छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में दिखेगा अजीत जोगी का प्रभाव
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का पहला चरण के लिए मतदान हो गया हैं लेकिन नतीजे मैदान इलाकों को वोटर ही तय करेंगे। उत्तर से दक्षिण तक मैदानी इलाकों में ही त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। भाजपा के लिए यहां चीजें थोड़ी आसान दिख रही हैं तो कांग्रेस भी यहां बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठी है।
सूत्रों के मुताबिक बसपा और अजीत जोगी की जेसीसी का गठबंधन कई सीटों पर प्रभावशाली है। अजीत जोगी के प्रभाव से कांग्रेस को ज्यादा नुकसान की बात कही जा रही है। भाजपा के खिलाफ जाने वाले एंटी इनकेंबेंसी वोटर बसपा-जेसीसी के पक्ष में जा सकते हैं।
गठबंधन ने सीटों का बंटवारा भी काफी दिलचस्प तरीके से किया है। अजीत की बहू रिचा जोगी बसपा के निशान पर अलकतारा विधानसभा से चुनाव लड़ रही हैं। एक दिलचस्प पहलू ये भी है कि बसपा के संस्थापक काशीराम भी जंजगीर लोकसभा से चुनाव लड़ चुके हैं, अलकतारा भी इसी सीट का हिस्सा है। इस सीट पर दलित बनाम अन्य की लड़ाई मानी जाती रही है. बीते चुनाव में ये सीट कांग्रेस के पास थी लेकिन तब अजीत जोगी कांग्रेस के साथ थे और इस बार वो बसपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में हैं।
राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि मुकाबला त्रिकोणीय हो या तीन से ज्यादा उम्मीदवीरों के बीच लड़ाई हो तो फायदा भाजपा को होना है। जंजगीर-चंपा सीट पर भाजपा ने बसपा उम्मीदवार को हराया था, इसके अलावा बिलासपुर और जंगजीर की एक दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां कोई भविष्यवाणी करना मुश्किल है। सतनामी गुरू बालादास ने कांग्रेस को समर्थन दिया है, ये भी एक फर्क पैदा करने वाला हो सकता है।
सूत्र कहते हैं कि गठबंधन राज्य में छह से सात प्रतिशत वोट हासिल करेगा। हालांकि जानकार नहीं कह पा रहे हैं कि इससे ज्यादा नुकसान किसे होगा। ये सीट से सीट काफी निर्भर करेगा। ओबीसी किस तरफ है, ये भी काफी कुछ तय करेगा। राज्य में 45 फीसदी ओबीसी में से 22 फीसदी साहू हैं, जोकि अमूमन भाजपा के साथ जाते रहे हैं। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने ज्यादा साहू कैंडिडेट उतारे हैं लेकिन पार्टी के पास कोई बड़ा साहू नेता नहीं है। साहू वोट भी सीट से सीट फर्क डालेंगे।