़ता है.
पुलिस का क्या कहना है?
एसएसपी आकाश कुलहरि ने बीबीसी को बताया, "पैसों के लेनदेन को लेकर कहा सुनी हुई थी और इसी बेइज़्जती का बदला लेने के लिए ये सब किया गया."
दो जून को बच्ची का पोस्टमॉर्टम किया गया जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि बच्ची की हत्या पोस्टमॉर्टम होने से तीन-चार दिन पहले ही हो गई थी. यानी अभियुक्तों ने उसे अपहरण वाले दिन ही मार दिया होगा. लेकिन पोस्टमॉर्टम में रेप की पुष्टि नहीं हुई है तो फिलहाल पॉक्सो के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है लेकिन अभी कुछ रिपोर्ट्स आनी हैं और उन्हीं के आधार पर चार्जशीट तैयार की जाएगी.
लेकिन टिमटिम के पिता सिर्फ़ पैसे को लेकर हुई कहासुनी को वजह नहीं मानते.
वो कहते हैं, "कहासुनी पैसों के लेन देन को लेकर हुई थी. ज़ाहिद ने 'देख लेने' की धमकी दी थी. लेकिन सिर्फ़ यही वजह नहीं हो सकती. कोई इस क़दर घिनौना काम क्यों करेगा, ये सिर्फ़ वही बता सकता है."
वो एक बार भी ये नहीं कहते हैं कि अभियुक्त एक ख़ास धर्म के थे और उन्हें उस धर्म को मानने वालों से शिकायत है.
लेकिन वहां मौजूद कुछ लोगों के लिए ये मुद्दा है, क्योंकि चारों अभियुक्त मुसलमान हैं.
हाथरस से टप्पल आए हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष बंटी चौधरी ये मानते हैं कि हिंदू-मुस्लिम मुद्दा है.
वो कहते हैं, "गांव का पूरा हिंदू समाज यहां जमा है. अगर गांव के मुस्लिम परिवार अभियुक्तों के नहीं, पीड़ित परिवार के साथ हैं तो उनमें से कोई इस परिवार से मिलने क्यों नहीं आया? आप ख़ुद देखिए यहां एक भी मुस्लिम नहीं बैठा है. तो बताइए... सवाल क्यों न उठाया जाए."
लेकिन वहीं बैठे एक शख़्स ये भी कहते हैं कि इस गांव में पहली बार हिंदू-मुस्लिम की बात भी हो रही है. इससे पहले कभी ऐसे मुद्दे नहीं उठे.
प्रशासन की क्या है तैयारी?
गांव में किसी भी तरह की धार्मिक हिंसा न हो, इसके लिए प्रशासन पूरी तरह तैयार है और चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात है.
स्थानीय लोगों के मुताबिक़, कुछ दिन पहले ही दूसरे गांवों से आए कुछ लोगों ने मुस्लिम विरोधी नारे लगाए थे.
इसी बीच ये भी ख़बरें आईं कि गांव के मुस्लिम परिवार घर छोड़कर जा रहे हैं.
एसएसपी कुलहरि इस तरह के किसी भी दावे को सिरे से ख़ारिज करते हैं. उनका कहना है कि ऐसा कुछ भी नहीं है और प्रशासन पूरी तरह चौकन्ना है.
टप्पल के क़रीब 60 मुस्लिम परिवार वाले टोले में जब हमने इस बारे में पता किया तो लोगों का कहना था कि ऐसी कोई बात नहीं है. हालांकि उन्होंने ख़ुद के ख़ौफ़ में होने की बात ज़रूर की लेकिन पलायन से साफ़ इनकार कर दिया.
टोले में एक छोटी सी गुमटी संभालने वाले एक बुज़ुर्ग ने बताया, "आज मेरी भतीजी की शादी है. पूरे परिवार के साथ जाना था. लेकिन इसलिए नहीं जा रहे कि लोगों को लगेगा कि पलायन कर रहे हैं और तनाव बढ़ेगा."
उनके बग़ल में ही बैठीं उनकी बेगम कहती हैं, "ऐसा पहली बार हो रहा है वरना अभी तक इस गांव में धर्म का ज़िक्र भी नहीं होता था. हिंदू-मुस्लिम सब मिलकर रहते थे.'' वो ये ज़रूर मानती हैं कि इस घटना के बाद हिंदू-मुस्लिम का ज़िक्र होने लगा है.
वो कहती हैं, "अपराधी, अपराधी है...हिंदू-मुस्लिम देखे बिना न्याय होना चाहिए."
टिमटिम की हत्या के अभियुक्तों में से एक असलम का घर यहां से कुछ मीटर की दूरी पर है. जहां वीरान पड़ी हुई एक चारपाई, तकिया हैं. एक कमरे में खुला संदूक़ रखा है और कुछ बिखरा सामना.
बग़ल में एक और कमरा है, जिसमें भूसा भरा हुआ है. पीड़ित परिवार की ओर से हमें यहां लेकर आए शख़्स ने बताया कि पुलिस बोली थी कि टिमटिम को मारकर यहीं छिपाया गया था.
जिस कूड़े के ढेर में टिमटिम की लाश मिली वो गली से बाहर निकलते ही है. गांव वालों का कहना है कि लाश दो जून की सुबह ही फेंकी गई होगी क्योंकि इससे पहले वहां से कोई बदबू नहीं आ रही थी.
पुलिस से शिकायत...
टिमटिम खेलते-खेलते कैसे ग़ायब हुई? क्या ख़ुद कुंडी हटाकर बाहर चली गई या कोई उसे लालच देकर ले गया? इस पर कोई एक सा जवाब नहीं मिलता है. सबके अपने क़यास हैं.
लेकिन घरवालों को शिकायत है कि अगर पुलिस ने उसी दिन फुर्ती दिखाई होती तो शायद वो ज़िंदा मिल जाती.
टिमटिम के पिता के साथ बैठे एक युवक बतातें हैं, "30 मई को ही पुलिस में सूचना दे दी थी लेकिन पुलिस नहीं आई. 31 मई को क़रीब 11 बजे एफ़आईआर लिखवाई थी लेकिन पुलिस तीन बजे के आस-पास आई और उसके बाद खोजबीन शुरू की. इस बारे में जब हमने एसएसपी आकाश कुलहरि से बात की तो उन्होंने कहा कि इसकी जांच चल रही है."
जिस जगह से टिमटिम खेलते-खेलते ग़ायब हुई थी, वहीं से कुछ फ़ीट की दूरी पर उसके दोस्त खेल रहे थे. उन्हीं में से एक दोस्त नोटों की गड्डी गिन रहा था पर ये नोट नक़ली थे. इस बच्चे को शायद पता भी नहीं होगा कि ऐसे ही कुछ असली नोटों की वजह से अब उसकी दोस्त टिमटिम कभी साथ नहीं खेल पाएगी.
टिमटिम के घर में 12 जून यानी बुधवार को उसकी तेरहवीं मनाए जाने की तैयारी शुरू हो गई है.
टप्पल से दिल्ली लौटते हुए जब मैं उस जगह गई, जहां टिमटिम का शव मिला था तो मेरी नज़र कूड़े के ढेर के पास लगे विज्ञापन पर गई जिसमें लिखा था- 'मुस्कुराते रहो टप्पल.'
टिमटिम की मौत के बाद टप्पल में छाई मायूसी और बदले माहौल के सामने ये लाइन वक़्त का सबसे बड़ा झूठ जान पड़ती है.