मुजफ्फरनगर की सिसकियां भूल सैफई में लगा समाजवाद का ठुमका, फूंक दिये गये जनता के करोड़ों रुपये
एक तस्वीर में अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के साथ ही साथ पार्टी के अन्य बड़े नेता फिल्मी सितारों के ठुमकों पर मस्ती करते दिखे तो वहीं दूसरी तस्वीर में अखिलेश के चरणों में आईजी साहब। महोत्सव में मेरठ और मुजफ्फरनगर का लॉ और आर्डर संभाल रहे आईजी आशुतोष सीएम के पैरों में दिखाई दिए। वहीं सीएम ने माधुरी के प्रति अपने प्रेम दिखाते हुए उनकी फिल्म के लिए एक करोड़ रूपए देने की घोषणा की। सिर्फ माधुरी को ही नहीं बल्कि सैफ अली खान की फिल्म बुलेट राजा को भी एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया। अखिलेश यादव ने ऐसा सिर्फ इसलिए किया क्योंकि इन फिल्मों की कुछ शूटिंग यूपी में हुई है।
यूपी सरकार ने जहां करीब 200 रूपए खर्च करके सैफई महोत्सव का आयोजन किया वहीं दूसरी और मुजफ्पफरनगर में दंगा पीडितों के बच्चे ठंड के मारे मर रहे हैं। समारोह में सपा नेताओं, प्रदेश के मंत्रियों और अधिकारियों के मनोरंजन के लिए मुंबई से फिल्मी सितारें महोत्सव में शिरकत किया। महोत्सव के आखिरी दिन पर अभिनेता सलमान और माधुरी दीक्षित ने ठुमके लगाए। हालांकि सरकार ने इन पर खर्च किए गए रूपए के बारे में नहीं बताया। लेकिन सूत्रों का कहना है कि फिल्मी सितारों की के ठुमकों पर 5 से 10 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं। बालीवुड सितारों का शौकिन यादव परिवार महोत्सव में काफी उत्साहित नजर आया। गांव के लोगों ने अपने पसंदीदा सितारों के साथ डांस किया और बदायूं से सपा के सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोगों से वादा किया कि अगले साल बड़े लेवल पर समारोह का आयोजन किया जाएगा।
आप सुनकर दंग रह जाएंगे कि इस महोत्सव में फिल्मी सितारों के ठुमकों के लिये म्यूजिक और लाइट सिस्टम पर दो करोड़ रुपये खर्च किये गये। पांच घंटे तक चले इन ठुमकों के लिए मुंबई और दिल्ली से फिल्मी सितारों को लाने के लिए 7 चार्टर्ड प्लेन किराए पर लाए गए थे। 25 हजार लोगों के बैठने का इंतजाम किया गया और एक लाख लोग प्रोग्राम को देखने पहुंचे। सुरक्षा के लिए दो हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। एक ही प्रदेश में दुनिया कैसे बदल जाती है ये मुजफ्फरनगर से सैफई का फासला बताता है। पांच घंटे का ये सफर तय कर लें, तो दोजख से जन्नत का सफर पूरा हो जाए। मुजफ्फनगर में दंगा पीड़ितों के राहत शिविर की बदइंतजामी के साथ सैफई महोत्सव की तस्वीरों को देखें तो मन में यही सवाल उठेगा कि आखिर यूपी सरकार को क्या हो गया है?