शिवपाल के सरेंडर और अध्यक्ष की ताजपोशी के बाद अखिलेश यादव इस तरह होंगे मजबूत
समाजवादी पार्टी का दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि देश के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। देश के सामने इस समय सबसे बड़ा संकट है।
नई दिल्ली। अखिलेश यादव गुरुवार को दोबारा समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गये। ताजनगरी आगरा में चल रहे सपा के दसवें राष्ट्रीय अधिवेशन के दौरान उन्हें पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। वह लगातार दूसरी बार दल के अध्यक्ष चुने गए हैं। अध्यक्ष चुने जाने के बाद अखिलेश यादव ने विरोधियों खासकर बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने व्यापारियों को तबाह कर दिया।
पार्टी के सारे निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र
समाजवादी पार्टी का दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि देश के हालात किसी से छिपे नहीं हैं। देश के सामने इस समय सबसे बड़ा संकट है। इस संकट से मिलकर लड़ना है। दूसरी बार अध्यक्ष बने अखिलेश यादव की राह में कोई रोड़ा नहीं है। अब वो पार्टी के सारे फैसले स्वंय कर सकते है अब कोई रोकने वाला नहीं होगा। इस बार समाजवादी पार्टी अध्यक्ष के तौर पर अखिलेश ज्यादा मजबूत हुए है। अखिलेश की राह में सबसे बड़े रोड़ा उनके चाचा शिवपाल यादव थे जिन्होंने अब सरेंडर कर दिया है। अब पार्टी में सीधे तौर पर शिवपाल अखिलेश के सामने कहीं नहीं टिकते।
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पार्टी और संगठन में एकमात्र पावर सेंटर
अभी से पहले समाजवादी पार्टी में कई पावर सेंटर होने की बात कहीं जाती थी। कुछ फैसले मुलायम सिंह यादव लेते थे तो कुछ फैसले शिवपाल यादव किया करते थे। कई बार मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव के फैसले को भी पलट देते थे। जब अखिलेश यादव यादव यूपी के सीएम थे तब राज्य में साढे तीन सीएम होने की बात भी कही जाती थी लेकिन अब साफ हो चुका है कि समाजवादी पार्टी में बॉस अखिलेश यादव ही हैं।
मुलायम का अखिलेश को खुला आशीर्वाद मिलने से शिवपाल पूरी तरह सरेंडर
मुलायम सिंह यादव ने अपने बेटे को अखिलेश यादव को आशीर्वाद दे दिया है। अखिलेश ने कहा कि 'हमने इस बीच नेता जी से कई बार बात की। हम चाहते थे कि नेता जी आएं। आज सुबह ही नेता जी ने फोन पर आशीर्वाद दिया है। नेता जी ने समाजवादी पार्टी के लिए भी शुभकामनाएं दी हैं। अब ये बात साफ हो गया है कि मुलायम सिंह अपने भाई शिवपाल के साथ नहीं बल्कि बेटे अखिलेश के साथ हैं। इसको एक तरह से शिवपाल के सरेंडर के तौर पर देखा जा रहा है।
पार्टी में युवा जोश ला पाएंगे
पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भविष्य में पार्टी की रणनीति को लेकर खाका खींचा गया। इसके अलावा यह फैसला लिया गया कि बसपा से कोई भी गठबंधन नहीं होगा। हालांकि कांग्रेस के साथ दोस्ती पक्की है, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव पार्टी अकेले दम पर ही लड़ेगी। मतलब साफ है कि अखिलेश यादव अपनी तैयारी में लग गए है अब वो युवाओं में नया जोश लाना चाहते हैं और विरोधियों को पस्त करना चाहते हैं। बीते सालों में यूपी की युवा राजनीति में अखिलेश ने अच्छी जगह बनाई है।
पहले यूपी के नगर निगम चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनाने के लिए पूरी तैयारी कर सकेंगे
अखिलेश के दोबारा अध्यक्ष बनने के साथ ही यह तय हो गया है कि वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव और 2022 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। यूपी के नगर निगम चुनावों के दौरान भी पार्टी से सारे फैसले अखिलेश यादव ही लेंगे। जिसकी तैयारी उन्होंने शुरू भी कर दी है। गौरतलब है कि सपा के 10वें राष्ट्रीय अधिवेशन से पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें अध्यक्ष के कार्यकाल की अवधि मौजूदा तीन वर्ष से बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया है।
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