महागठबंधन की जीत के ये आंकड़े 2019 में बढ़ा देंगे बीजेपी की बेचैनी
नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 25 साल बाद एक बार फिर गठबंधन कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सपा-बसपा ने बराबर 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जबकि आरएलडी और कांग्रेस के लिए दो-दो सीटें छोड़ी हैं। कांग्रेस और आरएलडी के साथ बुआ-बबुआ ने ऐसा क्यों किया? इस पर चर्चा फिर कभी करेंगे, लेकिन आज हम बात करेंगे कि सपा-बसपा के के साथ आने से बदलने वाले 2019 लोकसभा चुनाव के गणित की। 2014 लोकसभा चुनाव और उसके बाद बीजेपी के हाथों एक के बाद एक हार का सामना करने के बाद अखिलेश यादव ने बुआ मायावती की ओर हाथ बढ़ाया। साल 2018 उपचुनावों में कांग्रेस, सपा, बसपा और आरएलडी ने एक साथ बीजेपी से मोर्चा लिया। परिणाम यह हुआ कि यूपी में गोरखपुर, फूलपुर, कैराना लोकसभा और नूरपुर विधानसभा में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। यहीं से महागठबंधन की नींव पड़नी शुरू हुई और आखिरकार बुआ-बबुआ एक मंच पर आ ही गए।
गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार
गोरखपुर में अब तक 13 बार लोकसभा सीट के लिए चुनाव हो चुका है। 1998 से 2017 तक करीब पांच बार योगी आदित्यनाथ इस सीट से बंपर वोटों के साथ जीतते रहे। योगी से पहले महंत अवैद्यनाथ भी 5 बार ही गोरखपुर जीते। 2014 लोकसभा चुनाव में गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ को 5 लाख 40 हजार वोट मिले थे। योगी करीब 3 लाख से ज्यादा वोटों के साथ गोरखपुर से जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे। 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी दलों को सूपड़ा साफ कर दिया और योगी आदित्यनाथ सीएम बने। इसके बाद गोरखपुर सीट खाली हुई और 2018 में यहां उपचुनाव हुआ, लेकिन इस बार यहां सपा-बसपा साथ आए और बीजेपी के वोट कटुआ के तौर पर कांग्रेस ने अलग से अपना प्रत्याशी उतारा और बीजेपी का वर्षों पुराना गढ़ ढह गया।
2018 में ऐसे बदल गए गोरखपुर के समीकरण
-प्रवीण
कुमार
निषाद
(सपा):
4,56,513
-उपेंद्र
दत्त
शुक्ल
(भाजपा)
:
4,34,632
-डा.
सुरहीता
करीम
(कांग्रेस)
:18,858
-प्रवीण कुमार निषाद (सपा) को 48.87% वोट प्राप्त हुए। वह 21881 वोटों से जीते)
-उपेंद्र दत्त शुक्ल (भाजपा) को 46.53% वोट प्राप्त हुए
डॉक्टर सुरहीता करीम (कांग्रेस) को 2.02% वोट प्राप्त हुए
गोरखपुर लोकसभा चुनाव- 2014 के परिणाम
बीजेपी के योगी आदित्यनाथ 3,12,783 वोटों से जीते
बीजेपी को 52 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए
फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में भी महागठबंधन ने पलटी बाजी
1952, 1957 और 1962 के चुनाव में देश के पहले पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू फूलपुर लोकसभा से जीते। 1996 से 2004 तक यहां सपा का डंका बजा, लेकिन फूलपुर सीट कभी भी बीजेपी के लिए अच्छे परिणाम नहीं लाई। 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी के केशव प्रसाद मौर्य ने यहां बंपर वोट प्राप्त किए, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद यह सीट खाली हुई। 2018 में इस सीट पर भी चुनाव हुआ और बीजेपी का सामना यहां भी महागठबंधन से हुआ।नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल (सपा) 3,42,796 वोट प्राप्त कर विजयी हुए
-जीत
का
अंतर-
59,613
-वोट
प्रतिशत-
46.95%
2014 लोकसभा चुनाव परिणाम (सपा-बसपा अलग-अलग लड़े)
-बीजेपी के कैशव प्रसाद मौर्य जीते
-जीत
का
अंतर-
3,08308
-वोट
प्रतिशत-
52
कैराना में महागठबंधन ने बीजेपी को दी सबसे करारी मात
बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन के बाद रिक्त हुई कैराना लोकसभा सीट पर भी 2018 में उपचुनाव हुआ। बीजेपी ने हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मैदान में उतारा, जबकि महागठबंधन के रथ पर सवार होकर तबुस्सम हसन ने उन्हें चुनौती दी। यहां भी महागठबंधन ने 2014 लोकसभा चुनाव के परिणाम को पलट दिया।
महागठबंधन के चलते कैराना में भी हारी बीजेपी
-तबस्सुम
हसन
(आरएलडी)
को
481182
वोट
मिले
-जीत
का
अंतर-
44618
-वोट
प्रतिशत-
51.26
-बीजेपी
की
मृगांका
सिंह
को
436564
वोट
प्राप्त
हुए
-मृगांका
सिंह
को
46.51%
वोट
प्राप्त
हुए-बीजेपी
के
हुकुम
सिंह
जीते
-जीत
का
अंतर-2,36,828
-वोट
प्रतिशत-
50.53
कैराना लोकसभा चुनाव 2014
-बीजेपी
के
हुकुम
सिंह
2,36,828
वोटों
से
जीते।
-बीजेपी
को
50.53
प्रतिशत
वोट
प्राप्त
हुए
थे।
महागठबंधन के आने से बीजेपी की मुश्किलों किस कदर बढ़ीं इसका सबसे बेहतर नमूना नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में मिला। यहां बीजेपी उम्मीदवार को 2017 विधानसभा चुनाव की तुलना में 10 हजार वोट अधिक प्राप्त हुआ, इसके बाद उसे हार का सामना करना पड़ा।
महागठबंधन ने नूरपुर में भी दिखाई ताकत
-2018 में सपा के नईम उल हसन को 94875 वोट प्राप्त हुए थे
-नईम उल हसन 5662 वोटों से चुनाव जीते
-नईम उल हसन को 50.23% वोट प्राप्त हुए थे
-बीजेपी प्रत्याशी अवनी सिंह को 89213 वोट मिले।
अवनी सिंह को 47.23% वोट प्राप्त हुए।
महागठबंधन के कारण नईमुल हसन को 2017 विधानसभा चुनाव की तुलना में 28439 वोट ज्यादा मिले। वहीं, अवनी सिंह को 2018 उपचुनाव में पति लोकेंद्र चौहान से 10041 ज्यादा वोट मिले, लेकिन वह 5678 वोटों से हार गईं। लोकेंद्र चौहान 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर नूरपुर से लड़े थे।